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कर्नाटक में अवैध टोलगेट को हटाने के लिए लोगों ने कसी कमर, पुलिस ने सुरक्षा बढ़ाई

सुरथकल शहर में कथित तौर पर अवैध रूप से चल रहे एनआईटीके टोलगेट को अरब सागर में फेंकने और खाली करने के आह्वान के बीच कर्नाटक पुलिस ने मंगलवार को किसी भी तरह की हिंसा को रोकने के लिए सुरक्षा व्यवस्था कड़ी कर दी

कर्नाटक में अवैध टोलगेट को हटाने के लिए लोगों ने कसी कमर, पुलिस ने सुरक्षा बढ़ाई
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दक्षिण कन्नड़ (कर्नाटक)। सुरथकल शहर में कथित तौर पर अवैध रूप से चल रहे एनआईटीके टोलगेट को अरब सागर में फेंकने और खाली करने के आह्वान के बीच कर्नाटक पुलिस ने मंगलवार को किसी भी तरह की हिंसा को रोकने के लिए सुरक्षा व्यवस्था कड़ी कर दी। सुरथकल टोलगेट पर कर्नाटक राज्य रिजर्व पुलिस (केएसआरपी) की दस प्लाटून, केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) की पांच प्लाटून, 450 पुलिस कांस्टेबल और 40 वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों की तैनाती की गई है।

दक्षिण कन्नड़ और उडुपी जिलों के विभिन्न संगठनों और लोगों ने आंदोलन की अगुवाई कर रही सूरथकल टोलगेट संघर्ष समिति को समर्थन दिया है। समिति ने इसे हटाने के लिए 5,000 लोगों को टोल गेट पर इकट्ठा करने की भी तैयारी की है।

इस संबंध में समिति ने 14 सितंबर को धरना दिया था, जिसके बाद राजमार्ग प्राधिकरण के क्षेत्रीय अधिकारी ने एक माह में इसे हटाने का आश्वासन दिया था। समिति का नेतृत्व कर रहे मुनीर कटिपल्ला ने क्षेत्रीय अधिकारी से कहा था कि अगर टोलगेट खाली नहीं किया गया तो लोग उसे तोड़कर अरब सागर में फेंक देंगे।

आंदोलनकारी एनआईटीके टोलगेट खाली करने की आखिरी तारीख घोषित करने की मांग कर रहे हैं। उन्होंने अधिकारियों को 18 अक्टूबर तक टोलगेट खाली करने की समय सीमा दी थी।

जाहिर है कि सुरथकल एनआईटीके टोलगेट का संचालन अवैध रूप से किया जा रहा है। छह साल पहले टोलगेट इस शर्त पर अस्थायी रूप से लगाया गया था कि नौ किलोमीटर दूर स्थित हेजामदी कस्बे में जब टोलगेट काम करना शुरू करेगा तो उसे खाली कर दिया जाएगा।

लेकिन हेजामाडी टोलगेट के संचालन शुरू होने के बाद भी वाहन सवारों को एनआईटीके टोलगेट पर टोल का भुगतान करना पड़ता है। कटिपल्ला ने आरोप लगाया है कि आंदोलन के कारण राजमार्ग अधिकारियों ने सूरथकल टोलगेट को बंद करने का फैसला किया। राज्य सरकार ने भी अपनी सहमति दे दी थी। इसके बावजूद अवैध वसूली जारी है।


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