आपातकाल के लिए पीएम मोदी का कांग्रेस पर जोरदार हमला
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को कहा कि 1975-77 का आपातकाल 'काला दौर' था, जिसे देश कभी भूल नहीं सकता।

मुंबई। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को कहा कि 1975-77 का आपातकाल 'काला दौर' था, जिसे देश कभी भूल नहीं सकता। मोदी ने लेखन, बहस, विचार-विमर्श और सवालों के जरिए लोकतंत्र को मजबूत बनाने का आह्वान किया और संविधान व लोकतंत्र की रक्षा की प्रतिबद्धता जताई।
इसके साथ ही मोदी ने कांग्रेस पार्टी और उनके नेताओं पर हमला बोला। गांधी-नेहरू परिवार के किसी भी सदस्य का नाम लिए बगैर उन्होंने कहा कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) कांग्रेस की आलोचना करने के लिए काल दिवस नहीं मना रही है, बल्कि युवाओं को आपातकाल के दौरान क्या हुआ, यह बताने के लिए मना रही है।
मोदी ने ट्वीट किया, "भारत आपातकाल को काले दौर के रूप में याद करता है, जिस दौरान हर संस्थान को नष्ट कर दिया गया और डर का माहौल पैदा किया गया। सिर्फ लोगों को ही नहीं, बल्कि विचारों और कलात्मक स्वतंत्रता पर भी बंदिश लगाई गई। युवाओं को पता नहीं है कि तब क्या हुआ था और वे कल्पना नहीं कर सकते कि आजादी के बिना कैसे रहा गया।"
India remembers the Emergency as a dark period during which every institution was subverted and an atmosphere of fear was created. Not only people but also ideas and artistic freedom were held hostage to power politics.
— Narendra Modi (@narendramodi) June 26, 2018
दिलचस्प बात यह है कि मोदी की टिप्पणियां मुंबई में उस जगह की गईं, जहां 28 दिसंबर, 1885 को भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (आईएनसी) की स्थापना की गई थी और इसे 132 साल पहले राष्ट्रवादियों के एक समूह ने ब्रिटिश साम्राज्य के खिलाफ देश के स्वतंत्रता संग्राम को शुरू करने के लिए किया था।
वहीं, इससे एक दिन पहले केंद्रीय मंत्री अरुण जेटली ने तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को हिटलर बताया था और मुंबई में ही भाजपा की सहयोगी शिवसेना की पूर्व महापौर स्नेहल आंबेकर ने मोदी की तुलना जर्मन तानाशाह हिटलर से की।
बिड़ला मातोश्री समागार में एक बैठक को संबोधित करते हुए मोदी ने 25 जून, 1975 को लगाए गए आपातकाल का दृढ़ता से विरोध करने वाले नागरिकों के जज्बे को सराहा।
मोदी ने कहा, "जब भी कांग्रेस और विशेष रूप से यह परिवार -सत्ता खोने की आशंका में घिरता है तो वे चिल्लाना शुरू कर देते हैं और कहने लगते हैं कि देश और लोकतंत्र खतरे में है..भय का एक माहौल है और वे अकेले लोगों को इससे बचा सकते हैं।"
उन्होंने (गांधी) परिवार पर महात्मा गांधी और अन्य नेताओं के प्रयासों द्वारा निर्मित आईएनसी को तोड़ने का आरोप लगाया और कहा कि कैसे सत्ता की भूख के लिए इन्होंने संविधान, संसद, चुनाव, मीडिया, न्यायपालिका सहित सभी लोकतांत्रिक संस्थानों को बर्बाद कर दिया।
मोदी ने कहा कि उन्होंने सबकुछ किया, लेकिन चतुराई से संविधान की सीमाओं में ही बने रहे, लेकिन सालों बाद परिवार ने कभी कल्पना नहीं की थी कि अदालतें उनके खिलाफ भ्रष्टाचार के मुकदमे करेंगी।
इसके अलावा आरएसएस और जनसंघ के खिलाफ बेबुनियाद बातें फैलाई गईं कि वे मुस्लिम विरोधी, दलित विरोधी हैं, यह सब इस परिवार की सत्ता की भूख के लिए रचा गया षडयंत्र है।
उन्होंने कहा, "मैं उन सभी महान महिलाओं और पुरुषों के साहस को सलाम करता हूं जिन्होंने 43 साल पहले लगाए गए आपातकाल का दृढ़ता से विरोध किया था।"
दिवंगत रामनाथ गोयनका और सी.आर. ईरानी और वरिष्ठ पत्रकार कुलदीप नैयर जैसे मीडिया शख्सियतों ने सभी बाधाओं के बाद भी लोकतंत्र के लिए लड़ाई जारी रखी।
उन्होंने कहा कि जिन्होंने संविधान को कुचल दिया और लोकतंत्र को कैद किया, उनपर भरोसा नहीं किया जा सकता है और अब वे आरोप लगा रहे हैं कि मोदी संविधान को नष्ट कर देगा। उन्होंने आश्वासन दिया कि हम अलग हैं।
मोदी ने भारतीय लोकतंत्र को मजबूत बनाने की दिशा में काम करने का आग्रह किया।
मोदी ने कहा, "हमें अपने लोकतांत्रिक लोकाचार को मजबूत करने के लिए निरतंर काम करना होगा। लेखन, बहस, चर्चा और सवाल हमारे लोकतंत्र के महत्वपूर्ण पहलू हैं, जिन पर हमें गर्व है। कोई भी ताकत हमारे संविधान के बुनियादी सिद्धांतों को कमजोर नहीं कर सकती।"
देश में आपातकाल 21 मार्च, 1977 तक रहा था। इसके बाद हुए आम चुनाव में इंदिरा गांधी के नेतृत्व में कांग्रेस को करारी हार का सामना करना पड़ा था।


