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भाजपा के इंकार के बाद महाराष्ट्र में सियासी संकट गहराया

महाराष्ट्र में सरकार बनाने को लेकर चल रहा घमासान थमने का नाम नहीं ले रहा है। सरकार में मुख्यमंत्री पद और सत्ता में हिस्सेदारी को लेकर चल रहा खींचतान अब तक किसी नतीजे पर नहीं पहुंचा है

भाजपा के इंकार के बाद महाराष्ट्र में सियासी संकट गहराया
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मुंबई। महाराष्ट्र में सरकार बनाने को लेकर चल रहा घमासान थमने का नाम नहीं ले रहा है। सरकार में मुख्यमंत्री पद और सत्ता में हिस्सेदारी को लेकर चल रहा खींचतान अब तक किसी नतीजे पर नहीं पहुंचा है। इस बीच भाजपा ने साफ कर दिया है कि वह सरकार नहीं बनाएगी, वहीं कांग्रेस ने कहा है कि उसे जनादेश विपक्ष में बैठने का मिला है। ऐसे में मामला उलझता नजर आ रहा है। इस बीच राकांपा ने 12 नवंबर को विधायकों की बैठक बुलाई है। महाराष्ट्र में भाजपा-शिवसेना ने गठबंधन में चुनाव लड़ा था और भाजपा को 105 सीटें और शिवसेना को 56 सीटें मिली थीं। इसी तरह कांग्रेस-राकांपा गठबंधन में राकांपा को 54 और कांग्रेस को 44 सीटों पर जीत मिली थी। अब देखने वाली बात यह होगी कि सरकार बनाने के लिए बहुमत के लिए जरूरी 145 विधायक कौन-सी पार्टी जुटा पाती है।

भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने एक प्रमुख राजनीतिक घटनाक्रम में रविवार को स्वीकार किया कि चुनाव पूर्व गठबंधन को जनादेश मिलने के बावजूद वह महाराष्ट्र में सरकार बनाने की स्थिति में नहीं है।

भाजपा की राज्य इकाई के अध्यक्ष चंद्रकांत पाटील ने कहा कि पार्टी की कोर कमेटी की बैठक के बाद राज्यपाल बी.एस.कोश्यारी को पार्टी के रुख से अवगत करा दिया गया है।

पाटील ने राजभवन के लॉन में मीडिया से संक्षिप्त बातचीत में कहा, "अगर शिवसेना, कांग्रेस-राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के सहयोग से सरकार बनाने की स्थिति में है तो हम उन्हें अपनी शुभकामनाएं देते हैं।"

इससे पहले राकांपा ने शनिवार को कहा था कि अगर भाजपा और शिवसेना सरकार नहीं बना पाती है तो हम (कांग्रेस-रांकापा) वैकल्पिक सरकार बनाएंगे। इस मुद्दे पर चर्चा के लिए उसने 12 नवंबर को विधायकों की बैठक बुलाई है। हालांकि इसमें पेंच यह है कि राकांपा की सहयोगी पार्टी कांग्रेस ने कहा है कि वह विपक्ष में बैठेगी। कांग्रेस के 44 विधायक खरीद-फरोख्त के डर से कांग्रेस शासित राजस्थान में जयपुर के एक रिसार्ट में जमे हुए हैं।

इस बीच, महाराष्ट्र कांग्रेस प्रभारी मल्लिकार्जुन खड़गे ने रविवार को जयपुर में कांग्रेस विधायकों से मुलाकात की और राज्य के राजनीतिक हालात पर उनकी राय जानी। वह विधायकों की राय से नई दिल्ली में पार्टी हाईकमान को अवगत कराएंगे। सूत्रों के अनुसार, ज्यादातर विधायकों ने शिवसेना के नेतृत्व वाली सरकार को समर्थन देने के पक्ष में राय व्यक्त की है।

खड़गे ने हालांकि कहा कि कांग्रेस को विपक्ष में बैठने का जनादेश मिला हुआ है, बाकी निर्णय पार्टी को करना है।


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