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लखनऊ के लोग मेट्रो रेल में सफर कर सकेंगे

 ऐ भाई जरा देख के, अरे, क्या तांगे के नीचे दबकर मरोगे, टिन टिन की आवाजें” अब बीते समय की बात हो गयी है

लखनऊ के लोग मेट्रो रेल में सफर कर सकेंगे
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लखनऊ। “ऐ भाई जरा देख के, अरे, क्या तांगे के नीचे दबकर मरोगे, टिन टिन की आवाजें” अब बीते समय की बात हो गयी है। तहजीब और नवाबों के शहर लखनऊ के लोगों का तांगे से शुरू हुआ सफर अब मेट्रो रेल तक पहुंच गया है।

लखनऊ में नवाबी काल से आजादी के बाद तक लोगों को एक स्थान से दूसरे स्थान तक जाने के लिये तांगा सदाबहार रहा।साठ के दशक के बाद सिटी बसों को सफर शुरू हुआ।धीरे- धीरे समय बीतने के साथ ही यातायात के साधनों में बदलाव आता गया। कभी गणेशनुमा टेम्पो, कभी आटो द्वारा पूरे शहर में यात्रियों को उनके गंतव्य तक पहुंचाया जाता रहा, लेकिन कल से लखनऊ के निवासी मेट्रो रेल में सफर कर सकेंगे।

नवाबी शहर के इतिहासकार योगेश प्रवीण ने कहा है कि तांगा लखनऊ में सार्वजनिक यातायात का सबसे पुराना साधन रहा है।यह साधन सबसे अधिक समय तक टिकाऊ रहा है।

तांगा का चलन नवाबी काल से शुरू हुआ था और आजादी के बाद भी एक स्थान से दूसरे स्थान तक जाने के लिये यह लोगों की पहली पसंद बनी रही।जगह-जगह सड़कों के किनारे, चौराहों पर घोड़ों की प्यास बुझाने के लिये चरही बनी रहती थीं।

प्रवीण ने कहा कि सार्वजनिक परिवहन के अन्य साधनों में साठ के दशक में लखनऊ में सिटी बसों का संचालन शुरू हुआ।साइकिल रिक्शा का चलन तांगे की तरह काफी पुराना है।

खरीदारी तथा छोटी दूरी तय करने के लिये लोगों की पहली पसन्द साइकिल रिक्शा रहा है।उसके बाद लखनऊ में टेम्पो तथा आटो का प्रचलन शुरू हो गया। लखनऊ के चौक निवासी प्रेम नारायण सक्सेना ने बताया कि “ ऐ भाई जरा देख के, अरे क्या तांगे के नीचे दबकर मरोगे, टिन टिन की आवाजे” अब बीते समय की बात हो गयी है।

रिक्शा का स्थान अब ई रिक्शा ने ले लिया है।सड़कों पर भीड़ बढ़ गयी है।बदलते परिवेश में लोगों के पास समय की कमी है उसी हिसाब से यातायात के साधन भी बदल गये है।

उन्होने बताया कि लखनऊ पहले चौक, सआदतगंज, अहियागंज, ऐशबाग, अमीनाबाद, नजीराबाद, कैसरबाग, हजरतगंज तक ही सीमित था, लेकिन अब 30किलोमीटर से अधिक के दायरे में फैल चुका है।यहां की जनसंख्या भी बढकर 30 लाख के करीब पहुंच गयी है।बढती जनसंख्या और जाम के चलते तांगा, रिक्शा से वहां तक पहुचना संभव नहीं है।मेट्रो रेल के संचालन से लोगों को सहुलियतें हो जायेगी।लोग कम समय में इधर से उधर जा सकेंगे।


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