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पीयूष गोयल ने कहा- "किसानों से चर्चा करके ही बनाए गए नये कृषि कानून"

रेलमंत्री पीयूष गोयल ने नये कृषि कानूनों पर किसानों की सलाह नहीं लेने के आरोपों को सिरे से खारिज करते हुए एक बड़ा बयान दिया है

पीयूष गोयल ने कहा- किसानों से चर्चा करके ही बनाए गए नये कृषि कानून
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नई दिल्ली। रेलमंत्री पीयूष गोयल ने नये कृषि कानूनों पर किसानों की सलाह नहीं लेने के आरोपों को सिरे से खारिज करते हुए एक बड़ा बयान दिया है। गोयल ने शुक्रवार को कहा कि किसानों से कृषि कानूनों के प्रावधान पर चर्चा कर ये कानून बनाये गये हैं। केंद्रीय मंत्री गोयल ने एक ट्वीट के जरिए कहा, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी की सरकार ने कृषि सुधारों पर शुरू से ही, सभी से चर्चा की है। राज्यों को मॉडल कानून भेजे गये, मुख्यमंत्रियों से चचार्एं की गयीं।

उन्होंने आगे कहा, डेढ लाख प्रशिक्षण और वेबिनार सेशन द्वारा किसानों से कृषि कानूनों के प्रावधान पर चर्चा कर ये कानून बनाये गये हैं।

केंद्र सरकार द्वारा कोरोना काल में लागू तीन कृषि कानूनों को लेकर यह आरोप लगाया जाता है कि सरकार ने कानून बनाने से पहले किसानों की राय नहीं ली। इन तीनों कानूनों को रद्द करने की मांग को लेकर दिल्ली की सीमाओं पर किसानों का आंदोलन बीते तीन सप्ताह से ज्यादा समय से चल रहा है। ऐसे में रेलमंत्री का यह बयान काफी अहम है।

पीयूष गोयल केंद्र सरकार में रेलवे, वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के अलावा उपभोक्ता मामले, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्रालय की जिम्मेदारी भी संभाल रहे हैं और किसानों से न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर धान और गेहूं की जो देशभर में व्यापक पैमाने पर खरीद उन्हीं के मंत्रालय के माध्यम से होती है।

किसानों की समस्याओं को लेकर आंदोलन की राह पकड़े किसान नेता एमएसपी पर उन सभी फसलों की खरीद की गांरटी की मांग कर रहे हैं जिनके लिए सरकार एमएसपी की घोषणा करती हैं। सरकार हर साल 23 फसलों के लिए एमएसपी की घोषणा करती है।

रेलमंत्री गोयल से पहले केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर भी किसान संगठनों के इस आरोप का खंडन कर चुके हैं। तोमर ने कुछ ही दिनों पहले बातचीत में कहा था, ऐसा नहीं है कि किसानों से सलाह नहीं ली गई, नये कृषि सुधार को लेकर काफी पहले से चर्चा चली आ रही है।

उन्होंने कहा, देश में 14-15 करोड़ किसान हैं और जब कोई भी कानून बनता है तो हरेक से सलाह लेना तो संभव नहीं है, लेकिन इसकी एक प्रक्रिया है और स्वामीनाथन साहब (डॉ. एम.एस. स्वामीथानथन) ने सलाह लेने में कई वर्ष लगाए। राष्ट्रीय किसान आयोग ने सलाह लेने में कई साल लगाए। किसानों के प्रतिनिधियों से बातचीत की गई। फिर एपीएमसी मॉडल एक्ट बना और वह राज्यों के पास भेजा गया। उस पर बहस हुई। इस तरह यह कहना ठीक नहीं है कि सलाह नहीं ली गई।

तोमर ने गुरुवार को किसानों के नाम एक भावुक पत्र लिखा था जिसमें तीनों कानूनों में किसानों के हितों के लिए किए गए उपायों समेत मोदी सरकार द्वारा कृषि क्षेत्र की उन्नति की दिशा में उठाए गए कदमों का जिक्र किया है। सरकार की ओर 100 पृष्ठ का एक ई-बुकलेट भी जारी किया गया है जिसमें नए सुधारों से किसानों को हो रहे फायदे के बारे में प्रकाश डाला गया है।


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