Top
Begin typing your search above and press return to search.

जनता ने वोट के माध्यम से सुधारों को समर्थन दिया : मोदी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार शाम जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय में स्वामी विवेकानंद की प्रतिमा का अनावरण किया

जनता ने वोट के माध्यम से सुधारों को समर्थन दिया : मोदी
X

नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार शाम जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय में स्वामी विवेकानंद की प्रतिमा का अनावरण किया। इस अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कृषि सुधार कानून पर अपने विचार रखें। उन्होंने चुनाव में मिली जीत को कृषि सुधार कानून के साथ जोड़ा। प्रधानमंत्री ने कहा, "साथियों आज हर सर्कल में किए जा रहे अभूतपूर्व सुधार आत्मनिर्भरता की धारणा से किए जा रहे हैं। देश की जनता ने वोट के माध्यम से इन सुधारों को समर्थन भी दिया है। आप सभी तो जेएनयू में भारत की सामाजिक और राजनीतिक व्यवस्था का गंभीरता से विश्लेषण करते रहते हैं। आप से बेहतर यह कौन जानता है कि भारत में रिफॉर्म्स को लेकर क्या-क्या बातें होती थी। क्या यह सच नहीं है क्या भारत में गुड रिफॉर्म को बेड पॉलिटिक्स नहीं माना जाता था। गुड रिफॉर्म गुड पॉलिटिक्स कैसे हो गए, इसको लेकर आप जेएनयू के साथी जरूर सर्च करना।"

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, "आज हो रहे रिफॉर्म्स के साथ नियत और निष्ठा पवित्र है। आज जो रिफॉर्म्स किए जा रहे हैं उससे पहले एक सुरक्षा कवच तैयार किया जा रहा है। इस कवच का सबसे बड़ा आधार है विश्वास। अब जैसे कृषि रिफॉर्म की बात कर लें। किसान दशकों तक सिर्फ राजनीतिक चर्चा का ही विषय रहा। जमीन पर उसके हित में कदम सीमित ही थे। बीते 5-6 सालों में हमने किसानों के लिए एक सुरक्षा तंत्र विकसित किया। सिंचाई का बेहतर इंफ्रास्ट्रक्च र हो, मंडियों के आधुनिकरण पर निवेश हो, यूरिया की उपलब्धता हो, सोयल हेल्थ कार्ड हो, बेहतर बीज हो, फसल बीमा हो, लागत का डेढ़ गुना, एमएसपी हो, ऑनलाइन मार्केट की व्यवस्था और पीएम सम्मान निधि से किसान की मदद हो। बीते सालों में एमएसपी को भी अनेक बार बढ़ाया गया और किसानों से रिकॉर्ड खरीद भी की गई है। किसानों के इर्द-गिर्द जब एक सुरक्षा कवच बन गया, जब उनमें विश्वास जागा तब हमने एग्रो रिफॉर्म को आगे बढ़ाया। पहले किसानों की अपेक्षाओं पर काम किया गया और अब किसानों की आकांक्षाओं की पूर्ति के लिए काम किया जा रहा है।"

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, "अब किसानों को पारंपरिक साधनों से ज्यादा साधन बाजार में मिल रहे हैं। विकल्प ज्यादा मिलते हैं तो खरीदारों में कंपटीशन भी बढ़ रहा है, इसका लाभ किसान को मिलने वाला है। रिफॉर्म्स के कारण अब किसान उत्पादक संघ के माध्यम से सीधे एक्सपोर्टर्स से मिलने का रास्ता भी साफ हुआ है।"

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में स्थापित की गई स्वामी विवेकानंद की प्रतिमा को लेकर कहा, "यह प्रतिमा एक जज्बे को समेटे हुए हैं। यह प्रतिमा उस ज्योतिपुंज का दर्शन है जिसने गुलामी के लंबे कालखंड में खुद को, अपने सामथ्र्य को, अपनी पहचान को भूल रहे भारत को जगाने का काम किया था। भारत में नई चेतना का संचार किया था।"

