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जाति प्रमाण पाने भटक रहे खटीक समाज के लोग

जिला प्रशासन खटिक समाज के लोगों को स्थाई/अस्थाई जाति प्रमाण पत्र जारी नहीं कर रहा

जाति प्रमाण पाने भटक रहे खटीक समाज के लोग
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बिलासपुर । जिला प्रशासन खटिक समाज के लोगों को स्थाई/अस्थाई जाति प्रमाण पत्र जारी नहीं कर रहा है। खटिक समाज के लोग तहसील कार्यालय में प्रमाण पत्र बनवाने के लिए चक्कर पर चक्कर काट रहे हैं। जबकि हाईकोर्ट ने सन् 2016 में खटिक समाज की एक युवती ने याचिका लगाई थी कि स्थाई/अस्थाई प्रमाण पत्र जिला प्रशासन नहीं बना रहा है। हाईकोर्ट ने याचिका पर फैसला दिया कि जिला प्रशासन छानबीन समिति द्वारा खटिक समाज के बारे में जानकारी लेकर रिपोर्ट तैयार वेरी रिपोर्ट के आधार पर प्रमाण पत्र जारी किया जाए। छानबीन समिति ने अपनी रिपोर्ट में खटिक समाज का प्रमाण पत्र जारी करने की अनुशंसा की थी। मगर जिला प्रशासन ने कुछ प्रतिशत लोगों का ही प्रमाण पत्र जारी किया लेकिन 80 प्रतिशत समाज के लोग कई सालों से भटक रहे हैं। समाज के लोगों ने प्रमाण पत्र के लिए कलेक्टर के न्यायालय में मामला दायर किया है। उन्हें कलेक्टर के फैसले का इंतजार है।

विद्यार्थियों को भी प्रमाण पत्र नहीं
खटिक समाज की छात्रएं-छात्राओं का स्कूल के लिए प्रमाण पत्र तहसील कार्यालय से जारी नहीं किया जा रहा है। बच्चे जाति प्रमाण पत्र के लिए परेशान हो रहे हैं। प्राप्त जानकारी के अनुसार खटिक समाज के वरिष्ठ लोगों ने जानकारी दी कि सन् 1950 के पहले उत्तर प्रदेश में जातिगत अत्याचार होने के कारण उनके पूर्वज मध्य प्रदेश के कई शहरों में निवास करने लगे। उस समय पूर्वज मजदूरी करने अपने परिवार का पालन-पोषण किया करते थे। दलित होने के कारण बड़े समाज के लोग काम पर नहीं रखते थे, जिसके कारण परिवार चलाने में काफी परेशानी होती थी। लोग अपनी जाति छिपाकर व जाति बदलकर काम करने मजबूर थे। उन्हें मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ के शहरों में 70 साल से ऊपर निवास करते हो चुका है। उनके पूर्वजों की जमीन नहीं होने के कारण छत्तीसगढृ प्रदेश के सरकारी रिकार्ड में पूर्वजों का नाम नहीं होने के कारण जाति प्रमाण पत्र बनवाने में काफी दिक्कतें हो रही है।

