Top
Begin typing your search above and press return to search.

पेटा, वन अधिकारियों ने उप्र में बंदर के बच्चे को बचाया

पशुओं के नैतिक अधिकारों के लिए काम करने वाली संस्था पेटा और उत्तर प्रदेश वन विभाग के अधिकारियों ने साथ में मिलकर एक बंदर के बच्चे को बचाने का काम किया है, जो अपनी मृतप्राय मां से लिपटा हुआ था,

पेटा, वन अधिकारियों ने उप्र में बंदर के बच्चे को बचाया
X

फर्रुखाबाद | पशुओं के नैतिक अधिकारों के लिए काम करने वाली संस्था पेटा और उत्तर प्रदेश वन विभाग के अधिकारियों ने साथ में मिलकर एक बंदर के बच्चे को बचाने का काम किया है, जो अपनी मृतप्राय मां से लिपटा हुआ था, जिसकी ऐसी हालत संभवत: किसी मोटरसाइकिल से टकराने की वजह से हुई होगी। आपातकालीन पशु चिकित्सा उपचार प्राप्त कराए जाने के बावजूद गहरे जख्मों के चलते मां ने दम तोड़ दिया।

इस सप्ताहांत वहां आसपास रहने वाले किसी निवासी से एक आपातकालीन कॉल मिलने के बाद बचाव अभियान की शुरुआत की गई थी।

आवश्यक चिकित्सा उपलब्ध कराने और उचित देखभाल के लिए बंदर के बच्चे को आगरा में एक वन्यजीव बचाव केंद्र में भर्ती करा दिया गया है। एक बार पूरी तरह से ठीक हो जाने के बाद टीम उसे वापस जंगल में छोड़ आएगी, जो कि उसका वास्तविक निवास स्थल है।

बचाया गया बंदर का यह बच्चा रीसस मैकक (मकाका मुल्टा) प्रजाति का है और वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972 की अनुसूची 2 के तहत संरक्षित है।

पेटा इंडिया के इमरजेंसी रिस्पॉन्स असिस्टेंट कुंबन अय्यर कहते हैं, "पेटा इंडिया सभी तरह के लोगों को अपनी आंखें खुली रखने और पशु दुर्व्यवहार, स्वास्थ्य आपात स्थिति या अवैध वन्यजीव व्यापार की सूचना संबंधित अधिकारियों जैसे कि पुलिस और वन विभाग को देने के लिए प्रोत्साहित करता है।"

अपने लाभ के लिए बंदरों का शोषण करना और उन्हें 'पालतू पशु' के रूप में कैद में रखना, दोनों नैतिक रूप से गलत है और वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972 के तहत ऐसा करने वाले इंसान को कम से कम 10,000 रुपये के जुर्माने का भुगतान करना पड़ सकता है और अधिकतम सात साल तक की कैद हो सकती है।


Next Story

Related Stories

All Rights Reserved. Copyright @2019
Share it