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मप्र में सियासी गर्माहट बरकरार, बेंगलुरू से नहीं आए विधायक

मध्यप्रदेश में राज्यसभा के लिए नामांकन भरे जाने की अंतिम तारीख को कमल नाथ के नेतृत्व वाली सरकार पर संकट के मंडराते बादल नहीं छंटे और सियासी पारा चढ़ा रहा

मप्र में सियासी गर्माहट बरकरार, बेंगलुरू से नहीं आए विधायक
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भोपाल। मध्यप्रदेश में राज्यसभा के लिए नामांकन भरे जाने की अंतिम तारीख को कमल नाथ के नेतृत्व वाली सरकार पर संकट के मंडराते बादल नहीं छंटे और सियासी पारा चढ़ा रहा। सत्ताधारी दल कांग्रेस और विरोधी दल भाजपा की कोशिशें जारी रही। पूरे दिन बेंगलुरू से विधायकों को आने का इंतजार रहा, मगर वे नहीं आए। राज्य की कमल नाथ सरकार को समर्थन देने वाले 22 विधायकों के इस्तीफे अब भी अबूझ पहेली बने हुए हैं। भाजपा का कहना है कि सरकार अल्पमत में आ चुकी है तो दूसरी ओर कांग्रेस ने बहुमत का दावा किया। इस्तीफा दे चुके 22 विधायकों में से 19 बेंगलुरू में हैं।

विधानसभा अध्यक्ष एन.पी. प्रजापति ने छह विधायकों को नोटिस जारी कर उपस्थित होने को कहा। प्रजापति ने कहा कि उन्होंने तीन घंटे तक विधायकों का इंतजार किया, मगर वे नहीं आए। शनिवार को उन्होंने सात विधायकों को बुलाया है।

मौजूदा राजनीतिक हालात को लेकर मुख्यमंत्री कमल नाथ ने राज्यपाल लालजी टंडन से मुलाकात की। कमल नाथ ने भाजपा पर विधायकों को बंधक बनाने का आरोप लगाते हुए उन्हें मुक्त कराने की मांग की, साथ ही आरोप लगाया कि सरकार को अस्थिर करने के लिए भाजपा विधायकों की खरीद-फरोख्त करने में लगी है। मुख्यमंत्री ने कहा कि वह विधानसभा में शक्ति-परीक्षण के लिए तैयार हैं।

दूसरी ओर, भाजपा के राज्यसभा उम्मीदवार के तौर पर ज्योतिरादित्य सिंधिया, डॉ़ सुमेर सिंह सोलंकी एवं पूर्व मंत्री रंजना बघेल ने नामांकन पर्चा भरा। इस मौके पर भाजपा ने अपनी शक्ति का प्रदर्शन किया। उसके बाद भाजपा के बड़े नेताओं, जिनमें सिंधिया, केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर, नेता प्रतिपक्ष गोपाल भार्गव, पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, पूर्व मंत्री नरोत्तम मिश्रा, रामपाल व अन्य ने बैठक की, जिसमें अगली रणनीति पर चर्चा हुई।

पार्टी बदलकर दिल्ली से आए सिंधिया दो दिन भोपाल में रहे। शुक्रवार की शाम जब वह हवाईअड्डे की ओर जा रहे थे, उस समय कुछ कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने उनके काफिले को रोकने की कोशिश की। प्रदर्शनकारियों के हाथ में काले झंडे थे।

विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष गोपाल भार्गव का कहना है कि कमल नाथ सरकार अल्पमत में आ गई है। वहीं पूर्व मंत्री माया सिंह का कहना है कि सिंधिया के आने से भाजपा को और ताकत मिलेगी।

कांग्रेस की ओर से दो मंत्रियों जीतू पटवारी और लाखन सिंह यादव को बेंगलुरू भेजा गया था, दोनों शुक्रवार को भोपाल लौट आए। हालांकि दोनों खाली हाथ लौटे। उनका कहना है कि विधायकों को बेंगलुरू के एक रिसॉर्ट में बंधक बनाकर रखा गया है। विधायकों को उनके परिजनों से भी नहीं मिलने दिया जा रहा है।

एक तरफ जहां कांग्रेस ने विधायकों को बेंगलुरू से वापस लाने की कोशिश की, वहीं दूसरी ओर कांग्रेस के बागी विधायकों के चार्टर विमान से लौट आने की सूचना मिलने पर भाजपा और कांग्रेस के कार्यकर्ता हवाईअड्डे पर पहुंच गए।

कमल नाथ सरकार के मंत्री सज्जन वर्मा भी हवाईअड्डे पर पहुंचे। उन्होंने कहा कि वे कांग्रेस विधायक होने के नाते यहां आए।

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के कांग्रेस की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा देने के बाद 22 विधायकों ने विधायक पद से इस्तीफा दे दिया है। इन विधायकों में से 19 बेंगलुरू में हैं। इनके इस्तीफे की मूल प्रति भाजपा का प्रतिनिधिमंडल विधानसभा अध्यक्ष को सौंप चुका है।

बेंगलुरू गए मंत्री गोविंद सिंह राजपूत, प्रद्युम्न सिंह तोमर, इमरती देवी, तुलसी सिलावट, प्रभुराम चौधरी, महेंद्र सिंह सिसौदिया के अलावा विधायक हरदीप सिंह डंग, जसपाल सिंह जज्जी, राजवर्धन सिंह, ओपीएस भदौरिया, मुन्ना लाल गोयल, रघुराज सिंह कंसाना, कमलेश जाटव, बृजेंद्र सिंह यादव, सुरेश धाकड़, गिरराज दंडौतिया, रक्षा संतराम सिरौनिया, रणवीर जाटव और जसवंत जाटव का इस्तीफा विधानसभा अध्यक्ष तक पहुंच चुका है। इसके बाद तीन और विधायक बिसाहू लाल सिंह, एंदल सिंह और मनोज चौधरी भी इस्तीफा दे चुके हैं।


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