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पुलिसिंग के वक्त पुलिसकर्मी को 'टॉप-बॉस' के हुक्म की जरूरत नहीं : पुलिस कमिश्नर

दिल्ली पुलिस कमिश्नर एस.एन. श्रीवास्तव शनिवार को उत्तरी परिक्षेत्र के मातहत पुलिस अफसरों और कर्मचारियों के बीच पहुंचे

पुलिसिंग के वक्त पुलिसकर्मी को टॉप-बॉस के हुक्म की जरूरत नहीं : पुलिस कमिश्नर
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नई दिल्ली। दिल्ली पुलिस कमिश्नर एस.एन. श्रीवास्तव शनिवार को उत्तरी परिक्षेत्र के मातहत पुलिस अफसरों और कर्मचारियों के बीच पहुंचे। इसके पीछे पुलिस कमिश्नर का मकसद था अपनों के दिल-ओ-जेहन में विश्वास की भावना पैदा करना। साथ ही पुलिस कमिश्नर ने मातहतों को खुले दिल-मन से बेहतर पुलिसिंग के लिए प्रोत्साहित भी किया।

इस समारोह का आयोजन अमन विहार स्थित महाराजा अग्रसेन कॉलेज सभागार में किया गया था। समारोह में विशेष पुलिस आयुक्त कानून एवं व्यवस्था (उत्तर) सतीश गोलचा, संयुक्त पुलिस आयुक्त उत्तरी परिक्षेत्र मनीष सहिता रेंज के तीनों जिलों के डीसीपी, एडिश्नल डीसीपी, एसीपी और सभी थानों के एसएचओ इंस्पेक्टर भी मौजूद थे। अपने नए पुलिस कमिश्नर को सुनने और आमने-सामने देखने के लिए सभागार में करीब 750 पुलिसकर्मियों की भीड़ मौजूद थी।

सभागार में मौजूद मातहतों की उपस्थिति से उत्साहित नव-नियुक्त पुलिस आयुक्त सच्चिदानंद श्रीवास्तव ने भी खुलकर अपनों के सामने 'अपनेपन' की छाप छोड़ी। वो खुलकर काफी देर तक मन की बात बोले। अपनों के बीच खुलकर पुलिस कमिश्नर के बोलने के पीछ मकसद यही था कि मौजूद मातहतों का उत्साहवर्धन हो सके। मौजूद पुलिस अफसर और पुलिसकर्मी बे-झिझक समझ सकें, ताकि आइंदा जब भी दिल्ली पुलिस राजधानी की जनता के बीच सड़कों पर उतरे, तो उसमें नए पुलिस कमिश्नर की कार्य-प्रणाली साफ-साफ झलक सके।

अपनों के बीच बेबाकी से बोलते हुए पुलिस कमिश्नर ने कहा, "गलत बात के सिवाय किसी से डरने की कोई जरूरत नहीं है। ड्यूटी को अंजाम ईमानदारी और मेहनत से दीजिए। पुलिस का जो काम है वो पब्लिक को साफ-साफ नजर आना चाहिए। जनता को लगना चाहिए कि पुलिस उसी की दोस्त है। जब तक पुलिस और पब्लिक के बीच विश्वास-सामंजस्य सकारात्मक रूप में नहीं बैठेगा, तब तक सकारात्मक परिणाम की कल्पना करना भी ठीक नहीं।"

अपनों के सामने पहली ही मुलाकात में यह सब बोलने-बताने के पीछे पुलिस कमिश्नर का मकसद यही था कि किसी भी कीमत पर दिल्ली पुलिस की छवि जनमानस में बेहतर और सकारात्मक बने, ताकि पुलिस और पब्लिक एक-दूसरे से दूर न जाकर, करीब आकर राज्य की सुरक्षा में सकारात्मक उर्जा का संचार कर सकें।

पुलिस कमिश्नर श्रीवास्तव ने आगे कहा, "जनता के बीच मौजूद हर पुलिसकर्मी कानून के दायरे में फैसले लेने के लिए स्वतंत्र है। उसे कानूनन जो वाजिब नजर आता है वो करे। कानून और जनहित में उसे बिना देरी किये हुए जो ठीक लगे वो फैसला तुरंत ले। न कि किसी 'टॉप-बॉस' के हुक्म का इंतजार करे।"

उन्होंने बिना किसी लाग-लपेट के दोहराया कि महकमे में निचले स्तर पर मौजूद पुलिस के लिए कोई त्वरित अमल में ले आया जाने वाला सिस्टम लागू किया जाना बेहद जरूरी है।

दिल्ली पुलिस महकमे के मुखिया ने अपनों को संबोधित करते हुए कहा, "पुलिस में बीट-प्रणाली आज भी रीढ़ की हड्डी है। ऐसे में थाना स्तर पर इसे और मजबूत व तेज किया जाए। हमें स्ट्रीट क्राइम कंट्रोल पर नजर तेज करनी होगी। अभ्यस्थ भगोड़ों की निगरानी करके उन तक बहुत तेज गति से पहुचने की योजना अमल में लानी होगी, ताकि जनमानस को लगे कि हां, पुलिस ईमानदारी से उसके लिए काम कर रही है।"

पुलिस आयुक्त ने कहा, "राजधानी की पुलिस को बच्चों और महिलाओं की सुरक्षा को भी प्राथमिकता पर रखना होगा। इनसे जुड़ना होगा। पब्लिक से हम जुड़ेंगे तो पुलिस का काम और भी ज्यादा आसान हो जाएगा।"


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