आम चुनाव के बाद मोदी ही हों प्रधानमंत्री : जेटली
वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा है कि वर्तमान परिस्थिति में आम चुनाव के बाद सिर्फ प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अगुवाई वाली सरकार ही विकास को गति देने के साथ ही आकांक्षी राष्ट्र को संतुष्ट कर सकती है

नई दिल्ली। वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा है कि वर्तमान परिस्थिति में आम चुनाव के बाद सिर्फ प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अगुवाई वाली सरकार ही विकास को गति देने के साथ ही आकांक्षी राष्ट्र को संतुष्ट कर सकती है।
श्री जेटली ने मंगलवार को अपने फेसबुक ब्लॉग पर लिखा कि भारत अभी दुनिया में सबसे तेजी से बढ़ने वाला सबसे बड़ा देश है। इसके बावजूद हम सात से 7.5 प्रतिशत की आर्थिक वृद्धि से संतुष्ट नहीं हैं। हम तेजी से आगे बढ़ने की जोरदार कोशिश कर रहे हैं और आठ प्रतिशत की विकास दर को पार करना चाहते हैं।
उन्होंने कहा कि पिछले पाँच वर्ष में सुगम कारोबारी सूचकांक में भारत 142 वें पायदान से सुधरकर 77वें पायदान पर आया है। अब हमें इस सूची में 50 प्रमुख देशों में शामिल होना है। उन्होंने सवाल किया कि यदि इसे हासिल करना है तो कौन होना चाहिये भारत का प्रधानमंत्री। उन्होंने कहा कि जिस तरह से वर्ष 2014 में स्पष्ट बहुमत से प्रधानमंत्री बनाया गया था क्या अब भी उसी तरह की बहुमत की दरकार नहीं है। सिर्फ इसी तरह के पूर्ण बहुमत वाले प्रधानमंत्री ही विकास को गति दे सकते हैं और राष्ट्र की आकांक्षा पूरी कर सकते हैं।
उन्होंने अर्थव्यवस्था और देश की विकास यात्रा के विभिन्न पहलुओं का विश्लेषण करते हुये कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के कार्यकाल में देश की औसत विकास दर 7.3 प्रतिशत रही है। विकास दर ऊँची है। बड़े आधार पर ऊंची विकास दर का गुणात्मक प्रभाव होता है।
श्री जेटली ने कहा कि संप्रग दो के कार्यकाल में महँगाई दर 12.2 से 8.4 प्रतिशत के बीच रही थी। वर्ष 2013 में संप्रग सरकार में 9.4 प्रतिशत वार्षिक महंगाई दर रही थी, लेकिन श्री मोदी के नेतृत्व में पिछले पाँच वर्ष में महँगाई क्रमश: 5.9 प्रतिशत, 4.9 प्रतिशत, 4.5 प्रतिशत. 3.6 प्रतिशत और 3.9 प्रतिशत रही है। मोदी सरकार के कार्यकाल के पहले वर्ष में महँगाई के नरम पड़ने के बाद इस पर लगातार नियंत्रण रखा गया। सरकार ने महँगाई के लक्ष्य को चार प्रतिशत के दायरे में रखना तय किया जिसमें दो प्रतिशत घटबढ़ हो सकती है।
उन्होंने कहा कि जब श्री मोदी सत्ता में आये थे तब भारत सकल घरेलू उत्पाद के मामले में दुनिया की दसवीं सबसे बड़ी अर्थवस्था था। अभी पाँचवी, छठी और सातवीं बड़ी अर्थव्यवस्था क्रमश: ब्रिटेन, फ्रांस और भारत के बीच बहुत कम का अंतर है। मुद्रा में उतार-चढ़ाव से अर्थव्यवस्था के आकार में घटबढ़ हो रहा है। अगले वर्ष भारत के 7.5 प्रतिशत की दर से बढ़ने की उम्मीद है।
उन्होंने कहा कि अगले वित्त वर्ष के अंत तक भारत के दुनिया की पाँचवीं बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की पूरी संभावना है। उन्होंने कहा कि पिछले पाँच वर्ष में भारत का वित्तीय अनुशासन बेहतर रहा है।


