धान में कीटों का प्रकोप, किसान परेशान
4 साल से अल्प वर्षा एवं सूखे की मार झेल रहे क्षेत्र के किसानोंके खेत में इस साल अच्छी बारिश के कारण अच्छे फसल की उत्पादन की संभावना पर कटुआ कीट के प्रकोप से फसल उत्पादन प्रभावित होते दिख रहा

सूखे की मार झेल रहे किसानों की मुश्किलें बढ़ीं
पेण्ड्रा। 4 साल से अल्प वर्षा एवं सूखे की मार झेल रहे क्षेत्र के किसानोंके खेत में इस साल अच्छी बारिश के कारण अच्छे फसल की उत्पादन की संभावना पर कटुआ कीट के प्रकोप से फसल उत्पादन प्रभावित होते दिख रहा है। कई खेतों में धान के फसल को कटुआ कीट पूरी तरह से सफाचट कर गए हैं वह कुछ किसानों को दोबारा रोपाई कराना पड़ा है।
पेण्ड्रा क्षेत्र के किसान के खेतों में कटुआ कीट का प्रकोप देखने को मिल रहा है। ये कीट झुंड में रहते हैं और जिस खेत से गुजरते हैं उस खेत का पूरा धान सफाचट करने के साथ ही मेंढ़ का घास भी सफाचट कर जाते हैं। ज्यादातर ये कीट लेही बोनी वाले धान के फसल को नुकसान पहुंचा रहे हैं जबकि रोपा वाले खेतों में इनका प्रभाव बहुत कम देखने को मिलता है। पेण्ड्रा के ग्राम अड़भार के किसान गुड्डा भरिया, कोमलचंद चौधरी, राजेश यादव, बबलू केवट, चन्टु यादव खेत में अत्यधिक नुकसान हुआ है। गुड्डा भरिया के लेही बोनी वाले खेत के धान को कटुआ कीट द्वारा सफाचट करने बाद उसने थरहा खरीदकर रोपा लगवाया जिससे उसके खेती की लागत बढ़ गई। चन्टु यादव के थरहा को इन कीटों ने काट दिया तो उसे रोपा के लिए दूसरे जगह से थरहा का इंतजाम करना पड़ा। पिछले 4 वर्षों से पेण्ड्रा क्षेत्र में धान का उत्पादन अल्प वर्षा एवं सूखे के कारण प्रभावित रहा है। इस साल अच्छी बारिस होने से किसानों में अच्छे फसल उत्पादन की संभावना को लेकर उत्साह दिख रहा है परंतु कटुआ कीट के प्रकोप ने कईकिसानों के उत्साह को फीका कर दिया है।
10 दिन रहता है कीट का प्रभाव
कटुआ कीट का प्रभाव 10 दिन रहता है। यह कीट जब तक हरे रंग की इल्ली के रूप में रहती है तब तक धान को काटती है और जब यह काली हो जाती है तो निष्क्रिय हो जातीहै। यह कीट जहां भी होती है वहां झुंड में होती है इसलिए एक रात में ही एक खेत का पूरा धान सफाचट कर जाती है।
कटुआ कीट से बचाव के उपाय
कृषि विभाग पेण्ड्रारोड के एसडीओ आरएन नामदेव ने बताया कि कुछ किसानों के खेत के धान की फसल को कटुआ कीट ने नुकसान पहुंचाया है। उन्होंने बताया कि जिस खेत में इस कीट का प्रभाव है उस खेत में क्लोरोपेटीफास 250 मिलीलीटर या साइपरमेथिन 250 मिलीलीटर कीटनाशक दवा को 200 लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव किया जाए तो कीट का प्रकोप खतम हो जायेगा। उन्होंने बताया कि इस कीट से बचने कुछ किसान थारेट का उपयोग कर रहे हैं जो कि नहीं करना चाहिए क्योंकि इससे धान की फसल के बहुत से मित्र कीट भी मर जाते हैं जिसके कारण भी फसल उत्पादन प्रभावित होती है।


