फर्जी मुठभेड़ के खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका
फर्जी मुठभेड़ में आदिवासी किसान की हत्या का आरोप लगाते हुए आज पीयूसीएल और गांव वालों ने हाईकोर्ट में याचिका लगाई जहां उन्होंने घटना की निष्पक्ष जांच कराने एवं पुलिस प्रताड़ना पर रोक लगाने की मांग की है
बिलासपुर। फर्जी मुठभेड़ में आदिवासी किसान की हत्या का आरोप लगाते हुए आज पीपुल्स यूनियन फॉर सिविल लिबर्टीज(पीयूसीएल)और गांव वालों ने हाईकोर्ट में याचिका लगाई जहां उन्होंने घटना की निष्पक्ष जांच कराने एवं पुलिस प्रताड़ना पर रोक लगाने की मांग की है।
नागरिक अधिकार संगठन के अध्यक्ष ने आज प्रेस क्लब में घटना की जानकारी देते हुए बताया कि सुकमा जिले के पोलमपल्ली थानान्तर्गत ग्राम पालामडगु निवासी आदिवासी किसान पोडियम भीमा अपने तीन बच्चों व गर्भवती पत्नी के साथ रह रहा था। घटना दिनांक 20 सितम्बर 2017 को खेत से लौट कर वह अपनी दीदी के घर में आराम कर रहा था। तभी रात को करीब 12 बजे फोर्स उनके घर आई,और भीमा की आंखों पर कमर में बंधे तौलिए पर बांधा और ले गए। उसकी दीदी कन्नी की देवरानी बरसे रामे उस वक्त घर में थी। उसके और पति देवा के सामने पुलिस वाले भीमा को उठा कर ले गए। भीमा बार-बार चीखता रहा कि वह एक खेतीहर किसान है, लेकिन पुलिस वालों ने एक नहीं सुनी।
बरसे रामे जिसके सामने घटना हुई तीन पुलिस वाले को पहचानती है इनके नाम भी हाईकोर्ट में दिए है जो कि आत्मसमर्पित नक्सली है और पुलिस के साथ काम कर रही है।
पीयूसीएल के अध्यक्ष डॉ. लाखन सिंह ने बताया कि घटना के दूसरे दिन जब गांव वाले भीमा को ढूंढ़ने के लिए निकले तो कुछ दूर पर बहुत सारा खून बहा दिखा गांव वालों ने अंदाजा लगाया कि यह भीमा का खून हो सकता है और पुलिस वालों ने उसको मार डाला होगा।
जब गांव वाले पोलमपल्ली थाना गए तो पुलिस वालों ने थाने के अंदर जाने मना किया और कहा कि उनको किसी शव या मुठभेड़ की जानकारी नहीं है। बाद में भीमा का शव दोरनापाल थाने से ही दिया गया। शव को देखकर प्रतीत हो रहा था कि भीमा को गोली मारने से पहले उसको काफी प्रताड़ित किया गया था। उन्होंने कहा कि इस प्रकार की घटनाए पहले भी हो चुकी है। इसलिए हम निष्पक्ष जांच चाहते है। भीमा के पत्नी व बच्चों के लिए मुुआवजे एवं सुरक्षा भी की है।


