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नौकरी करेंगे चाकरी नहीं इस मांग के साथ हाईकोर्ट पहुंचे पुलिसकर्मी

चाकरी के विरोध में 270 सिपाही और हवलदार हाई कोर्ट में याचिका दायर की है, यह पुलिसकर्मी सामान्य ड्यूटी में संविलियन की मांग कर रहे हैं मध्य प्रदेश हाई कोर्ट में इसकी सुनवाई 29 अप्रैल को होना है।

नौकरी करेंगे चाकरी नहीं इस मांग के साथ हाईकोर्ट पहुंचे पुलिसकर्मी
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भोपाल: मध्य प्रदेश पुलिस में ऐसी व्यवस्था है जिसमें ट्रेड आरक्षक के रूप में भी भारती की जाती है ट्रेड आरक्षक में कुक नाई धोबी मोची स्वीपर इस तरह के तमाम कामों के लिए पुलिस कर्मियों की भर्ती की जाती है। लेकिन अब ऐसे पुलिसकर्मियों ने सरकार के इस नियम के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है और इस चकरी व्यवस्था के विरोध में मध्य प्रदेश हाई कोर्ट की शरण ली है। यह पुलिसकर्मी जनरल ड्यूटी में संविलियन कर सामान्य नौकरी की मांग कर रहे हैं और चाकरी जिसे अर्दलीय व्यवस्था कहते हैं से मुक्ति चाहते हैं।

आरक्षक ट्रेड कदर में भर्ती हुए पुलिसकर्मियों के लिए यह नियम है कि 5 साल की सेवा पूरी करने पर वह जिला पुलिस के सहयोगी बनने के पात्र हो जाते हैं। लेकिन मध्य प्रदेश में 10 साल से इनके जनरल ड्यूटी में संविलियन पर रोक लगी हुई है। जबकि पड़ोस के राज्यों में इन कैडर के पुलिस कर्मियों का जनरल ड्यूटी में संविलियन कर बाल की कमी को पूरा किया जा रहा है। इन अलग-अलग ट्रेड में भर्ती हुए पुलिसकर्मियों का प्रमोशन तो हो रहा है लेकिन काम इन्हें वही चाकरी के करने पड़ रहे हैं।

अर्दली' व्यवस्था 19वीं शताब्दी में अंग्रेजों ने पुलिस में लागू की थी। एक अर्दली का काम होता है एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी की वर्दी की सफाई और देखभाल करना, घर पर आने वाली फोन कॉल लेना, अधिकारी की निजी सुरक्षा देखना और घर के छोटे मोटे काम भी करना। राष्ट्रीय स्तर पर कई बार इस व्यवस्था को खत्म करने की अनुशंसा की जा चुकी है लेकिन यह प्रथा अभी भी जीवित है।

मध्य प्रदेश पुलिस में ऐसे ट्रेड आरक्षक पुलिस कर्मियों की संख्या 5500 है जो आदमी व्यवस्था के अंतर्गत तरह-तरह के कामों में लगाए जाते हैं। यह व्यवस्था सालों से चली आ रही है। इस व्यवस्था के विरोध में 270 सिपाही और हवलदार हाई कोर्ट में याचिका दायर की है इन सभी पुलिसकर्मियों ने अलग-अलग याचिका दायर की है। यह पुलिसकर्मी सामान्य ड्यूटी में संविलियन की मांग कर रहे हैं मध्य प्रदेश हाई कोर्ट में इसकी सुनवाई 29 अप्रैल को होना है। आपको बता दें कि ऐसा पहली बार हुआ है जब इस मामले को लेकर पुलिसकर्मियों ने न्यायालय की शरण ली हो।


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