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पुलिस जवानों को भोजन के लिए अभी भी तीन रुपए

लोकतांत्रिक व्यवस्था में जहाँ सभी नौकरशाहों को समय समय पर बढ़ती महंगाई के अनुसार भत्ते के लिए हर स्तर पर अपनी मांग रख पूरी कराने का अधिकार है

पुलिस जवानों को भोजन के लिए अभी भी तीन रुपए
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अंग्रेजों के दौर की व्यवस्था आज तक लागू
मुंगेली। लोकतांत्रिक व्यवस्था में जहाँ सभी नौकरशाहों को समय समय पर बढ़ती महंगाई के अनुसार भत्ते के लिए हर स्तर पर अपनी मांग रख पूरी कराने का अधिकार है मगर इस देश मे विडंबना ही कहा जाये जहां देशभक्ति जनसेवा में समर्पित पुलिस जवानों को आज आजादी के पहले की अंग्रेज शासन के ही व्यवस्था में जीने मजबूर है इनकी सेवा शर्तों में ना ही कोई आंदोलन, मांग, हड़ताल की आजादी भी नही है।

चपरासी से लेकर प्रधानमंत्री तक कि वेतन व्यवस्था सुविधाओं के लिए समय समय पर महंगाई अनुसार इजाफा किया गया मगर छत्तीसगढ़ की पुलिस जवान आज भी अपनी जायज मांगो के लिए आवाज नही उठा पाने लाचार है।

यह बात है छत्तीसगढ़ राज्य के पुलिस जवानों की छत्तीसगढ़ में पुलिस जवानों को पौष्टिक आहार के लिए रोज सवा तीन रुपये निर्धारित है ऐसे में कैसे 24 घंटे सेवादारी कर रहे जवानों की सेहत दुरुस्त होगी, मगर कोई सरकार ने इन जवानों के भत्ते के लिए आजादी के बाद से अब तक सुध नहीं ली।

निरीक्षक से लेकर सिपाहियों को प्रतिमाह सौ रुपये ही दिया जाता है और यह व्यवस्था से पुलिस के आला अधिकारियों से लेकर सरकार भी वाकिफ है मगर समाधान का प्रयास किसी ने नही किया। पुलिस के आला-अफसरों द्वारा आवाज उठाई भी तो इस महत्वपूर्ण जायज मांगों के लिए सरकारों ने मुह फेर दिया।

पुलिसकर्मियो को वर्दी सफाई के लिए 60 रुपये महीने का प्रावधान है। आरक्षकों, हवलदार के लिए 8 रुपये माहवारी भत्ता रखा गया है जिसे भी अब बन्द कर दिया गया है। कोई भी डॉक्टर नब्ज छूने का दो से तीन सौ रुपये लेते हैं मगर सरकार पूरे माह इलाज के लिए दो सौ का ही प्रावधान रखी है।

इसी प्रकार किसी प्रधान आरक्षक को तीस व आरक्षके को 25 यात्रा भत्ता का प्रावधान है। ऐसे में देशभक्ति जनसेवा के लिए 24 घंटे समर्पित पुलिस जवान अपनी सेवा देने मजबूर है, मगर चुनाव वर्ष में सरकार चैकीदारों से लेकर ओहदेदार अधिकारियों की मांग दबाव पूर्वक पूर्ण करने मजबूर है मगर पुलिस के जवान अपनी सेवा शर्तों के आगे मौन रहने मजबूर हैं।

गंभीरता से विचार
शासन स्तर से पुलिस के भत्तों में बढ़ोत्तरी की जानी चाहिए। इस मांग के लिए शासन स्तर पर गंभीरता से विचार चल रहा है मांग जल्द पूरी होने की अपेक्षा है।

पारुल माथुर
पुलिस अधीक्षक, मुंगेली


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