उप्र के रिकार्ड में है उल्लेख
समाज के लोगों ने यह भी जानकारी दी कि उनके पूर्वजों की जमीन उत्तर प्रदेश में होने के कारण उत्तरप्रदेश के शासकीय रिकार्ड में उनकी जाति का उल्लेख है। उसके आधार पर उत्तरप्रदेश सरकार 1950 के पहले का मिसल की रिपोर्ट दे रहा है। उनकी पीढ़ी की जानकारी उत्तर प्रदेश सरकार के राजस्व विभाग के रिकार्ड में आज भी मौजूद है। जिला प्रशासन उत्तरप्रदेश सरकार द्वारा दिए गए रिकार्ड को मान नहीं रहा है। पूर्व जानवर, राजमिस्त्री और फूल-फल का कारोबार करते थे, मगर उत्तरप्रदेश में उच्च जाति के लोगों का दलित लोगों पर इतना अधिक रहा है कि उन्हें अपना घर-बार छोड़कर छत्तीसगढ़ आने को मजबूर होना पड़ा था। खटिक समाज के लोगों ने बताया कि सन् 1920 के लगभग छत्तीसगढ़ और मध्यप्रदेश के वे निवासी हो गए थे। मगर छत्तीसगढ़ और मध्यप्रदेश के राजस्व रिकार्ड में पूर्वजों का नाम दर्ज नहीं है, जिसके कारण सौ साल से यहां के निवासी होने के बाद भी जाति प्रमाण पत्र नहीं बन पा रहा है। जिला प्रशासन को शासकीय रिकार्ड उपलब्ध करने के बाद भी हमारा प्रमाण पत्र तहसील कार्यालय से नहीं बन रहा है।

हाईकोर्ट के आदेश पर युवती को मिला प्रमाण पत्र
खटिक समाज के लोगों ने भी जानकारी दी उनके समाज की एक युवती ने हाईकोर्ट में जाति प्रमाण पत्र को लेकर याचिका दायर की थी। हाईकोर्ट ने जिला प्रशासन को यह आदेश दिया था कि छत्तीसगढ़ नहीं होने पर छानबीन समिति का गठन कर जाति सर्वे कर रिपोर्ट पेश की जाए। जब छानबीन समिति खटिक समाज का जानकारी लेने पहुंची तो हमारे वरिष्ठ लोगों ने छानबीन समिति को खटिक समाज के बारे में पूरी जानकारी दी और उत्तरप्रदेश सरकार के दस्तावेजों को दिखाया तो छानबीन समिति ने अपनी रिपोर्ट में खटिक समाज का स्थायी जाति प्रमाण पत्र बनाने की अनुशंसा की थी।

जिला प्रशासन ने नहीं कर रहा जारी
जिला प्रशासन ने जब छानबीन समिति की रिपोर्ट हाईकोर्ट में पेश की गई तो हाईकोर्ट ने भी युवती का जाति प्रमाण पत्र जारी करने का आदेश दिया। इसके बाद में जिल प्रशासन ने युवती का जाति प्रमाण पत्र जारी किया मगर जिला प्रशासन के अधिकारी केवल राजनीतिक पहंच छात्रों का ही जाति प्रमाण पत्र जारी कर रहा है। मगर जो राजनतिक पहुंच नहीं रखते उन्हें स्थायी या अस्थायी प्रमाण पत्र जारी नहीं किया जा। यहां तक कि खटिक समाज के स्कूली बच्चों का भी जाति प्रमाण पत्र तहसील कार्यालय से जारी नहीं किया जा रहा है। लोग तहसील कार्यालय के चक्कर पे चक्कर लगा रहे हैं मगर उनका प्रमाण पत्र जारी नहीं हो रहा है। जब लोग तहसील कार्यालय के अधिकारी से प्रमाण पत्र को लेकर चर्चा करते हैं तो अधिकारी समाज के बारे में चर्चा ही नहीं करना चाहते। खटिक समाज के लोगों ने कलेक्टर के न्यायालय में जाति प्रमाण पत्र के लिए मामला दायर किया है। अब उन्हें कलेक्टर का फैसले का इंतजार है। शहर में खटिक समाज की आबादी 25 हजार से अधिक है। मगर 80 प्रतिश लोगों का जाति प्रमाण पत्र नहीं बना है जिससे शासन की योजना का नाम उन्हें नहीं मिल पा रहा है।
मामला आया है

हाईकोर्ट के फैसले की जानकारी मुझे नहीं है हां न्यायालय में खटिक जाति के प्रमाण पत्र बनाने को लेकर मामला आया है। मामला प्रक्रिया में है। जल्द फैसला होगा। मै खटिक समाज के बारे में अधिकारियों से चर्चा करूंगा।


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