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'मूर्ति तोड़ो हिंसा' पर सियासी घमासान तेज 

त्रिपुरा के साथ पश्चिम बंगाल और तमिलनाडु में विभिन्न विचारधाराओं के प्रतीक हस्तियों की मूर्तियाँ तोड़े जाने के मुद्दे पर राजनीति तेज हो गयी है

मूर्ति तोड़ो हिंसा पर सियासी घमासान तेज 
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नयी दिल्ली। त्रिपुरा के साथ पश्चिम बंगाल और तमिलनाडु में विभिन्न विचारधाराओं के प्रतीक हस्तियों की मूर्तियाँ तोड़े जाने के मुद्दे पर राजनीति तेज हो गयी है। सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनों इन घटनाओं की निंदा कर रहे हैं, लेकिन आरोप एक-दूसरे पर लगा रहे हैं।

कमल हसन ने रहा कि पेरियर स्टैट्यू के संरक्षण के लिए पुलिस को तैनात करने की कोई आवश्यकता नहीं है हम तमिलों की रक्षा करेंगे।



पश्चिम बंगाल के बीजेपी प्रभारी सिद्धार्थनाथ सिंह ने इस घटना की निंदा की।


सोवन्दब चट्टोपाध्याय ने इस बदले की भावना को गलत बताया।




केंद्रीय मंत्री और भारतीय जनता पार्टी नेता गिरिराज सिंह ने यहाँ संसद भवन परिसर में संवाददाताओं से कहा “भाजपा वैचारिक परिवर्तन में विश्वास करती है। हम तोड़-फोड़ में यकीन नहीं करते। ” उन्होंन कहा कि यह वैचारिक परिवर्तन ही है जिसके परिणामस्वरूप भाजपा त्रिपुरा में डेढ़ फीसदी से 50 प्रतिशत (मत) तक पहुँच पायी है और देश में दो सीट से 282 के आँकड़े तक का सफर तय कर सकी है।

पश्चिम बंगाल में सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस के नेता कल्याण बनर्जी ने त्रिपुरा में हुई घटनाओं को मुद्दा बनाते हुये कहा “यह अच्छी परंपरा नहीं है। आप एक बार शुरू करेंगे तो खत्म नहीं कर सकेंगे। ” उन्होंने कहा कि किसी भी पार्टी को यह समझना चाहिये कि वह हमेशा के लिए सत्ता में नहीं रह सकती। पश्चिम बंगाल में हुई घटनाओं के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा “आपको पहले भाजपा से त्रिपुरा के बारे में पूछना चाहिये। ”

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री राजनाथ सिंह और भाजपा अध्यक्ष अमित शाह के इन घटनाओं की निंदा के बारे में श्री बनर्जी ने कहा कि प्रधानमंत्री कहते कुछ और हैं तथा उनकी पार्टी के लोग करते कुछ और हैं।

शिवसेना के संजय राउत ने भी घटना की निंदा की। उन्होंने कहा कि यह गलत हुआ है। किसी से आपके वैचारिक मतभेद हो सकते हैं, लेकिन इससे ऐसी घटनाओं की छूट नहीं मिल जाती।


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