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एमएचए की दो उच्च स्तरीय बैठकों में पीएफआई के छापे की योजना थी

जांच एजेंसियों एनआईए और ईडी ने पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) के परिसरों पर छापेमारी कर देश भर के विभिन्न राज्यों के 100 से ज्यादा पीएफआई नेताओं और पदाधिकारियों को गिरफ्तार करने वाली पूरी कार्रवाई की योजना पर पहले से चर्चा की गई थी

एमएचए की दो उच्च स्तरीय बैठकों में पीएफआई के छापे की योजना थी
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नई दिल्ली। जांच एजेंसियों एनआईए और ईडी ने पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) के परिसरों पर छापेमारी कर देश भर के विभिन्न राज्यों के 100 से ज्यादा पीएफआई नेताओं और पदाधिकारियों को गिरफ्तार करने वाली पूरी कार्रवाई की योजना पर पहले से चर्चा की गई थी। सूत्रों की माने तो केंद्रीय एजेंसियों के साथ एमएचए अधिकारियों की दो उच्च स्तरीय बैठकों में विस्तार से चर्चा हुई। एनआईए से जुड़े सूत्रों ने जानकारी दी है कि केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने 29 अगस्त को एनआईए, ईडी और आईबी के अधिकारियों के साथ एक अहम बैठक की थी। उस बैठक में राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल और गृह सचिव अजय कुमार भल्ला भी मौजूद थे। सभी संबंधित एजेंसियों के अधिकारियों को पीएफआई के खिलाफ सबूतों के साथ रिपोर्ट तैयार करने को कहा गया। बैठक में पीएफआई से जुड़े लोगों के खिलाफ कार्रवाई के निर्देश दिए गए।

इसके बाद जब सभी केंद्रीय एजेंसियों ने तैयारी पूरी कर ली तो 19 सितंबर को गृह मंत्रालय के अधिकारियों और जांच एजेंसियों के अधिकारियों की बैठक हुई। सभी एजेंसियों को समन्वय से छापेमारी करने का आदेश दिया गया। इसके बाद बुधवार और गुरुवार को रात 1 बजे से सुबह 7 बजे के बीच देश के करीब 11 राज्यों में पीएफआई कैडरों के घरों और दफ्तरों पर छापेमारी की गई। ऐसा रात में इसलिए किया गया ताकि छापेमारी करने वाली टीमों को विरोध का सामना न करना पड़े।

जानकारी के मुताबिक इस पूरी कार्यवाही में जांच एजेंसियों के 250 से ज्यादा अधिकारी और कर्मचारी शामिल थे। एनआईए ने पीएफआई के राष्ट्रीय अध्यक्ष ओएमएस सलाम और दिल्ली पीएफआई प्रमुख परवेज अहमद को भी गिरफ्तार किया है। इन सभी लोगों पर आतंकी कैंप आयोजित करने, टेरर फंडिंग और लोगों को कट्टरता सिखाने का आरोप लगाया गया है।

दरअसल, एनआईए और एमएचए लंबे समय से पीएफआई की गतिविधियों पर नजर रखे हुए थे। 2017 में, एनआईए ने गृह मंत्रालय को सौंपी अपनी विस्तृत रिपोर्ट में, आतंकवादी गतिविधियों में शामिल होने के लिए पीएफआई पर प्रतिबंध लगाने की मांग की थी। कई राज्यों ने फ्रंट (पीएफआई) पर प्रतिबंध लगाने की भी मांग की है।

सूत्रों के मुताबिक एनआईए ने 19 सितंबर को आंध्र प्रदेश और तेलंगाना में छापेमारी के बाद चारों आरोपियों की गिरफ्तारी के संबंध में रिपोर्ट दाखिल की थी। रिपोर्ट में कहा गया था कि पीएफआई आतंकी गतिविधियों की साजिश रचने की कोशिश कर रहा है। वहीं पीएफआई के जरिए बिहार के फुलवारी शरीफ में गजवा-ए-हिंद स्थापित करने की साजिश रची जा रही थी, जहां हाल ही में एनआईए ने छापेमारी की थी।

इसके अलावा एनआईए ने हाल ही में कराटे शिक्षक अब्दुल कादर को तेलंगाना के निजामाबाद से गिरफ्तार किया था। उसके कबूलनामे से खुलासा हुआ कि कराटे सिखाने की आड़ में लोगों को आतंकी बनाने की ट्रेनिंग दी जा रही थी। एनआईए को पीएफआई के ऐसे कई ठिकानों की जानकारी थी। पीएफआई से जुड़े विवाद नए नहीं हैं। हाल के दिनों में इसका नाम कई देश विरोधी गतिविधियों में सामने आया है।

किसानों के आंदोलन के दौरान पीएफआई की ओर से हुई हिंसा की जानकारी एजेंसियों को मिली थी। इसके बाद मेरठ समेत कई जगहों पर पीएफआई के ठिकानों पर छापेमारी की गई। नूपुर शर्मा विवाद और हिंसा के बाद उत्तर प्रदेश के करीब आठ शहरों में जुमे की नमाज के बाद माहौल बिगाड़ने की कोशिश की गई। कानपुर से प्रयागराज तक हिंसा भड़काने की साजिश में इस संगठन से जुड़े लोगों को गिरफ्तार किया गया था।

नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ दिल्ली और देश के कई राज्यों में जब हिंसक प्रदर्शन हुए, तब भी कहा गया कि इसके पीछे पीएफआई का हाथ है। यूपी में तब पुलिस ने पीएफआई के कई सदस्यों को गिरफ्तार किया था। कर्नाटक के स्कूलों में हिजाब विवाद में भी पीएफआई का नाम सामने आया। कर्नाटक हाईकोर्ट में सरकार की ओर से दावा किया गया था कि सीएफआई ने हिजाब के लिए हंगामा किया है और यह एक चरमपंथी संगठन है। सीएफआई को पीएफआई का छात्र संघ माना जाता है। 2016 में बेंगलुरु के आरएसएस नेता रुद्रेश की दो अज्ञात बाइक सवारों ने हत्या कर दी थी। इस हत्याकांड में पुलिस ने चार लोगों को गिरफ्तार किया था और चारों पीएफआई से जुड़े थे।


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