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पानी की समस्या से जूझ रहे लोग

 चिरमिरी की जनता को बहुप्रतीक्षित मांग मूलभूत आवश्यकता पानी की समस्या स्थानीय सरकार 14 साल के निगम के कार्यकाल में भी निदान आज तक नहीं हो पा

पानी की समस्या से जूझ रहे लोग
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चिरमिरी। चिरमिरी की जनता को बहुप्रतीक्षित मांग मूलभूत आवश्यकता पानी की समस्या स्थानीय सरकार 14 साल के निगम के कार्यकाल में भी निदान आज तक नहीं हो पाया, परंतु निगम प्रशासन के द्वारा 20 लाख की लागत से जगह-जगह लोगों की सुविधा हेतु कुर्सी बेंचो को रखवाया गया। ठेकेदार की चिरमिरी की जनता के ऊपर जिसने निविदा लेते समय 52 प्रतिशत दर से नीचे निविदा को अपने नाम किया। इसके कारण 20 हजार की बेंच 8,900 रुपए में निगम प्रशासन को भुगतान करना पड़ेगा।

ज्ञात हो कि स्थानीय सरकार के द्वारा यदि इसी राशि को मुलभूत आवश्यकता जीवन के लिए अत्यंत अनिवार्य पानी की समस्या सुलझाने के लिए और जीवित प्राकृतिक स्रोतों को पुर्नजीवित करते हुए आने जाने के लिए सुगम रास्ता यदि निगम प्रशासन के द्वारा बनाया गया होता, तो आज भी चिरमिरी वासी थोड़ी सी मेहनत करके निस्तारी सहित पेयजल हेतू आंदोलित नहीं होते और पानी की भारी किल्लत को देखते हुए किसी को अपने खर्चे पर टैंकर भी नहीं चलाना पड़़ता।

चिरमिरी वासी काफी स्वाभिमानी प्रवृत्ति के लोग है, वह मेहनत करके अपने समस्याओं का समाधान स्वयं खोज लेते है, परंतु प्राकृतिक जल स्रोतों एसईसीएल की अंडरग्राउंड र्माइंस चलने के कारण प्राकृतिक जल स्रोतों में काफी बंद हुए और पानी में गिरावट आई, जिसके कारण लोगों को पानी की समस्या से दो चार होना पड़ रहा है।

यदि स्थानीय सरकार, जनप्रतिनिधियों सहित निगम प्रशासन की सकारात्मक सोच होती, तो सर्वप्रथम जहां-जहां पानी की घोर समस्या व्याप्त थी, वहां-वहां उक्त राशि से विधायक की सकारात्मक सोच की तरह बड़ा बाजार दुर्गा पंडाल में लगाए गए नलकुप की तरह कई नलकुपों का खनन कर लगवाए जा सकते थे। परंतु ऐसा न करते हुए स्थानीय सरकार के द्वारा केवल समस्याओं को बढ़ावा देने का ही काम किया।

जब बगैर देखरेख के मुक्तिधाम के टाईल्स और अन्य दरवाजा, खिड़की एवं दिवारों को तहस-नहस किया गया, जिसमें सरकार के द्वारा लाखों रुपए का राशि का व्यय किया गया था। इन स्थापित बेंचो की जो मुक्तिधाम सहित सड़को के किनारे लगाई गई है, इनकी देखरेख का जिम्मा किस एजेंसी को दिया गया है, जो हमेशा व्यवस्थित रह सकें। या खरीदारी और जगह-जगह रखने से ही लोगों को सुविधाएं प्राप्त नही हो सकती।

उसको निगम प्रशासन के द्वारा व्यवस्थित रखने हेतू देखरेख का जिम्मा भी लेना होगा। जिम्मेदारियों का निवर्हन पूर्व की भांति ही होगा, तो ज्यादा समय तक दूसरे सामानों की तरह ही बेंचे कही दिखाई भी नहीं देंगी, जैसे दादू लाहिड़ी चौक पर, श्यामा प्रसाद मुखर्जी चौक पर, पंडित दिनदयाल चौक पर लाईटिंग सहित कुछ वर्ष पूर्व अच्छी साज सज्जा की गई थी, जब तक वहां पर चौकीदार नियुक्त थे, तब तक वहां की देखभाल पूर्ण रुपेण सामानों सहित ठीक ठाक रही।

परंतु कुछ ही समय पश्चात नई स्थानीय सरकार के द्वारा सभी चौकीदारों को चौकों से कार्यमुक्त कर दिया गया, जिसके कारण कुछ ही दिनों मेें चौक-चौराहें के सभी सामान चोरी चले गए। अगले वर्ष निगम प्रशासन के द्वारा लाखों रुपए खर्च करके निगम को हराभरा करने हेतू पेड़़ो को सुरक्षित रखने के लिए ईंटा के गमलो का निर्माण कराया गया।

परंतु बगैर देखरेख के कारण न पेड़ बचा, न गमला, ईंटा लोगों के घरों में पहुंच गया।


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