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पहलू के न्याय की लड़ाई : सरकार को चुनौती देती किसानों की पहल

आत्महत्या कर रहे किसान के लिए पशुपालन बड़ा सहारा था, उसे भी सरकार छीन रही है, एक तरफ गौ-रक्षा के नाम पर तमाम कानून बनाए जा रहे हैं, दूसरी तरफ गौ-रक्षक के नाम पर गुंडे किसानों पर हमला कर रहे हैं।

पहलू के न्याय की लड़ाई : सरकार को चुनौती देती किसानों की पहल
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जयसिंहपुरा (नूह) से लौटकर भारत शर्मा

नई दिल्ली। राजस्थान के अलवर में कथित गौ रक्षकों के हमले में जिस पहलू खान की मौत हुई थी, वह एक मुसलमान की मौत थी या एक किसान की ?

केन्द्र और दोनों राज्यों में बैठी भाजपा भले ही इसे एक अल्पसंख्यक की मौत मानकर कोई भी कार्रवाई करने को तैयार न हो, पर देश भर के किसान ऐसा नहीं मानते, इसीलिए किसान सभा के बैनर तले देश भर के किसानों ने पहलू और उसके साथ घायल हुए साथियों के लिए दिल खोलकर आर्थिक मदद की। इस मदद के साथ ही किसानों ने यह संदेश भी दिया, कि अगर सरकार अपना दायित्व भूल जाए, तब भी वे अपनी एकता के साथ अपनी रक्षा करने में सक्षम हैं।

नूह जिले के जयसिहंपुरा गांव में बुधवार को हुए सामाजिक न्याय सम्मेलन में किसान सभा के महासचिव हन्नान मौल्ला ने किसानों की ओर से दी गई राशि पीड़ित परिवार को दी। इसमें पहलू के परिवार को 10 लाख, गंभीर घायल के परिवार को 4 लाख रुपए और रफीक के परिवार को एक लाख रुपए दिए गए।

इस रकम में 1 लाख 71 हजार रुपए डेमोक्रेटिक वूमेन राइट्स नेटवर्क की ओर से दिए गए थे।

तेज दोपहर के समय जयसिंहपुरा में बड़ी संख्या में महिला-पुरुष जमा थे, इनमें अधिक संख्या अल्पसंख्यकों की थी। जनसंगठनों के लोग भी यहां पहुंचे थे। गांव के अधिकांश मुसलमान गरीब हैं, वे झोंपड़ी बनाकर रहते हैं। पहलू का घर भी एक कमरे का है। आम तौर पर ऐसी घटनाओं पर राजनीति गरम हो जाती है, पर यहां कोई नहीं आया। सरकार ने किसी तरह के मुआवजे की घोषणा की नहीं की, ना ही नामजद लोगों को गिरफ्तार किया गया है। अलबत्ता सरकार ने पहलू खान और उसके साथियों पर जरूर गौ-तस्करी का मामला दर्ज कर लिया।

हन्नान मौल्ला कहते हैं, कि आत्महत्या कर रहे किसान के लिए पशुपालन बड़ा सहारा था, उसे भी सरकार छीन रही है, एक तरफ गौ-रक्षा के नाम पर तमाम कानून बनाए जा रहे हैं, दूसरी तरफ गौ-रक्षक के नाम पर गुंडे किसानों पर हमला कर रहे हैं।

उनका कहना है, कि छोटे और सीमांत किसानों की बड़ा हिस्सा पशु पालन करता है और बूढ़ा होने पर उसे बेच देता है।

असल में पहलू खान की कहानी भी ऐसी ही है, वह अपनी बूढ़ी भैंस बेचने गया था और महंगी भैंस खरीदने के लिए उसके पास पैसा नहीं थी, इसीलिए कम कीमत में उसने गाय खरीद ली थी, जो उसकी जान जाने का कारण बना।

डेमोक्रेटिक वूमेन राइट्स नेटवर्क की सबा फारुखी का कहना था, कि हमला जिन लोगों पर किया जा रहा है, वे गरीब हैं। यह मामला सरकार की असफलता को दर्शाता है।

किसान नेता पी कृष्णप्रसाद ने देशबन्धु से बातचीत करते हुए कहा, कि यह मामला अपनी तरह का पहला मामला है, जब सरकार हाथ पर हाथ धरे बैठी है और अपराधियों को संरक्षण दे रही है उसे किसान सीधी चुनौती दे रहे हैं। किसान सभा की कोशिश है, कि इस तरह होने वाली हर घटना में इसी तरह की पहल की जाए, जिससे सरकार यह बात समझ ले, कि जनता खुद अपनी रक्षा करने में सक्षम है।

किसान सभा इससे पहले भी 3 लाख रुपए पहलू के परिवार को और 50 हजार रुपए अजमल के परिवार को दे चुकी है। आज पहलू की मां अंगूरी बेगम और अजमल के पिता सुलेमान ने चैक लिए, रफीक खुद उपस्थित था। चैक लेते समय पहलू की मां फूट-फूट कर रोने लगी।


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