Top
Begin typing your search above and press return to search.

‘मुस्लिमों के पर्सनल लॉ से ऊपर हैं पॉक्सो और आईपीसी’, कर्नाटक हाईकोर्ट का अहम फैसला

कर्नाटक उच्च न्यायालय ने कहा है कि पॉक्सो और आईपीसी अधिनियम मूल हैं और ये व्यक्तिगत कानूनों पर हावी हैं।

‘मुस्लिमों के पर्सनल लॉ से ऊपर हैं पॉक्सो और आईपीसी’, कर्नाटक हाईकोर्ट का अहम फैसला
X

बेंगलुरु: कर्नाटक उच्च न्यायालय ने कहा है कि पॉक्सो और आईपीसी अधिनियम मूल हैं और ये व्यक्तिगत कानूनों पर हावी हैं। न्यायमूर्ति राजेंद्र बादामीकर की अध्यक्षता वाली पीठ ने हाल ही में चिक्कमगलुरु की 19 वर्षीय बलात्कार आरोपी की जमानत याचिका पर विचार करते हुए यह टिप्पणी की।

आरोपी ने 16 साल की लड़की को फुसलाकर लॉज में जबरन दुष्कर्म किया। कोर्ट ने इस तर्क को खारिज कर दिया कि मुस्लिम कानून सामान्य यौवन की उम्र को 15 साल मानता है और इसे शादी की उम्र भी माना जाता है।

पीठ ने कहा कि पॉक्सो और आईपीसी अधिनियम सर्वोच्च हैं और ये व्यक्तिगत कानूनों को ऊपर हैं। यह भी तर्क दिया गया कि चूंकि आरोपी मुस्लिम है, इसलिए उसके खिलाफ पॉक्सो अधिनियम के अधिकार क्षेत्र से बाहर है। पीठ ने कहा कि पर्सनल लॉ की आड़ में याचिकाकर्ता को जमानत नहीं दी जा सकती।

अदालत ने जमानत खारिज कर दी और मामले में आरोप पत्र दाखिल करते हुए कहा गया कि सबूतों के साथ छेड़छाड़ की संभावना है।

एक अन्य मामले में उसी पीठ ने मुस्लिम कानून के तहत जमानत की मांग को खारिज कर दिया और मानवीय आधार पर आरोपी को जमानत दे दी।

आरोपी की 17 वर्षीय पत्नी के गर्भवती होने के बाद पर पॉक्सो अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया गया था। पति के वकील ने तर्क दिया कि चूंकि उसने मुस्लिम कानून के तहत शादी की थी, इसलिए उसके खिलाफ पॉक्सो का आरोप नहीं लगाया जाना चाहिए।

पीठ ने आरोपी के तर्क को अस्वीकार कर इस तथ्य के आधार पर उसे जमानत दे दी कि गर्भवती नाबालिग की देखभाल आरोपी द्वारा की जा सकती है।



Next Story

Related Stories

All Rights Reserved. Copyright @2019
Share it