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बिल्डरों के बस में नहीं 50 हजार खरीदार को फ्लैट देना

दिसंबर तक नोएडा-ग्रेटर नोएडा में 50 हजार फ्लैट्स देने के योगी सरकार के फरमान को पूरा करने के लिए बिल्डर्स ने अब सरकार के सामने अपनी मांग रखी है

बिल्डरों के बस में नहीं 50 हजार खरीदार को फ्लैट देना
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नोएडा। दिसंबर तक नोएडा-ग्रेटर नोएडा में 50 हजार फ्लैट्स देने के योगी सरकार के फरमान को पूरा करने के लिए बिल्डर्स ने अब सरकार के सामने अपनी मांग रखी है। वह यह है कि एनजीटी के आदेश पर तीन साल कंंस्ट्रक्शन रूका था उसे जीरो पीरियड घोषित किया जाए। इस दौरान प्राधिकरण पर बिल्डर्स को जो भी बकाया हो माफ किया जाए। बिल्डर की मांग को लेकर पहले ही प्राधिकरण अपनी मंशा साफ कर चुकी है। वित्तीय स्थिति को देखते हुए प्राधिकरण एक रुपए भी माफ करने में मूड नहीं है।

नोएडा-ग्रेटर नोएडा में अपने घर को पाने के लिए तरस रहें खरीदारों का इंतजार खत्म होने का नाम नहीं ले रहा है। अब बिल्डरों की संस्था के्रडाई ने योगी सरकार के सामने अपनी कुछ मांग रखी है। बिल्डरों का कहना है कि एनजीटी और नोएडा ऐक्स्टेंशन के मामलों के चलते करीब 3 साल तक जो कंस्ट्रशन रूका था उसे जीरो पीरियड घोषित किया जाएं। उस दौरान प्राधिकरण पर जो बिल्डर्स का बकाया है उसे माफ कर दिया जाए। बिल्डरों का कहना है कि दिसम्बर तक लोगों को घर देना है तो ये करना ही होगा। दरअसल के्रडाई जिसे जीरो पीरियड बात कर रहीं है इसमें ग्रेटर नोएडा और नोएडा मिला कर करीब 70 के आस पास ऐसे परियोजना है जिन पर करीब 36 फीसदी ब्याज अतिरिक्त बकाया है।

जानकारों के मुताबिक बिल्डर्स की यह डिमांड जायज है और इसके लिए रास्ते खुले हुए हैं। इससे एक बात तो साफ है की योगी सरकार ने अगर बिल्डर्स की मांग नहीं मानी तो बिल्डर्स 50 हजार का टारगेट पूरा करने में असमर्थ है और अगर मांग मान भी ली तो इसका समाधान अलगे 6 महीने तक आना मुश्किल है। ऐसे में परेशान घर खरीदार के लिए योगी सरकार का फरमान कितनी राहत देगा इस पर संशय है। जीरो पीरियड को लेकर मांग पहले भी उठती आई है। लेकिन प्राधिकरण हर बार उनकी मांग को खारिज करता आया है। दरअसल, प्राधिकरण पर बिल्डरों का करीब 25 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा का बकाया है।

बकाया की वजह भी स्पष्ट है बिल्डरों ने भूखंड आवंटन के दौरान प्राधिकरण को कुल भूखंड का 10 प्रतिशत जमा किया। बाकी किश्ते बना दी गई। लेकिन किस्तों का भुगतान नहीं किया गया। जिस समय को जीरो पीरियड घोषित करने की मांग की जा रही है। उस दौरान ब्याज का ही कई सौ करोड़ रुपए का बकाया है। ऐसे में प्राधिकरण पहले भी जीरो पीरियड घोषित करने के पक्ष में नहीं था और अब भी नहीं है।


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