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छत्तीसगढ़ में बसपा एवं जनता कांग्रेस के गठबंधन के बाद सियासी गतिविधि तेज

छत्तीसगढ़ में विधानसभा चुनावों के ठीक पहले बहुजन समाज पार्टी(बसपा) एवं जनता कांग्रेस(जोगी) के कल हुए गठबंधन के बाद सियासी गतिविधि तेज हो गई है

छत्तीसगढ़ में बसपा एवं जनता कांग्रेस के गठबंधन के बाद सियासी गतिविधि तेज
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रायपुर। छत्तीसगढ़ में विधानसभा चुनावों के ठीक पहले बहुजन समाज पार्टी(बसपा) एवं जनता कांग्रेस(जोगी) के कल हुए गठबंधन के बाद सियासी गतिविधि तेज हो गई है। इससे नफा नुकसान को लेकर सत्तारूढ़ भाजपा एवं मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस नए सिरे से रणनीति बनाने में जुट गई है।

इस गठबंधन के बाद पूर्व निर्धारित कार्यक्रम में आज यहां पहुंचे भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने जहां पार्टी के कोर ग्रुप के नेताओं के साथ इससे पार्टी तथा राज्य के राजनीतिक परिदृश्य पर पड़ने वाले असर पर विचार विमर्श किया वहीं इस गठबंधन से मिले करारे झटके से उबर कर कांग्रेस ने आला नेताओं ने आगे की रणनीति पर काम करना शुरू कर दिया है।

अविभाजित मध्यप्रदेश में राज्य की जांजगीर चापा संसदीय सीट से चुनाव लड़ चुके बसपा संस्थापक स्वं कांशीराम भले ही चुनाव नही जीत पाए लेकिन इस क्षेत्र में पार्टी का जो आधार खड़ा किया,वह कमजोर जरूर हुआ लेकिन खत्म नही हुआ।राज्य गठन के 18 वर्षों बाद भी जांजगीर चापा क्षेत्र में ही बसपा का आधार बना हुआ है। मौजूदा विधानसभा में बसपा को मिली एक मात्र सीट जैजेपुर इसी क्षेत्र की है।

राज्य में 2003 में हुए पहले चुनाव में बसपा को दो सीटे एवं 4.45 प्रतिशत मत हासिल हुए थे।उसे 2008 के चुनाव में भी दो सीटे हासिल हुई लेकिन दो प्रतिशत मतों का इजाफा किया और उसे 6.11 प्रतिशत मत हासिल हुए।लेकिन 2013 में हुए चुनाव में उसकी सीट घटकर एक रह गई और मत प्रतिशत भी गिरकर 4.40 प्रतिशत पर पहुंच गय़ा।

राज्य में आधार खो रही बसपा को नवगठित जनता कांग्रेस का साथ मिलने से एक तरह से जहां संजीवनी मिली है वहीं लगातार पार्टी कार्यकर्ताओं के फिर कांग्रेस में वापसी से निराशा से जूझ रही जनता कांग्रेस को भी मिला यह साथ अपने आधार को खड़ा करने का मौका मिल गया है। दोनो ही पार्टियों के पास खोने को कुछ नही है,बल्कि उन्हे इससे फायदा ही होने की उम्मीद है।

इस गठबंधन के बाद कई सीटो खासकर बिलासपुर संभाग में कई सीटों पर चुनावी मुकाबला त्रिकोणीय होने के पूरे आसार है। पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी का यह जहां गृह क्षेत्र है वहीं बसपा का भी यह आधार वाला इलाका है।

जोगी एवं बसपा दोनो को कोर वोटबैंक अनुसूचित जाति ही है,इस कारण इस वर्ग के वोट उन्हे एक मुश्त पड़ सकते है। हालांकि छत्तीसगढ़ में बसपा अपने वोट को उत्तरप्रदेश जैसा गठबंधन की दूसरी पार्टी को पूरी तरह स्थानान्तरित करने की स्थिति में यहां नही होगी।

राज्य में सारंगढ़,तखतपुर,बेलतरा,सक्ती,चन्द्रपुर,बिलाईगढ़,कसडोल,नवागढ़,मस्तूरीअकलतरा,जैजेपुर एवं जांजगीर चापा में बसपा को 20 हजार से ज्यादा वोट हासिल होते रहे है। इसके अलावा बलौदा बाजार,मुंगेली,लोरमी एवं बिल्हा में भी बसपा का प्रभाव माना जाता है। राज्य में कांग्रेस में रहते बसपा को राज्य में कमजोर करने में जोगी की काफी भूमिका मानी जाती रही है।

जोगी ने कांग्रेस में रहते कभी भी बसपा से कांग्रेस का गठबंधन यह कहते हुए नही होने दिया कि इससे यह पार्टी फिर खड़ी हो जायेगी।लेकिन उन्ही जोगी को अब अपनी साख बचाने एवं नवगठित पार्टी को खड़ा करने के लिए बसपा से हाथ मिलाना पड़ा। इस नवगठित पार्टी से ही बसपा को 35 सीटे गठबंधन में मिल सकती थी।

बसपा की कांग्रेस से गठबंधन की बात काफी समय से चल रही थी। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष भूपेश बघेल के अनुसार बसपा के प्रदेश अध्यक्ष ने स्वयं इसके लिए पहल की थी। दरअसल बसपा एक दर्ज से अधिक सीटे गठबंधन में कांग्रेस से मांग रही थी,लेकिन कांग्रेस पांच छह सीटो से ज्यादा देने को तैयार नही थी। इधर जोगी भी बसपा प्रमुख मायावती से सम्पर्क में थे।


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