पुलिस की सेवा को नौकरी नहीं माना जा सकता: शिवराज सिंह चौहान
मध्यप्रदेश मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि पुलिस जनसेवा के लिये है

भोपाल। मध्यप्रदेश मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि पुलिस जनसेवा के लिये है। पुलिस की सेवा को नौकरी नहीं माना जा सकता। लोगों की सुरक्षा की जिम्मेदारी मिलना बहुत सौभाग्य की बात है।
चौहान आज विधानसभा सभागार में तृतीय आई.पी.एस. ऑफीसर्स मीट के शुभारंभ समारोह को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि पुलिस का कर्तव्य किसी भी अन्य सेवा से अधिक महत्वपूर्ण है। सामाजिक जटिलताओं का कुशलतापूर्वक सामना करते हुए आमजन का विश्वास जीतना होगा। वे धैर्य, उत्साह और सकारात्मक दृष्टिकोण के साथ कार्य करें। मन, मस्तिष्क और शरीर को चुस्त-दुरूस्त रखने के लिये योग, व्यायाम और मनोरंजन की गतिविधियों में भी शामिल हों। उन्होंने पुलिस बल में अवकाश की संकल्पना पर विचार करने की जरूरत बतायी।
उन्होंने कहा कि मध्यप्रदेश पुलिस ने अनेक ऐसे कार्य किये हैं, जिन पर गर्व किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि चुनौतियों का सामना विशेषज्ञता के साथ किया जाना चाहिये। पुलिस अधिकारियों के समूह बनाकर विषयवार होने वाले चिंतन के निष्कर्षों पर वे एवं गृह मंत्री पुलिस अधिकारियों के साथ मिलकर रोडमैप का निर्माण करेंगे। पुलिस और जनता के मध्य दूरियों को कम करने के लिये सामुदायिक पुलिसिंग के प्रयोग किये गये हैं।
इन्हें और अधिक विस्तारित करना होगा। उन्होेंने आईपीएस मीट के आयोजन की सराहना की और कहा कि आज पूरी दुनिया के सामने कट्टरवाद की चुनौती है। लोगों को अलग-अलग बाँटने की कोशिशें लोकतंत्र के लिये घातक हैं। इनका सामना करने के लिये जरूरी है कि उदारवादी दृष्टिकोण को प्रसारित किया जाये। भारतीय समाज और संस्कृति में भेदभाव के लिये कोई स्थान नहीं है। सामाजिक समरसता का संदेश देने के लिये ही एकात्म यात्रा का आयोजन किया गया है। संगोष्ठी का मंथन निश्चय ही इस दिशा में सार्थक पहल होगा।
विधानसभा अध्यक्ष सीताशरण शर्मा ने कहा कि शासन का सबसे प्रमुख अंग सुरक्षा बल होते हैं। लोकतांत्रिक शासन प्रणाली जनहित की सबसे अच्छी प्रणाली है। उन्होंने मीट के आयोजन पहल की सराहना करते हुये कहा कि संगोष्ठी के विषयों पर विचार-विमर्श सुशासन के लिए महत्वपूर्ण होंगे। इसके सकारात्मक परिणाम आयेंगे।
पुलिस महानिदेशक ऋषि कुमार शुक्ला ने कहा कि जनता की सेवा पुलिस का प्राथमिक दायित्व है। जन अपेक्षाओं को पूरा करने की चुनौती बहुत कठिन कार्य है। आर्थिक और तकनीकी परिवर्तन की चुनौतियां भी तेजी से बढ़ रही हैं। जनता और पुलिस के मध्य दूरी को पाटने के प्रयास पुलिस द्वारा निरंतर किये जा रहे हैं। मीट के दौरान इन चुनौतियों का सामना करने के लिये कार्यशाला का आयोजन कर युवा और वरिष्ठ अधिकारियों के मध्य संवाद का प्रयास किया गया है।


