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कोरोना के मरीजों के इलाज में होगा प्लाज्मा थैरेपी का प्रयोग

भारत में केरल के प्रतिष्ठित श्री चित्रा तिरुनाल इंस्टीट्यूट ऑफ़ मेडिकल साइंसेज में कोरोना वायरस (कोविड-19) की चुनौती से निपटने के लिए कोन्वेलेसेंट प्लाज्मा थैरेपी का प्रयोग किया जाएगा

कोरोना के मरीजों के इलाज में होगा प्लाज्मा थैरेपी का प्रयोग
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तिरुवनंतपुरम। भारत में केरल के प्रतिष्ठित श्री चित्रा तिरुनाल इंस्टीट्यूट ऑफ़ मेडिकल साइंसेज में कोरोना वायरस (कोविड-19) की चुनौती से निपटने के लिए कोन्वेलेसेंट प्लाज्मा थैरेपी का प्रयोग किया जाएगा।

इस संस्थान की निदेशक डाॅ आशा किशोर ने गुरुवार को इसकी जानकारी देते हुए कहा, “ भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) ने इस परियोजना के लिए आवश्यक मंजूरी दे दी है। इसका पहले क्लीनिकल ट्रायल होगा जिसमें ठीक हुए मरीजों के रक्त का प्लाज्मा का इस्तेमाल कोविड-19 से गंभीर रूप से प्रभावित मरीजों के इलाज में किया जाएगा।”
डॉ आशा किशोर ने कहा, “ ड्रग्स कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया और नीति समिति से मंजूरी मिलने के बाद हम अप्रैल के अंत तक इसका ट्रायल शुरू कर देंगे।”

इस परियोजना के तहत कोरोना से ठीक हुए मरीजों के रक्त का प्लाज्मा को कोविड-19 के गंभीर रूप से बीमार मरीजों को चढ़ाया जाएगा।

दरअसल, प्लाज्मा रक्त का एक घटक होता है। जब कोई व्यक्ति कोरोना वायरस से ठीक होता है तो उसके शरीर में महामारी फैलाने वाले वायरस के प्रति एंटीबॉडी बन जाती है। प्लाज्मा के जरिये वो एंटीबॉडीज निकालकर संक्रमित मरीज में चढ़ाई जाती है। इससे मरीज की प्रतिरोधक क्षमता मजबूत होती है और वायरस के खिलाफ मजबूती से लड़ सकती है। हालांकि यह काफी जटिल प्रक्रिया है, लेकिन जिन मरीजों पर इसका इस्तेमाल किया गया है उन्हें इससे तुरंत राहत मिली है।

डॉ आशा किशोर ने बताया कि इस परियोजना की लागत करीब 25 करोड़ रुपये है, राज्य सरकार और पांच मेडिकल कॉलेजों से अनुमति मिलने के बाद डॉ देवाशीष गुप्ता के नेतृत्व में इसे क्रियान्वित किया जाएगा।


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