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पीएम मोदी की डेनमार्क की प्रधानमंत्री मेटे फ्रेडरिकसन से बातचीत, क्षेत्रीय और वैश्विक मुद्दों पर भी चर्चा

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को डेनमार्क की प्रधानमंत्री मेटे फ्रेडरिक्सन ने फोन पर बातचीत की। दोनों नेताओं ने द्विपक्षीय संबंधों के साथ-साथ वैश्विक विकास के विभिन्न पहलुओं पर चर्चा की

पीएम मोदी की डेनमार्क की प्रधानमंत्री मेटे फ्रेडरिकसन से बातचीत, क्षेत्रीय और वैश्विक मुद्दों पर भी चर्चा
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नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को डेनमार्क की प्रधानमंत्री मेटे फ्रेडरिक्सन ने फोन पर बातचीत की। दोनों नेताओं ने द्विपक्षीय संबंधों के साथ-साथ वैश्विक विकास के विभिन्न पहलुओं पर चर्चा की। इसकी जानकारी पीएम मोदी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के जरिए दी।

पीएम मोदी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा, ''आज प्रधानमंत्री मेटे फ्रेडरिकसेन से बात करके खुशी हुई। भारत-डेनमार्क ग्रीन स्ट्रैटेजिक साझेदारी के लिए अपने मजबूत समर्थन और हमारे लोगों के लाभ के लिए विभिन्न क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाने की पुष्टि की। हमने आपसी हितों के क्षेत्रीय और वैश्विक विकास पर भी चर्चा की।''

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि वह इस वर्ष के अंत में नॉर्वे में आयोजित होने वाले तीसरे भारत-नॉर्डिक शिखर सम्मेलन और उस समय प्रधानमंत्री मेटे फ्रेडरिकसन के साथ बैठक में मुलाकात की प्रतीक्षा कर रहे हैं।

विदेश मंत्रालय ने बताया कि साल 2020 में ग्रीन स्ट्रेटेजिक पार्टनरशिप की शुरुआत के बाद से दोनों देशों के बीच उच्च स्तरीय आदान-प्रदान को याद करते हुए दोनों नेताओं ने विभिन्न क्षेत्रों में ग्रीन स्ट्रेटेजिक पार्टनरशिप के विस्तार का उल्लेख किया, जिसने भारत में डेनमार्क के निवेश के लिए अनुकूल परिस्थितियां बनाई हैं ताकि ग्रीन ट्रांजिशन में योगदान दिया जा सके। दोनों नेताओं ने आपसी हित के क्षेत्रीय और वैश्विक मुद्दों पर भी चर्चा की।

बताते चलें कि भारत और डेनमार्क के बीच मैत्रीपूर्ण और सहयोग भरे संबंध रहे हैं। दोनों देश 1949 से राजनयिक संबंध साझा करते हैं। भारत-डेनमार्क को एक विश्वसनीय भागीदार मानता है। दोनों देशों के बीच हरित ऊर्जा, जलवायु परिवर्तन, सतत विकास जैसे क्षेत्रों में विशेष भागीदारी है।

खास बात यह है कि दोनों देश भारत-डेनमार्क ग्रीन स्ट्रेटेजिक पार्टनरशिप 2020 के तहत सहयोग करते हैं। यह पर्यावरण, तकनीक और व्यापार पर केंद्रित है। डेनमार्क की कई कंपनियां भारत में काम कर रही हैं। जबकि, भारत की आईटी और फार्मा से जुड़ी कंपनियां डेनमार्क में निवेश कर रही हैं। यह दोनों देशों के व्यापारिक रिश्तों को मजबूत करने में अहम योगदानकर्ता भी हैं।


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