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पीएम मोदी मणिपुर पर संसद के अंदर बोलने से डरते हैं : कांग्रेस

मणिपुर हिंसा पर विस्तृत चर्चा की मांग के बीच संसद के दोनों सदनों के स्थगित होने के बाद कांग्रेस ने भाजपा सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सदन के अंदर बोलने से डरते हैं

पीएम मोदी मणिपुर पर संसद के अंदर बोलने से डरते हैं : कांग्रेस
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नई दिल्ली। मणिपुर हिंसा पर विस्तृत चर्चा की मांग के बीच संसद के दोनों सदनों के स्थगित होने के बाद कांग्रेस ने सोमवार को भाजपा सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सदन के अंदर बोलने से डरते हैं।

पार्टी मुख्यालय में एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए कांग्रेस के लोकसभा सांसद गौरव गोगोई ने कहा : "यदि आप पिछले कुछ दिनों में संसद के अंदर भाजपा की गतिविधियों को देखें, तो यह स्पष्ट है कि प्रधानमंत्री सदन के अंदर मणिपुर पर बोलने से डरते हैं।"

उन्होंने कहा, ''वह (मोदी) संसद के अंदर इस मुद्दे पर बहस करने से डर रहे हैं। हमने सत्तापक्ष के मंत्रियों को यह कहते हुए सुना है कि वे चर्चा के लिए तैयार हैं, हमने भी कहा है कि हम चर्चा के लिए तैयार हैं। मगर एकमात्र व्यक्ति, जिसने संसद के अंदर मणिपुर पर कुछ नहीं कहा, वह हैं प्रधानमंत्री मोदी।''

उन्होंने कहा कि यह बिल्कुल साफ है कि प्रधानमंत्री का संसद के अंदर मणिपुर का मुद्दा उठाने का कोई इरादा नहीं है।

कांग्रेस नेता ने कहा कि मोदी ही बेहतर जानते होंगे कि क्या यह उनकी केंद्र सरकार और राज्य सरकार के घोर कुप्रबंधन का नतीजा हैै कि मणिपुर ढाई महीने से जल रहा है, डेढ़ सौ से ज्‍यादा लोग मारेे जा चुके हैं, सैकड़ों घर जला दिए गए हैं, महिलाओं का सरेेआम उत्‍पीड़न किया जा रहा है। शासन-प्रशासन विफल हो चुके हैं। मगर उनके पास इस बात का कोई जवाब नहीं है कि वह मणिपुर के मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह को पद पर क्यों बने रहने दे रहे हैं।

उन्होंने कहा कि मोदी के पास कोई जवाब नहीं है और इसीलिए जैसा कि कांग्रेस के राज्यसभा सांसद शक्तिसिंह गोहिल ने कहा, संसद सत्र की शुरुआत में प्रधानमंत्री ने संसद के बाहर मीडिया से कुछ शब्द कहे, बस इतना ही। संसद के अंदर कुछ नहीं।

उन्होंने कहा, “उनके पास कहने के लिए और कुछ नहीं है। प्रधानमंत्री संसद के अंदर बोलने से इतने अनिच्छुक, इतने डरे हुए क्यों हैं? वह संयुक्त राज्य अमेरिका जा सकते हैं और अमेरिकी कांग्रेस या संसद के उनके संस्करण में अमेरिकी नीति निर्माताओं के संयुक्त सत्र को संबोधित कर सकते हैं, लेकिन वह हमारे देश की संसद के अंदर नहीं बोल सकते... वह फ्रांस जा सकते हैं और इमैनुएल मैक्रॉन को गले लगा सकते हैं, लेकिन वह मणिपुर नहीं जा सकते और दुष्‍कर्म पीड़िताओं का सामना नहीं कर सकते, उन हिंसा पीड़ितों को गले नहीं लगा सकते, जिन्होंने अपने परिवार के सदस्यों को खो दिया है।”

उन्होंने यह भी कहा कि खासकर केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के आज के बयान से बिल्कुल स्पष्ट है कि भाजपा प्रधानमंत्री को संसद के अंदर बोलने से बचा रही है, वे सिर्फ एक प्रतीकात्मक चर्चा, छोटी अवधि की चर्चा चाहते हैं।

गोगोई ने कहा, "वे मणिपुर को एक सामान्य कानून और व्यवस्था के मुद्दे के रूप में देखना चाहते हैं, और वे 193 के तहत या राज्यसभा में अलग नियम के तहत नियमित चर्चा करना चाहते हैं, जहां सभापति या स्पीकर समय कम कर सकते हैं और व्यापक आधार पर चर्चा करने के बजाय, हम भारत के लोग प्रधान मंत्री से पूछते हैं कि उन्होंने मणिपुर का दौरा क्यों नहीं किया... वह इस सरकार को जारी रखने की अनुमति क्यों दे रहे हैं, हमें इन सवालों को प्रधानमंत्री के सामने उठाने या उनके जवाब सुनने की अनुमति नहीं दी जाएगी।"

इस बीच, सोमवार को दोनों सदन स्थगित होने के बाद मीडिया से बात करते हुए कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने भी दूसरे राज्यों की घटनाओं की तुलना मणिपुर से करने पर भाजपा की आलोचना की।

खड़गे ने कहा, ''किसी अन्य राज्य की तुलना मणिपुर से क्यों करें। वहां कोई कानून-व्यवस्था नहीं है, ऐसी बातें पिछले 80 दिनों से चल रही हैं। वे अपनी कमजोरी छुपाने के लिए ऐसा कर रहे हैं, फिर दूसरे राज्यों का उदाहरण क्यों लें।''

उन्होंने यह भी कहा कि आपको वहां (संबंधित राज्यों में) बोलने का अधिकार है, वहां आपके लोग हैं। राज्यसभा में विपक्ष के नेता ने कहा, "हमें यहां संसद में सवाल उठाने का अधिकार है, इसलिए हम बोल रहे हैं।"


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