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पुणे के मंदिर में पीएम मोदी की प्रतिमा स्थापना के 72 घंटे के अंदर गायब!

यहां औंध इलाके में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के एक स्थानीय कार्यकर्ता द्वारा बनवाया गया प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को समर्पित एक मंदिर और उसकी प्रतिमा उद्घाटन के महज 72 घंटे बाद अचानक गायब हो गई

पुणे के मंदिर में पीएम मोदी की प्रतिमा स्थापना के 72 घंटे के अंदर गायब!
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पुणे (महाराष्ट्र)। यहां औंध इलाके में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के एक स्थानीय कार्यकर्ता द्वारा बनवाया गया प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को समर्पित एक मंदिर और उसकी प्रतिमा उद्घाटन के महज 72 घंटे बाद अचानक गायब हो गई। स्थानीय भाजपा कार्यकर्ता मयूर मुंडे द्वारा सड़क के किनारे निर्मित और वित्त पोषित मंदिर और पीएम मोदी की प्रतिमा रातों-रात गायब हो गई है। स्वतंत्रता दिवस पर एक वरिष्ठ नागरिक द्वारा इसका उद्घाटन किया गया था।

राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा), कांग्रेस और आम नागरिकों की व्यापक आलोचना के बाद बुधवार की देर रात कुछ अज्ञात व्यक्तियों द्वारा प्रतिमा को अचानक हटा दिया गया।

आईएएनएस द्वारा बार-बार प्रयास करने के बावजूद, मुंडे से संपर्क नहीं हो सका, क्योंकि उन्होंने अपना मोबाइल स्विच ऑफ कर रखा था। उनके दोस्तों ने इस मामले पर टिप्पणी करने से इनकार कर दिया। वहीं इस घटनाक्रम से विरोधी पार्टियों की आलोचना झेल रही शहर की भाजपा इकाई ने भी अपना पल्ला झाड़ लिया है और इस पर नेतागण कोई भी टिप्पणी करने से बच रहे हैं।

अल्पकालिक स्मारक की आलोचना करते हुए, पुणे के पूर्व मेयर और एनसीपी पुणे के अध्यक्ष प्रशांत जगताप ने आरोप लगाया कि बनाया गया मंदिर और प्रतिमा अवैध थी और उनकी पार्टी इस संबंध में उचित कदम उठाएगी।

राकांपा ने साइट पर (जहां मंदिर बनाकर प्रतिमा स्थापित की गई थी) एक प्रतीकात्मक विरोध मार्च निकालने की योजना बनाई और ईंधन की बढ़ती कीमतों को उजागर करने के लिए पार्टी के कार्यकर्ताओं ने पीएम मोदी के उस मंदिर में जाकर कीमतों में कमी की प्रार्थना करने का फैसला किया था। हालांकि कार्यकर्ताओं को मौके से मोदी की प्रतिमा गायब होने के बाद निराशा हाथ लगी।

जगताप ने व्यंग्य के लहजे में कहा, "इस मंदिर के बनने के बाद, हम आशान्वित थे कि ईंधन की कीमतें गिरेंगी, महंगाई कम होगी और लोगों के बैंक खातों में 15 लाख रुपये आएंगे। लेकिन जब हम यहां पूजा करने आए तो 'भगवान' (पीएम मोदी) गायब थे।"

कांग्रेस सेवा दल ने इस घटना को 'गुलामों की मानसिकता' बताया, जबकि पार्टी के अन्य नेताओं ने इस कदम को 'बौद्धिक दिवालियेपन' का संकेत करार दिया।

मोदी को समर्पित राज्य का पहला मंदिर होने का दावा करते हुए मुंडे ने कहा था कि यह अनुच्छेद 370 को निरस्त करने, 'तीन तलाक' को समाप्त करने और अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण का मार्ग प्रशस्त करने के उनके 'साहसिक कदमों' के लिए पीएम को उनकी श्रद्धांजलि है।

मुंडे ने कहा था, "मुझे लगता है कि अयोध्या में राम मंदिर बनाने वाले व्यक्ति के लिए एक मंदिर होना चाहिए, इसलिए मैंने अपने परिसर में इस मंदिर का निर्माण करने का फैसला किया।"

उन्होंने विशेष रूप से जयपुर से लाए गए लाल पत्थर और संगमरमर की प्रतिमा के लिए लगभग दो लाख रुपये खर्च किए, और उन्होंने पीएम की प्रशंसा करते हुए एक कविता भी मंदिर के बाहर चिपकाई थी।


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