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बिहार में उपचुनाव का परिणाम तय करेगा महागठबंधन का भविष्य !

बिहार में विपक्षी दलों के महागठबंधन में शामिल राष्ट्रीय जनता दल (राजद) और कांग्रेस के तल्ख तेवर ढीले नहीं पड़ रहे हैें

बिहार में उपचुनाव का परिणाम तय करेगा महागठबंधन का भविष्य !
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पटना, बिहार में विपक्षी दलों के महागठबंधन में शामिल राष्ट्रीय जनता दल (राजद) और कांग्रेस के तल्ख तेवर ढीले नहीं पड़ रहे हैें। राज्य में दो विधाानसभा सीटों पर हो रहे उपचुनाव में दोनों दल अपने-अपने उम्मीउवार उतार दिए है। वैसे, नाम वापस लेने की सोमवार को आखिरी तिथि है, लेकिन कोई भी दल पीछे हटने को तैयार नहीं है।

इस बीच, कांग्रेस लगातार राजद को आईना दिखा रही है, जबकि राजद इसे दोस्ताना संघर्ष बताकर मामले को रफादफा करने में जुटी है। ऐसे में इस चुनाव परिणाम के असर महागठबंधन की भविष्य पर पड़ना तय माना जा रहा है।

कांग्रेस के बिहार प्रभारी भक्तचरण दास उपचुनाव को लेकर बिहार पहुंचे हुए हैं। इस दौरान वे राजद को आईना दिखाने से नहीं चूके। उन्होंने कहा कि बिहार में कांग्रेस के साथ किये गये गठबांन का राजद ने सम्मान नहीं किया है। उन्होंने यहां तक कहा कि कांग्रेस को सरकार नहीं बनानी है, सरकार राजद ही बनाएगी, लेकिन कांग्रेस अगर कमजोर हुई तो राजद को भी कोई लाभ नहीं होने वाला।

दास कहते हैं, "बिहार में कांग्रेस मजबूत होती है तो इसका लाभ महागठबांन अंतत: राजद को ही लाभ पहुंचाएगी। लेकिन ऐसा लग रहा है मानो राजद कांग्रेस को कमजोर करने में लगा हुआ है।"

दास को अभी भी उम्मीद है कि राजद कुशेश्वरस्थान से अपना उम्मीदवार वापस ले लेगा।

वैसे, माना जा रहा है दोनों दलों के चुनावी मैदान में उतर जाने का लाभ अंतत: राजग को ही होना है। राजग एकजुट होकर चुनाी मैदान में उतरी है। वैसे, भाजपा उपचुनाव में राजद और कांग्रेस के इस तनातनी को लेकर मजे ले रही है।

भाजपा ओबीसी मोर्चा के राष्ट्रीय महामंत्री निखिल आनंद कहते हैं कि राजद ने पहले प्रतयाशी की घोषणा कर कांग्रेस को उसकी हैसियत बता दी है। राजद पहले से ही इस बात को लेकर परेशान है कि कांग्रेस लगातार उसकी छत्रछाया से बाहर निकलने के लिए मशक्कत कर रही है। उन्होंने कहा कि उपचुनाव में राजग पूरी तरह एकजुट होकर चुनाव मैदान में उतरी है।

इधर, राजद के नेता तेजस्वी यादव इसे दोस्ताना संघर्ष बता रहे हैं। तेजस्वी कहते हैं कि गठबंधन में कभीकभार ऐसी स्थिति आ जाती है। उन्होंने कहा कि यह दोस्ताना संघर्ष है।

वैसे, वामपंथी नेता कन्हैया कुमार के कांग्रेस की सदस्यता ग्रहण करने के बाद से ही कांग्रेस उत्साहित है। इस उपचुनाव में कांग्रेस के लिए खोने के लिए बहुत कुछ नहीं है।

माना जा रहा है कि इस चुनाव परिणाम में अगर कांग्रेस अपनी सहयोगी राजद से अधिक मत ले आती है तो कांग्रेस फिर बराबरी का हक मांगेगी, अगर राजद के प्रत्याशी विजय होते हैं कि कांग्रेस की स्थिति में बहुत बड़ा बदलाव भी नहीं आएगा।

इधर, कांग्रेस के नेता और युवक कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष ललन कुमार भी मानते हैं कि विचारधारा को लेकर महागठबंधन बनाया गया है, न कि सीट बंटवारा इसमें मायने रखता है। उन्होंने भी कहा कि दोनों सीटों पर दोस्ताना संघर्ष है। उन्होंने हालांकि यह भी कहा कि अगर महागठबंधन टूटता है तो कांग्रेस और राजद के लिए आत्मघाती कदम होगा।

कुमार कहते हैं कि महागठबंधन तोडने और नहीं तोड़ने को लेकर हाईकमान को फैसला लेना है। अभी तक इसपर कोई फैसला नहीं हुआ है।

बहरहाल, बिहार में दो सीटों कुशेश्वरस्थान और तारापुर विधानसभा क्षेत्रों में हे रहे उपचुनाव में राजद और कांग्रेस के आमने-सामने प्रत्याशी उतार देने के बाद मुकाबला दिलचस्प हो गया है। अब देखना होगा, इससे महागठबंधन को लाभ मिलता है कि महागठबंधन की लड़ाई में राजग फिर से बाजी माार लेता है।

इन दोनों विाानसभा क्षेत्रों में 30 अक्टूबर को वोट डाले जाएंगे, जबकि दो नवंबर को परिणाम घोषित होगा।


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