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विपक्षी नेताओं की फोन टैपिंग

महुआ मोइत्रा समेत कई बड़े नेताओं के फोन सरकार द्वारा टैप करने का विवाद एक बार फिर खड़ा हो गया है

विपक्षी नेताओं की फोन टैपिंग
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महुआ मोइत्रा समेत कई बड़े नेताओं के फोन सरकार द्वारा टैप करने का विवाद एक बार फिर खड़ा हो गया है। मंगलवार को एक प्रेस कांफ्रेंस में राहुल गांधी ने यह बात सामने लाई है। दरअसल प्रसिद्ध फोन निर्माता कम्पनी 'एप्पल' का इस्तेमाल करने वाले कई ऐसे विपक्षी नेताओं को कम्पनी की ओर से ईमेल मिला है कि जिसमें चेतावनी दी गई है कि उनके फोन राज्य समर्थित हमलावर (स्टेट स्पॉंसर्ड अटैकर्स) द्वारा टैप हो रहे हैं। अनेक विपक्षी नेताओं ने इसकी पुष्टि भी की है। राहुल ने इस बारे में कहा है कि 'उन्हें इसका कोई फर्क नहीं पड़ता और सरकार चाहे तो बेशक उनका फोन लेकर जा सकती है', परन्तु यह न केवल निजता का हनन है बल्कि लोकतंत्र में विरोध की आवाज को दबाने की भी कोशिश है जिसका विरोध किया जाना चाहिये।

मंगलवार को कई विपक्षी नेताओं ने दावा किया कि उन्हें अपने आईफोन पर एक अलर्ट प्राप्त हुआ, जिसमें बताया गया है कि 'राज्य प्रायोजित हमलावर उनके फोन से छेड़छाड़ करने की कोशिश कर रहे हैं।' हालांकि इसकी प्रतिक्रिया में एप्पल ने कहा है कि वह खतरे से आगाह कर रही है परन्तु इसके लिये किसी भी राज्य-प्रायोजित हमलावर विशेष को जिम्मेदार नहीं ठहरा रही है। अलबत्ता उसका कहना है कि 'ऐसे हैकर्स वित्तीय रूप से बहुत अच्छे से पोषित और परिष्कृत हैं'। कम्पनी के अनुसार 'ऐसे हमलों का पता लगाना कुछ गुप्त संकेतों पर निर्भर करता है जो ज्यादातर आधे-अधूरे होते हैं। बयान में यह भी साफ किया गया है कि संभव है कि कुछ सूचनाएं गलत चेतावनी हो सकती हैं या कुछ हमलों का पता न चल पाए।' कंपनी ने यह भी कहा है कि 'वह इस बारे में जानकारी देने में असमर्थ है कि किस कारण से उसे एलर्ट जारी करना पड़ा है क्योंकि इससे राज्य प्रायोजित हमलावर भविष्य में और सावधान होकर काम करेंगे।'

इस जानकारी के सार्वजनिक होने से हड़कम्प मच गया है। उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और समाजवादी पार्टी के नेता अखिलेश यादव ने भी इस बात की पुष्टि की है कि उनका डिवाइस हैक हो रहा है या उसकी निगरानी हो रही है। ऐसे ही, मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के नेता सीताराम येचुरी को भी सोमवार की रात एप्पल से एक ई-मेल मिला। उसमें भी सावधान किया गया है कि 'उनके फोन की 'राज्य-प्रायोजित निगरानी' की जा रही है और उनका फ़ोन और सभी सिस्टम हैक हो रहे हैं।' वैसे कम्पनी द्वारा इस हैकिंग से निपटना मुश्किल बताया गया है। तृणमूल कांग्रेस की सांसद महुआ मोइत्रा, शिवसेना (उद्धव गुट) की प्रियंका चतुर्वेदी, कांग्रेस के लोकसभा सदस्य शशि थरूर, कांग्रेस पार्टी के मीडिया प्रमुख पवन खेड़ा, आम आदमी पार्टी के सांसद राघव चड्ढा, एआईएमआईएम के असदुद्दीन ओवैसी आदि ने भी ऐसी ही चेतावनी मिलने की पुष्टि की है। कुछ लोगों ने स्क्रीनशॉट भी शेयर किये हैं जिसके बाद शक की गुंजाईश नहीं रह जाती है कि यह काम केन्द्र सरकार की ओर से ही हो रहा है। अब तक सरकार की ओर से कोई बयान न आना भी उसे शक के घेरे में डालता है। आखिरकार भारत के प्रतिपक्षी नेताओं के फोन टैपिंग में और किस देश की सरकार की रुचि हो सकती है?

राहुल गांधी ने इस बात को और स्पष्ट किया है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के कारोबारी मित्र गौतम अदानी के खिलाफ बोलने के कारण ही उनके फोन को टैप किया जा रहा है। उनकी बात में इसलिये दम दिखता है क्योंकि जितने लोगों को भी निर्माता कम्पनी द्वारा फोन टैपिंग की चेतावनी वाले ईमेल मिले हैं वे न केवल विपक्ष के हैं वरन बेहद मुखर भी हैं और अदानी के विरूद्ध आवाज भी उठाते रहे हैं। उनके द्वारा मोदी सरकार की आलोचना के अंतर्गत अदानी प्रमुख विषय होते ही हैं। अपने फोन की टैपिंग के एलर्ट का संदेश देने वाले ईमेल की प्रति दिखाते हुए राहुल ने यह भी कहा कि देश में मोदी के भी ऊपर अदानी हैं। हालांकि उन्होंने एक बार फिर से इस बात की घोषणा कर दी कि चाहे जो हो जाये, वे अदानी-मोदी के कथित घोटालों को उठाते रहेंगे।

उल्लेखनीय है कि पहले भी भारत सरकार पर यह आरोप लग चुका है कि उसने इज़रायल से पैगासस नामक जासूसी उपकरण खरीदा है जिसके जरिये देश के अनेक लोगों के फोन टैप कराये जा रहे हैं। ऐसे में जिन लोगों के नाम सामने आये थे उनमें सिर्फ विपक्षी दल के नेता ही नहीं बल्कि नितिन गडकरी जैसे कुछ उनके अपने मंत्रिमंडल के वरिष्ठ सहयोगी भी थे। उनमें कुछ पत्रकार और यहां तक कि भूतपूर्व न्यायाधीश के नाम भी सामने आये थे। हालांकि उस समय भी सरकार ने इस बात से इंकार किया था कि वह किसी के फोन टैप करा रही है लेकिन उसका खुलासा जिस प्रामाणिक ढंग से हुआ था, उससे शक की कोई गुंजाईश नहीं रह जाती थी। सम्भवतया मामला उठने के बाद उतने ही गुपचुप तरीके से उसका इस्तेमाल रोक भी दिया गया होगा। हालांकि कोई इस बात को दावे के साथ नहीं कह सकता कि वह जासूसी रोक दी गई होगी।

जो भी हो, यह एक गम्भीर मसला है और सरकार को चाहिये कि इस बात की गहराई से और पारदर्शितापूर्वक जांच कर इसकी रिपोर्ट जनता के सामने लाए। हालांकि इसकी मोदी सरकार से इसकी उम्मीद करना बेकार है। सम्भव है कि सरकार इस पर मौन धारण कर ले और आतंक फैलाने हेतु यह भ्रम बनाकर रखे कि विपक्षियों के फोन टैप हो रहे हैं।


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