पीडीएस का चावल सीधे मिलरों से खरीदने पर होगी 300 करोड़ बचत
प्रदेश में गरीब परिवारों को वितरित किए जाने वाले लिए चॉवल की खरीदी सीधे राईस मिलर्स से करने की मांग मुख्यमंत्री से की गई है
रायपुर। प्रदेश में गरीब परिवारों को वितरित किए जाने वाले लिए चॉवल की खरीदी सीधे राईस मिलर्स से करने की मांग मुख्यमंत्री से की गई है।
इससे शासन को प्रतिवर्ष करीब 300 करोड़ की बचत होगी। मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह से मिलने गए प्रदेश राईस मिलर्स एसोसिएशन के पदाधिकारियों ने उन्हें अपनी समस्याओं से अवगत कराया है। वहीं दूसरी ओर चर्चा के दौरान प्रदेश हित में मिलर्स से सीधे चॉवल खरीदने का सुझाव दिया। मिलर्स के वार्षिक अधिवेशन में शामिल होने मुख्यमंत्री को आमंत्रित किया गया।
प्रदेश राईस मिलर्स एसोसिएशन का प्रतिनिधिमण्डल अध्यक्ष योगेश अग्रवाल के नेतृत्व में मुख्यमंत्री से मिला। छग शासन द्वारा खाद्य सुरक्षा कानून अंतर्गत पीडीएस के माध्यम से प्रतिमाह 55 हजार टन चॉवल उपार्जन किया जाता है। जिसकी वार्षिक मात्रा लगभग 6 लाख 50 हजार टन होती है।
छग शासन द्वारा इस मद से 28 रूपये प्रति किलो के मान से लगभग 18 सौ करोड़ की सबसीडी स्वयं के बजट से दी जा रही है। छग शासन 6 लाख 50 हजार टन राईस मिलर्स से मूल्य निर्धारित कर सीधे खरीद सकते है। तेलंगाना सरकार द्वारा इस माध्यम से लगभग 6 लाख टन चॉवल की खरीदी सीधे राईस मिलर्स से 2400/- प्रति क्विंटल की बारदाना सहित टैक्स को छोडकर की जाती है। छग शासन को भी प्रदेश के मिलर्स से 2400 रूपये प्रति क्विंटल की दर से बारदाना सहित टैक्स छोडकर देने के लिए तैयार है, इससे लगभग 10 लाख टन सिर्फ धान का निराकरण होगा अपितु लगभग 300 करोड़ के राजस्व की बचत होगी।
मिलर्स के लिए जाने वाले उपरोक्त चावल को उनकी मिलिंग क्षमता के अनुपात में निर्धारित कर प्रतिमाह लिया जा सकता है। उन्होने मुख्यमंत्री को बताया कि खरीफ कार्य समय से पूर्ण होने के बावजूद मिलर्स को पेनाल्टी, कस्टम, मिलों का भुगतान, प्रोत्साहन राशि परिवहन भुगतान आदि समस्याएं आ रही है। जिनका अतिशीघ्र समाधान आवश्यक है।
मिलर्स द्वारा स्वयं की एफडीआर बीजी में धान पर पेनाल्टी डीओ अवधिनुसार लगाना गलत है। चॉवल जमा कर पेनाल्टी उत्पादन क्षमता जगह की उपलब्धता आधार होनी चाहिए। चॉवल पेपर जमा की जवाबदारी मार्कफेड से पेपर जमा पर पेनाल्टी उचित नहीं है। धान नही उपलब्ध करा पाने पर मार्कफेड मिलर्स पर पेनाल्टी न्याय संगत नहीं है। वर्ष 2016-17 में मिलर्स को प्रोत्साहन राशि का भुगतान शासन के नियमानुसार होना चाहिए।
वर्ष 2015-16 में मिलर्स के कुछ जिलों में मिलर्स को दो माह के अंदर मिलिंग क्षमता का उपयोग करने पर शासन के नियमानुसार प्रोत्साहन राशि मिलनी चाहिए। मार्कफेड से अनुबंध होने के बावजूद मिलर्स को भाखानि में जमा चावल पर परिवहन देयकों का भुगतान 2015-16 एवं 2016-17 का नही हुआ है।
पूर्व वर्षा में भी भुगतान प्रोविजनल मिला है, मिलर्स द्वारा कस्टम मिलिंग कार्य किए जाने के बावजूद मार्कफे ड के द्वारा मिलर्स को भुगतान नहीें किया गया है। अध्यक्ष योगेश अग्रवाल ने बताया कि मुख्यमंत्री ने उनके वार्षिक अधिवेशन में शामिल होने सहमति प्रदान की है।
चर्चा के दौरान कस्टम मिलिंग, पेनाल्टी प्रोत्साहन राशि भुगतान, परिवहन चार्ज भुगतान आदि विषयों पर विभागीय अधिकारियों के साथ मिलर्स की संयुक्त बैठक पर समस्याओं के निराकरण का मुख्यमंत्री ने निर्देशित किया। इस अवसर पर एसोसिएशन ने चावल पर महत्वपूर्ण सुझाव भी रखा।
जीएसटी के कु छ प्रावधानों पर असमंजस की स्थिति है। उसे स्पष्ट करने का आग्रह करते हुये कहा चावल उद्योग कृषि से जुड़ा उद्योग है। अन्य कृषि उत्पादों की तरह धान से बनने वाले अन्य उत्पाद जीएसटी से मुक्त किया जाए।
मुख्यमंत्री से मुलाकात करने वालों में योगेश अग्रवाल, पारस चोपड़ा, प्रमोद जैन, रोशन चन्द्राकर, अशोक चौरड़िया, राजीव अग्रवाल, श्रवण अग्रवाल आदि उपस्थित थे।


