जेवर एयरपोर्ट तक मेट्रो के बजाय पॉड कार चलाने की योजना
मेट्रो के बजाय देश में अब न्यू पब्लिक ट्रांसपोट्रेशन सिस्टम पर काम चल रहा है

ग्रेटर नोएडा। मेट्रो के बजाय देश में अब न्यू पब्लिक ट्रांसपोट्रेशन सिस्टम पर काम चल रहा है। यमुना एक्सप्रेस-वे औद्योगिक विकास प्राधिकरण इस तर्ज पर शहर में मेट्रो के बजाय पर्सनल रैपिड ट्रांजिट सिस्टम के तहत पॉड कार चलाने की योजना तैयार कर रहा है।
यमुना एक्सप्रेस-वे के बराबर ग्रेटर नोएडा वे जेवर एयरपोर्ट तक पॉड कार का ट्रैक तैयार किया जाएगा। हालांकि भारत में अभी तक किसी भी शहर में पॉड कार नहीं चल रही है। पॉड कार को लेकर बैगलूरू व गुडगांव में सर्वे चल रहा है। पॉड कार को लेकर प्राधिकरण भी सर्वे कराने के लिए जल्द ही एजेंसी का चयन करेगी। इसका प्रस्ताव आगामी बोर्ड बैठक में रखा जाएगा।
यमुना एक्सप्रेस-वे औद्योगिक विकास प्राधिकरण ने एक्सप्रेस-वे के बराबर ग्रेटर नोएडा से जेवर एयरपोर्ट तक 38 किलोमीटर लंबा मेट्रो ट्रैक तैयार करना का प्रस्ताव तैयार कर रहा था। प्राधिकरण अब मेट्रो के बजाय पर्सनल रैपिड ट्रांजिट सिस्टम के तहत पॉड करने चलाने पर योजना तैयार कर रहा है। मेट्रो के बजाय पॉड कार चलाने पर लागत कम आएगी।
मेट्रो पर एक किलोमीटर ट्रैक तैयार करने पर 280 करोड़ रुपए खर्च होता है, जबकि पॉड कार का एलीवेटेड ट्रैक तैयार करने पर 50 से 60 करोड़ रुपए प्रति किलोमीटर खर्च आएगा। पॉड कार पूरी तरह ऑटोमैटिक व चालक रहित होता है। इसमें स्माल पाटर्स व केबिन कार होता है। एक केबिन में तीन से छह लोगों के बैठक की क्षमता होती है।
130 किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार से पॉड कार चलती है। पॉड कार अभी नीदरलैंड, दुबई, आबूधाबी, लंदन व साउथ कोरिया में चलती है। साउथ कोरिया में 2014 में पॉड कर चली है। केंद्र सरकार की नीति आयोग ने पर्सनल ट्रैपिड ट्रांजिट सिस्टम के तहत पॉड कार चलाने पर विचार किया है।
यमुना एक्सप्रेस-वे प्राधिकरण के मुख्य कार्यपालक अधिकारी डॉ. अरूणवीर सिंह ने बताया कि पॉड कार को लेकर योजना तैयार की जा रही है। सर्वे के लिए जल्द ही एजेंसी का चयन किया जाएगा। सर्वे देखा जाएगा कि मेट्रो के बजाय पॉड कार चलाने प्राधिकरण व शहर के लिए कितना फायदेमंद होगा।


