Top
Begin typing your search above and press return to search.

कविता : युद्ध करता है अनथक मेहनत

ईराकी कविता- दुन्या मिखाइल

कविता : युद्ध करता है अनथक मेहनत
X

- अंग्रेज़ी से रूपांतर-ललित सुरजन

देखो, सचमुच कितना
भव्य है युद्ध!
कितना तत्पर और
कितना कुशल!
अलस्सुबह वह
साइरनों को जगाता है और
एंबुलेंस भेज देता है
दूर-दराज़ तक,
हवा में उछाल देता है
शवोंं को और
घायलों के लिए
बिछा देता है स्ट्रेचर.
वह माताओं की आँखों से
बुलाता है बरसात को,
और धरती में गहरे तक धँस जाता है
कितना कुछ तितर-बितर कर,
उधर खंडहरों में,
कुछ एकदम मुर्दा और चमकदार
कुछ मुरझाए हुए लेकिन
अब भी धड़कते हुए
वह बच्चों के मष्तिष्क में
उपजाता है हज़ारों सवाल,
और आकाश में
राकेट व मिसाइलों की आतिशबाजी कर
देवताओं का दिल बहलाता है,
खेतों में वह बोता है
लैंडमाइन और फिर उनसे
लेता है जख़्मों व नासूरों की फसल,
बह परिवारों को बेघर-विस्थापित
हो जाने के लिए करता है तैयार,
पंडों-पुरोहितों के साथ होता है खड़ा
जब वे शैतान पर लानत
फेंक रहे होते हों
(बेचारा शैतान,उसे हर घड़ी देनी होती है
अग्नि परीक्षा)
युद्ध काम करता है निरन्तर
क्या दिन और क्या रात,
वह तानाशाहों को
लंबे भाषण देने के लिए
प्रेरित करता है,
सेनापतियों को देता है मैडल
और कवियों को विषय,
वह कृत्रिम अंग बनाने के कारखानों को
करता है कितनी मदद,
मक्खियों तथा कीड़ों के लिए
जुटाता है भोजन,
इतिहास की पुस्तकों में
जोड़ता है पन्ने व अध्याय,
मरने और मारने वालों के बीच
दिखाता है बराबरी,
प्रेमियों को सिखाता है पत्र लिखना
व जवाँ औरतों को इंतज़ार,
अखबारों को भर देता है
लेखों व फोटो से,
अनाथों के लिए बनाता है नए घर,
कफन बनाने वालों की कर देता है चाँदी
कब्र खोदने वालों को देता है शाबासी,
और नेता के चेहरे पर
चिपकाता है मुस्कान,
युद्ध अनथक मेहनत करता है बेजोड़,
फिर भी क्या बात है कि
कोई उसकी तारीफ में
एक शब्द भी नहीं कहता।
जुलाई 2009


Next Story

Related Stories

All Rights Reserved. Copyright @2019
Share it