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, "साथियों आज देश आत्मनिर्भर भारत के लक्ष्य के साथ आगे बढ़ रहा है। आज आत्मनिर्भर भारत का विचार 130 करोड़ से अधिक भारतीयों के कलेक्टिव कॉन्शेसनेस का, हमारी एक्सप्रेशंस का हिस्सा बन चुका है। जब हम आत्मनिर्भर भारत की बात करते हैं तो सिर्फ फिजिकल और मटेरियल की बात नहीं करते, आत्मनिर्भरता काफी व्यापक है, इसका दायरा व्यापक है। इसमें गहराई भी है और इसमें ऊंचाई भी है। आत्मनिर्भर राष्ट्र तभी बनता है जब संसाधनों के साथ-साथ सोच और संस्कारों में भी वह आत्मनिर्भर बने।"

मोदी ने कहा, "विदेश में एक बार किसी ने स्वामी जी से इस बारे में पूछा था कि आप ऐसे कपड़े क्यों नहीं पहनते जिससे आप जेंटलमैन लगें। इस पर स्वामी जी ने जो जवाब दिया वह भारत के मूल्यों की गहराई को दिखाता है। बड़ी विनम्रता के साथ स्वामी जी ने जवाब दिया कि आपके कल्चर में एक टेलर जेंटलमैन बनाता है, लेकिन हमारे कल्चर में कैरेक्टर तय करता है कि कौन जेंटलमैन है।"

प्रधानमंत्री ने कहा, "साथियों देश का युवा ही दुनिया भर में ब्रांड इंडिया का ब्रांड एंबेसडर है। हमारे युवा, हमारे युवा भारत के कल्चर और ट्रेडीशन का प्रतिनिधित्व करते हैं। इसलिए आपसे अपेक्षा सिर्फ भारत की पुरातन पहचान पर गर्व करने भर की ही नहीं है, बल्कि 21वीं सदी में भारत की नई पहचान बनाने की भी है। अतीत में हमने दुनिया को क्या दिया याद रखना और और बताना हमारे आत्मविश्वास को बढ़ाता है। इसी आत्मविश्वास के बल पर हमें भविष्य पर काम करना है।"

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वामी विवेकानंद की एक यात्रा का वृतांत सुनाते हुए कहा, "स्वामी जी से एक बार किसी ने पूछा कि संतों को अपने देश की बजाय सभी देशों को अपना नहीं मानना चाहिए। इस पर स्वामी जी ने सहज ही जवाब दिया कि वह व्यक्ति जो अपनी मां को स्नेह और सहारा न दे पाए दूसरों की माताओं की चिंता कैसे कर सकता है। इसलिए हमारी आत्मनिर्भरता पूरी मानवता के भले के लिए है और हम यह करके दिखा रहे हैं। जब जब भारत का सामथ्र्य बढ़ा है, तब तब उससे दुनिया को लाभ हुआ है। भारत की आत्म निर्भरता में पूरे संसार के कल्याण की सोच जुड़ी हुई है।"

प्रधानमंत्री ने नई शिक्षा नीति के विषय में बोलते हुए कहा कि नई शिक्षा नीति में सार्थक बदलाव भी तभी तेजी से आएगा जब हम आप सभी साथी ईमानदारी से प्रयास करेंगे। विशेष तौर पर हमारे शिक्षक वर्ग, बुद्धिजीवी वर्ग पर इसका सबसे ज्यादा दायित्व है।

प्रधानमंत्री ने जेएनयू में छात्रों के बीच होने वाली चर्चा का भी यहां जिक्र किया उन्होंने कहा, "वैसे साथियों जेएनयू के इस कैंपस में एक बेहद लोकप्रिय जगह है। वह जगह है साबरमती ढाबा और वहां पर कितनों का खाता चल रहा है। मैंने सुना है कि आप लोग क्लास के बाद इस ढाबे पर जाते हैं और चाय पराठे के साथ डिबेट करते हैं। आइडिया एक्सचेंज किए जाते हैं। वैसे भी अगर पेट भरा हो तो डिबेट में जरा मजा आता। अब आपके लिए स्वामी जी की इस प्रतिमा की छत्रछाया में एक और जगह मिलेगी।"


Next Story

Related Stories

All Rights Reserved. Copyright @2019
Share it