हाथियों से बचाने मधुमक्खियों का सहारा लेने की योजना
हाथियों को आबादी क्षेत्र में आने से रोकने और जंगल में मौजूदगी पर उत्पात कम करने के लिये वन विभाग मधुमक्खियों का सहारा लेने की योजना पर काम करने की तैयारी कर रहा है
कोरबा। हाथियों को आबादी क्षेत्र में आने से रोकने और जंगल में मौजूदगी पर उत्पात कम करने के लिये वन विभाग मधुमक्खियों का सहारा लेने की योजना पर काम करने की तैयारी कर रहा है। मधुमक्खियों से हाथियों को लगने वाले डर के कारण विभाग का मानना है कि इससे उसकी हरकतों पर लगाम लगेगी व जान-माल का खतरा कम होगा।
उल्लेखनीय है कि कोरबा वनमंडल के कोरबा, कुदमुरा, करतला, कोरकोमा आदि वन परिक्षेत्र हाथियों से काफी प्रभावित हैं। यहां बीते दो दशक से लेकर अब तक 49 ग्रामीणों को हाथियों ने मौत के घाट उतारा है। हाल ही में एक माह के भीतर आधा दर्जन जान हाथी ने ले ली। इनकी लगातार मौजूदगी दहशत का सबब बनी हुई है। हाथियों को खदेड़ने और गांव में आने से रोकने के लिए तमाम उपाय निरर्थक साबित हुए हैं तो दूसरी ओर बड़ी योजनाओं पर काम तक शुरू नहीं हो सका है।
ऐसे में नवपदस्थ वनमंडलाधिकारी एस. वेंकटाचलम ने अपने अभिनव प्रयास के तहत व हाथियों के स्वभाव को समझते हुए मधुमक्खियों का सहारा लेने की योजना बनाई है। चर्चा में डीएफओ ने बताया कि मधुमक्खी का छत्ता देख हाथी डर जाते हैं। मधुमक्खी इनके आंख के किनारे काटकर जख्म देती है या कान में घुसकर तकलीफ पहुंचाती हैं। जहां मधुमक्खियां रहती हैं वहां जाने से हाथी घबराते हैं।
इसके दृष्टिगत योजना है कि वन क्षेत्रों में मधुमक्खियों के पालन व छत्ता लगाने पर कार्य किया जाएगा। साथ ही आबादी ग्रामीण क्षेत्र में छत्ता खतरे से खाली नहीं होगा इसलिए यहां छत्ते की शक्ल का मॉडल लगाया जाएगा ताकि इसे देखकर भयवश हाथी आसपास न फटकें। अफ्रीका में सर्वाधिक हाथी पाये जाते हैं और वहां के रहवासी क्षेत्रों में यह पद्धति अपनायी जाती है। इसके अलावा मिर्ची की खेती को भी प्रोत्साहित करने की योजना है। डीएफओ ने बताया कि झुण्ड से बिछड़े दंतैल आतंक का पर्याय बनते हैं इसलिए इसे वापस झुण्ड में मिलने का भी प्रयास जारी है।
दो दलों में बंटे हाथी, दहशत
करतला वन परिक्षेत्र के जंगलों में हाथियों की मौजूदगी लगातार बनी हुई है। हाथी जान-माल को भारी नुकसान पहुँचा रहे हैं। मंगलवार को जहां 40 से अधिक हाथियों का दल एक साथ घोटमार व बोतली गांव के निकट जंगल मेंं देखा गया वही दल आज फिर दो झुंड में बंट गया है। सूत्रों के मुताबिक एक झुंड में 10 शावक समेत लगभग 30 से 35 हाथी हैं, जबकि दूसरे में 13 हाथी शामिल हंै। गजराजों का दल तहसील मुख्यालय करतला के नजदीकी गांव चांपा के आसपास देखा गया है।


