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पीएम मोदी का राष्ट्र के नाम संबोधन एक नया जुमला: माकपा

मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के महासचिव सीताराम येचुरी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के राष्ट्र के नाम संबोधन को एक और जुमला बताया

पीएम मोदी का राष्ट्र के नाम संबोधन एक नया जुमला: माकपा
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नयी दिल्ली । मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के महासचिव सीताराम येचुरी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के राष्ट्र के नाम संबोधन को एक और जुमला बताया है और कहा है कि उन्होंने इसमें कोई नई घोषणा नहीं की है बल्कि पहले की गई उनकी घोषणाओं का ही यह दूसरा हिस्सा है।

येचुरी ने श्री मोदी की मंगलवार की घोषणाओं पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि 2019 के चुनाव में ही श्री मोदी ने यह घोषणा की थी कि 14 करोड़ किसानों को तीन किस्तों में दो हज़ार रुपये दिए जाएंगे। कल की घोषणा उसी पुरानी घोषणा का दूसरा हिस्सा है। श्री मोदी ने कल घोषणा की कि नौ करोड़ किसानों को 18 हज़ार करोड़ रुपये दिए गए लेकिन बाकी बचे पाचं करोड़ और किसानों का क्या होगा। इस तरह श्री मोदी का यह भाषण और एक जुमला साबित हुआ।उन्होंने कहा कि खाद्य सुरक्षा कानून के तहत हर महीने 43 लाख टन अनाज का आवंटन किया जाता है और अगर पांच किलो ग्राम चावल या गेंहू अतिरिक्त दिया जाएगा तो इसके लिए आवंटन दोगुना किया जाना चाहिए लेकिन ऐसा नहीं किया गया और अप्रैल तथा मई में तो अनाजों का आवंटन क्रमश: महज 26 लाख टन और 29 लाख टन ही हुआ।

उन्होंने कहा कि कोरोना काल के दौरान 14 करोड़ लोगों ने अपनी नौकरियां गंवाई हैं तथा आठ करोड़ लोग पिछले दो माह से सड़कों पर है लेकिन श्री मोदी ने अपनी घोषणा में इनके बारे में एक शब्द नहीं कहा है। माकपा महासचिव ने यह भी कहा कि महज पांच किलोग्राम गेहूं या चावल देने से गरीबों की जरूरत पूरी नहीं हो जाती इसलिए हमने छह माह तक उन्हें 10 किलोग्राम अनाज मुफ्त देने की मांग की थी और छह माह तक हर महीने 7500 रुपये सीधे उनके बैंक खाते में भेजने की मांग की थी लेकिन उन्होंने जन धन योजना के तहत केवल 500 रुपये देने का ऐलान किया जो काफी नगण्य है ।

माकपा नेता ने कहा कि प्रधानमंत्री ने कोविड-19 के लिए जो एक निजी केयर फंड बनाया है उसमें जमा पैसों से अगर वह गरीबों की मदद करते तो उन्हें काफी राहत मिल जाती लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया। इससे यह एक बार और सिद्ध होता है कि उन्होंने जो कुछ कहा, वह हमेशा की तरह इस बार भी एक जुमला था और कुछ नहीं।


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