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नोएडा में पुलिस-नागरिकों को जोड़ना चुनौती : आईपीएस श्रीपर्णा 

श्रीपर्णा गांगुली 2004 बैच की उत्तर प्रदेश कैडर की आईपीएस अधिकारी हैं।

नोएडा में पुलिस-नागरिकों को जोड़ना चुनौती : आईपीएस श्रीपर्णा 
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नोएडा | गौतमबुद्ध नगर जिले में कमिश्नरी सिस्टम लागू होने के बाद पहली महिला एडिशनल पुलिस कमिश्नर बनीं श्रीपर्णा गांगुली का कहना है कि 'बतौर एडिशनल पुलिस कमिश्नर, नोएडा-ग्रेटर नोएडा में पब्लिक और पुलिस को जोड़कर करीब ले आना ही मेरी यहां की तैनाती में सबसे बड़ी चुनौती है। गौतमबुद्ध नगर जिले की पुलिस कमिश्नरी में तैनाती के दौरान मेरी दूसरी प्राथमिकता यहां ट्रैफिक समस्या का समाधान है।'

उन्होंने आईएएनएस के साथ बेबाक बातचीत में कहा, "मेरा मानना है कि जब तक पुलिस और पब्लिक मन-विचारों से नहीं घुलेंगे-मिलेंगे, तब तक परेशानियां दोनों के सामने मुंह बाए खड़ी रहेंगी। यहां मौजूद पुलिस और पब्लिक के बीच की खाई को विश्वास से ही पाटा जा सकता है।"

श्रीपर्णा गांगुली 2004 बैच की उत्तर प्रदेश कैडर की आईपीएस अधिकारी हैं। उप्र के फतेहपुर जिले की पहली महिला पुलिस अधीक्षक बनने का सेहरा भी श्रीपर्णा के ही सिर बंधा था।

दक्षिणी ध्रुव के सबसे ऊंचे पर्वत शिखर पर तिरंगा फहराने का श्रेय भी हिंदुस्तान में सबसे पहले अगर किसी महिला आईपीएस अधिकारी को जाता है, तो वो भी श्रीपर्णा गांगुली ही हैं। ऐसी प्रतिभा की धनी श्रीपर्णा 1990 के दशक में करीब डेढ़ साल सीडॉट में सैम पित्रोदा के नेतृत्व में बतौर डॉक्यूमेंटेशन एग्जीक्यूटिव के पद पर भी नौकरी कर चुकी हैं। यह बात तब की है जब भारतीय पुलिस सेवा से श्रीपर्णा का दूर-दूर तक कोई वास्ता नहीं था।

पुलिस की नौकरी में आकर क्या कुछ खोया-पाया? पूछे जाने पर श्रीपर्णा ने कहा, "पुलिस खोने-पाने का घर नहीं है। इंसान को पुलिस ही मजबूत बनाकर चुनौतियों से दो-दो हाथ करना सिखाती है। हो सकता है पुलिस को लेकर और लोगों की राय अलग-अलग हो। मगर मेरा निजी अनुभव यही है। पुलिस ने हमेशा मेरा मनोबल बढ़ाया है। मेरी दिली इच्छा है कि पुलिस और पब्लिक के बीच मौजूद अविश्वास की खाई केवल कम न करूं, बल्कि इसे पूरी तरह खत्म कर सकूं।"

नोएडा पुलिस और यहां की पब्लिक में हमेशा तनातनी रहती है। इसे किस रूप में स्वीकार करती हैं? पूछे जाने पर नोएडा की पहली महिला एडिश्नल पुलिस कमिश्नर ने कहा, "जानती हूं। जो आप बता रहे हैं, वह सच है। नोएडा की नई कमिश्नरी में तैनाती के दौरान यहां की पब्लिक और पुलिस के बीच मौजूद अविश्वास की खाई को खतम करना मेरी पहली चुनौती है। दूसरी चुनौती गौतमबुद्ध नगर में ट्रैफिक सिस्टम को कारगर और सरल बनाना है। यहां तैनाती के बाद के चंद दिनों में ही मैं समझ गई कि मेरी सबसे पहली जिम्मेदारी, पुलिस को पब्लिक के काबिल बनाना होगा। इसके लिए विशेष प्रशिक्षण की जरूरत है। जो देने के लिए मैं तत्पर हूं। जबकि पब्लिक को समझाना होगा कि पुलिस या पुलिस में हर कर्मचारी-अफसर एक सा नहीं है। अच्छे-बुरे लोग समाज में सब जगह मौजूद हैं। हमें समझ-सामंजस्य से एक दूसरे को समझकर करीब आने की जरूरत है। नोएडा कमिश्नरी में मेरा पहला एडिश्नल पुलिस कमिश्नर (महिला आईपीएस) बनना उतना मायने नहीं रखता, जितना मेरे लिए यहां मौजूद चुनौतियों से पार पाना।"

आप से पहले भी नोएडा-ग्रेटर नोएडा में तमाम आला-पुलिस अफसरान की लाख कोशिशों के बाद भी पुलिस की छवि जस की तस बनी रही। परिणाम ढाक के तीन पात रहे? आईएएनएस के सवाल को बीच में ही काटते हुए श्रीपर्णा गांगुली बोलीं, "मैं आपके तर्क या सवाल से सहमत नहीं हूं। भले ही हर आईपीएस की ट्रेनिंग समान क्यों न हो, मगर सोचने का नजरिया हर इंसान का अलग और अपना निजी होता है। मुझसे पहले किसने क्या किया? परिणाम क्या निकले? मैं इस सब में नहीं पड़ती। मैं नोएडा की पब्लिक और पुलिस के लिए क्या कर पाऊंगी? मेरे लिए यह महत्वपूर्ण है।"

उन्होंने कहा, "मेरा मानना है कि एजुकेशन, इंफोर्समेंट और इंजीनियरिंग के फार्मूले पर पुलिस चले। समस्याएं खुद ब खुद खत्म होती जाएंगी। आने वाली पुलिस का सेंस्टिव, अलर्ट और प्रो-एक्टिव होना बेहद जरूरी है। मेरे लिए दूसरा चैलेंज ट्रैफिक प्रणाली को सुचारु और सरल बनाना है। इसके लिए अभी तक हमारे जिले में ट्रैफिक पुलिस पर सिर्फ 50 बॉडी कैमरे थे। सबसे पहले मेरी कोशिश है कि इन कैमरों की भी संख्या में इजाफा करवाया जाए।"

राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से राष्ट्रीय खेल दिवस के अवसर पर सम्मानित होने वाली तेनजिंग नोर्गे राष्ट्रीय साहस पुरस्कार 2016 से सम्मानित व 2015 और 2016 में क्रमश: उत्तर प्रदेश रानी लक्ष्मीबाई वीरता पुरस्कार व यश भारती पुरस्कार से सम्मानित हो चुकीं श्रीपर्णा गांगुली के अल्फाजों में, "पुलिस की नौकरी अगर चुनौतीपूर्ण न होती तो मैं, चुनौतियों का सामना करके खुद के अंदर हर दम जीतने की भावना को भी शायद कभी न पाल-पोस पाती।"


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