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किसानों को नीति आयोग ने अपने हाल पर छोड़ा: खेहरा

पंजाब विधानसभा में विपक्ष के नेता और आम आदमी पार्टी(आप) नेता सुखपाल सिंह खेहरा ने आज आरोप लगाया

किसानों को नीति आयोग ने अपने हाल पर छोड़ा: खेहरा
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चंडीगढ़। पंजाब विधानसभा में विपक्ष के नेता और आम आदमी पार्टी(आप) नेता सुखपाल सिंह खेहरा ने आज आरोप लगाया कि पंजाब के किसानों को संकट से उबारने के संदर्भ में नीति आयोग के स्पष्ट इंकार का मतलब है कि किसानों को इस मुश्किल घड़ी में अपने हाल पर छोड़ देना जाे निंदनीय है।

उन्होंने कहा कि नीति आयोग के रवैये ने कर्ज के बोझ से दबे किसानों में गलत संदेश गया है और किसानों की आत्महत्याओं की घटनाएं बढ़ेंगी ही।

खेहरा ने कहा कि यह पंजाब के किसानों की मेहनत का फल है कि भारत खाद्यान के मामले में आत्मनिर्भर है।

उन्होंने कहा कि इधर भले दूसरे राज्यों ने खाद्यान्न के भंडार में योगदान करना शुरू किया है पर जरूरत के समय देश के खाद्यान की कमी को पंजाब ने ही पूरा किया।

आप नेता ने कहा कि कुछ साल पहले तक ही भारत के खाद्य भंडार में गेहूं का 60 फीसदी और चावल का 80 फीसदी योगदान पंजाब का रहता था।

विधानसभा में विपक्ष के नेता ने कहा कि इतने योगदान के बावजूद किसानों से हमेशा फसल की कीमतें तय करने में भेदभाव किया जाता है और केंद्र सरकारों की यह भेदभावपूर्ण नीति के कारण ही पंजाब के किसान एक लाख कराेड़ रुपये के कर्ज के बोझ तले दब गये हैं।

उन्होंने कहा कि नरेंद्र मोदी सरकार ने नॉन परफॉर्मिंग एसेट्स के कारण फंसे राष्ट्रीयकृत बैंकों को बचाने के लिए व्यावसायिक घरानों के लाखों करोड़ रुपये के कर्ज माफ किये हैं।
श्री खेहरा ने कहा कि भारतीय रिजर्व बैंक की एक हालिया रिपोर्ट के अनुसार देश के कुल एनपीए आठ लाख करोड़ रुपये का 25 फीसदी (दो लाख करोड़ रुपये) देश के शीर्ष 12 धनिक परिवारों पर है जिसे आखिरकार बैंकों को बचाने के नाम पर माफ किया जाएगा।

श्री खेहरा ने कहा कि यह विडंबना ही है कि नीति आयोग और मोदी सरकार पंजाब के लाखों किसान परिवारों से मुंह फेर लिया है।
उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि खाद्य सुरक्षा पर नीति आयोग सदस्यों का छिपा एजेंडा गेहूं और चावल की फसल पर न्यूनतम समर्थन मूल्य प्रणाली को समाप्त करना है।

उन्होंने कहा कि यह भी शर्म की बात है कि आयोग सदस्यों ने किसानों की फसलों पर लाभकारी कीमत देने के बजाय उन्हें लागत खर्च में कमी लाने का सुझाव दे रही है और यह सुझाव एक तरह से जख्मों पर नमक छिड़कने जैसा है।

उन्होंने कहा कि मोदी सरकार का किसानों को पैकेज न देना संकट की घड़ी में उन्हें अपने हाल पर छोड़ देना है।

खेहरा ने प्रधानमंत्री से खुद हस्तक्षेप कर पंजाब के किसानों का एक लाख करोड़ का कर्ज माफ करवाने की मांग की है।


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