Top
Begin typing your search above and press return to search.

असम में एक सींग वाले गैंडों का शिकार रोकने में कामयाबी

असम में 45 साल में पहली बार ऐसा हुआ है जब एक पूरे साल (2022) के दौरान एक सींग वाले एक भी गैंडे का शिकार नहीं हुआ. यह राज्य अवैध शिकार के लिए अक्सर सुर्खियों में रहा है.

असम में एक सींग वाले गैंडों का शिकार रोकने में कामयाबी
X

असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा ने अपने एक ट्वीट के जरिए यह जानकारी दी कि वर्ष 2022 के दौरान राज्य में एक सींग वाले किसी भी गैंडे का अवैध शिकार नहीं किया गया. उन्होंने इसे एक बड़ी उपलब्धि करार दिया है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी इन गैंडों के संरक्षण की दिशा में उठाए गए ठोस कदमों की सराहना की है.

वर्ष 2000 से 2021 के दौरान राज्य में 191 गैंडों का अवैध शिकार किया गया था. वर्ष 2013 और 2014 में 27-27 एक सींग वाले गैंडों की शिकारियों के हाथों मौत हुई थी. वर्ष 2020 और 2021 में दो-दो गैंडे मारे गए थे.

इससे पहले वर्ष 1977 वह आखिरी साल था जब किसी एक सींग वाले गैंडे की अवैध शिकारियों के हाथों मौत नहीं हुई थी. सरकारी अधिकारियों ने वर्ष 2022 में किसी भी गैंडे की मौत नहीं होने के लिए पुलिस और वन विभाग के प्रयासों और बेहतर तालमेल को जिम्मेदार ठहराया है. इसके साथ ही इस काम में तकनीक की भी सहायता ली गई.

विशेष पुलिस महानिदेशक (कानून व व्यवस्था जीपी सिंह बताते हैं, "मई 2021 में मुख्यमंत्री के तौर पर शपथ लेने के बाद हिमंता बिस्वा सरमा ने गैंडों के शिकार के प्रति शून्य सहनशीलता की नीति अपनाई थी.” उसके बाद सिंह के नेतृत्व में जून, 2021 में एक विशेष कार्यबल का गठन किया गया. इसमें चीफ वाइल्डलाइफ वार्डन एमके यादव समेत पुलिस और वन विभाग के 22 वरिष्ठ अधिकारियों को शामिल किया गया था.

पहले अवैध शिकार पर अंकुश लगाने के लिए पुलिस व वन विभाग के लोग अलग-अलग काम करते थे. लेकिन इन दोनों के बीच बेहतर तालमेल के लिए कार्यबल का गठन किया गया.

चीफ वाइल्ड लाइफ वार्डन एमके यादव बताते हैं, "हमें वन और पुलिस विभाग से अवैध शिकारियों की गतिविधियों और आवाजाही के बारे में नियमित जानकारियां मिलती रहीं. इससे उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई में सहायता मिली.”

विशेष कार्यबल ने पहले पहले गैंडों के अवैध शिकार के विस्तृत आंकड़े जुटाए. इसके अलावा काजीरंगा, मानस, ओरांग और पबित्रा अभयारण्यों में शिकारियों की ओर से इस्तेमाल किए जाने वाले रास्तों की जानकारी जुटाई गई. साथ ही इस काम में शामिल तमाम अपराधियों के आंकड़े भी जुटाए गए और एक डेटाबेस तैयार किया गया.

वन विभाग के एक अधिकारी बताते हैं, "हमने जंगल के आस-पास बसे गांव के लोगों को भी भरोसे में लिया और शिकार में पहले से शामिल अपराधियों के फोन की निगरानी शुरू की गई.”

सिंह बताते हैं, "जंगल में शिकार के प्रति संवेदनशील इलाकों में वाच टावर बना कर वहां सीसीटीवी कैमरे लगाए गए और पुलिस व वन विभाग के कमांडो को आधुनिकतम हथियारों के साथ गश्त पर तैनात किया गया. गश्त में तालमेल था और वन व पुलिस विभाग के लोग वायरलेस, वाकी-टाकी और व्हाट्सएप समूह के जरिए लगातार एक-दूसरे के संपर्क में रहते थे. इलाके में कई जगह ड्रोन और नाइट विजन कैमरों की भी सहायता ली गई." वह बताते हैं कि चांदनी रात में गश्त और तेज की गई. शिकारी गैंडों को मारने के लिए चांदनी रात में ज्यादा सक्रिय रहते हैं. गश्त के दौरान कई शिकारियों को पकड़ कर उनके कब्जे से हथियार बरामद किए गए.

पुलिस के मुताबिक, बीते साल गैंडों के शिकार में शामिल 58 लोगों को गिरफ्तार किया गया जबकि चार लोग मुठभेड़ में मारे गए.

एमके यादव के मुताबिक, खुफिया जानकारियों का आदान-प्रदान बढ़ने और पुलिस व वन विभाग के बीच बेहतर तालमेल के सकारात्मक नतीजे सामने आए हैं. अब करीब हर सप्ताह अवैध शिकारियों को गिरफ्तार किया जा रहा है.

वन्यजीवों के संरक्षण की दिशा में काम करने वाले गुवाहाटी स्थित गैर-सरकारी संगठन आरण्यक के सीईओ बी. तालुकदार कहते हैं, "एक सींग वाले गैंडों के शिकार पर अंकुश लगाने की दिशा में उठाए गए कदम सराहनीय हैं. लेकिन इन उपायों को सिर्फ काजीरंगा की बजाय ओरांग, मानस और पबित्रा जैसे दूसरे अभ्यारण्यों में भी लागू किया जाना चाहिए.”

सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, असम में 2895 गैंडे हैं. इनमें से 2,613 काजीरंगा नेशनल पार्क में हैं. इसके अलावा ओरांग नेशनल पार्क में 125, पबित्रा वाइल्डलाइफ सैंक्चुरी में 107 और मानस नेशनल पार्क में 40 गैंडे हैं. असम के काजीरंगा नेशनल पार्क और टाइगर रिजर्व में एक सींग वाले दुनिया के 65 फीसदी गैंडे रहते हैं. असम के गोलाघाट और नगांव जिले में 884 वर्ग किमी में फैले काजीरंगा नेशनल पार्क को 1908 में बनाया गया था. वर्ष 1985 में इस पार्क को यूनेस्को द्वारा विश्व धरोहर स्थल घोषित किया गया था. भारत सरकार ने इसे टाइगर रिजर्व के तौर पर भी घोषित कर रखा है.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राज्य में गैंडों के संरक्षण के लिए असम के लोगों के प्रयासों की सराहना की है. प्रधानमंत्री ने बीते साल शून्य अवैध शिकार की घटनाओं के बाद राज्य में एक सींग वाले गैंडों के संरक्षण की दिशा में प्रयासों के लिए असम के लोगों की सराहना की है. असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा के एक ट्वीट को साझा करते हुए पीएम नरेंद्र मोदी ने इस खबर पर खुशी जताई.


Next Story

Related Stories

All Rights Reserved. Copyright @2019
Share it