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 कानून सम्मत न होने पर बढ़ेंगे राजनिवास से टकराव 

दिल्ली सरकार और उपराज्यपाल के अधिकारों के मामले में सर्वोच्च न्यायालय के ऐतिहासिक फैसले के बाद अरविंद केजरीवाल सरकार और राजनिवास की अलग-अलग चुनौतियां बढ़ गई हैं

 कानून सम्मत न होने पर बढ़ेंगे राजनिवास से टकराव 
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- अनिल सागर

नई दिल्ली। दिल्ली सरकार और उपराज्यपाल के अधिकारों के मामले में सर्वोच्च न्यायालय के ऐतिहासिक फैसले के बाद अरविंद केजरीवाल सरकार और राजनिवास की अलग-अलग चुनौतियां बढ़ गई हैं। केजरीवाल सरकार पर जहां काम करने का दबाव होगा वहीं राजनिवास संविधान सम्मत फैसले के नाम पर अब सीधे न सही लेकिन मामले को राष्ट्रपति भवन तक पहुंचा कर सरकार पर कानून सम्मत कामकाज के लिए दबाव जरूर बनाएगा। हां, इस दौरान आप की आक्रमक राजनीति के सिपाही सड़कों पर बयान की तलवारें नहीं भाजेंगे इसकी उम्मीद नहीं करनी चाहिए।

सर्वोच्च न्यायालय की संविधान पीठ ने फैसले में कहा कि चुनी हुई सरकार लोकतंत्र में अहम है, इसलिए सरकार के पास फैसले लेने का अधिकार है। दरअसल कानून व्यवस्था, भूमि और पुलिस पर फैसले को राज्य सरकार, राजनिवास से स्वीकार कर रही थी लेकिन सेवा विभाग की कमान हाथ से जाते हुए चौथा विषय जुड़ा और इससे सरकार को पहली समस्या हुई। इसके बाद हर विषय पर निर्णय लेने से पहले मंजूरी पर विवाद बढ़ गया और अब संविधान पीठ ने कह दिया कि हर मामले में उपराज्यपाल की सहमति जरूरी नहीं, हां राज्य सरकार कानून के दायरे में काम करेगी। इससे साफ है कि यदि विधि विभाग ने फाईल पर कानून सम्मत कहा तो फैसला लागू होगा अन्यथा विवाद फिर खड़ा होगा इससे कोई इनकार नहीं कर सकता है।

उम्मीद की जा रही है कि लोकसभा चुनाव के मोड में आ चुके केजरीवाल अगले एक-दो दिनों में ही कुछ बड़े और अहम फैसले ले सकती है। इन फैसलों से बेशक राजनिवास, केंद्र से टकराव की जमीन तैयार हो लेकिन अब नई तैयारियां सामने आनी तय हैं। शीला दीक्षित सरकार में अधिकारियों-कर्मचारियों की ट्रांसफर-पोस्टिंग को व्यापार बताने वाली केजरीवाल सरकार इस अधिकार को हासिल करना चाहती है। अब कहा जा रहा है कि अरविंद केजरीवाल सरकार अब कर्मचारियों-अधिकारियों का तबादला कर सकेंगे और उनका यह दुहाई देना बंद हो जाएगा कि दिल्ली में चुनी हुई सरकार की कोई नहीं सुनता। लेकिन इस दबाव में अधिकारियों से टकराव नहीं होगा इसकी गारंटी कौन लेगा।

एसीबी में नियुक्ति को लेकर भी तलवारें निकल सकती हैं क्योंकि अधिकारियों के तबादले का अधिकार मिलते ही अरविंद केजरीवाल सरकार ने मंत्रिमंडल बैठक कर फरमान जारी कर दिया कि आईएएस, दानिक्स के तबादले, नियुक्ति मुख्यमंत्री की मंजूरी से होंगे। ग्रेड-2 के तबादले, नियुक्ति उपमुख्यमंत्री करेंगे और अब संभव है कि भ्रष्टïाचार निरोधक शाखा में बदलाव भी किया जाए तो यह मामला फिर गरमा जाए। हां, इस फैसले के बाद डोर टू डोर राशन, पानी का प्रबंध, 1100 वरिष्ठ नागरिकों को मुफ्त मुख्यमंत्री तीर्थयात्रा योजना, सीसीटीवी कैमरे लगाने, बसों की खरीद, वाई फाई आदि पर सरकार आगे जरूर बढ़ सकती है।


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