बिहार में चिकित्सा महाविद्यालय की पढ़ाई बीच में छोड़ने वालों पर गिरी गाज
पटना ! बिहार सरकार ने चिकित्सा महाविद्यालयों में स्नातकोत्तर में नामांकन लेने के बाद बीच में ही पाठ्यक्रम छोड़ने वाले छात्रों के खिलाफ कड़ा रुख अख्तियार करते हुये

पटना ! बिहार सरकार ने चिकित्सा महाविद्यालयों में स्नातकोत्तर में नामांकन लेने के बाद बीच में ही पाठ्यक्रम छोड़ने वाले छात्रों के खिलाफ कड़ा रुख अख्तियार करते हुये आज ऐसे छात्रों से बाॅन्ड के साथ ही छात्रवृत्ति और स्टाइपन की राशि एकमुश्त वापस लेने का निर्णय लिया है।
मंत्रिमंडल सचिवालय के प्रधान सचिव ब्रजेश मेहरोत्रा ने बताया कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अध्यक्षता में यहां हुई मंत्रिमंडल की बैठक में इस प्रस्ताव को मंजूरी दी गई। उन्हाेंने बताया कि राज्य के सरकारी चिकित्सा महाविद्यालयों के स्नातकोत्तर छात्रों द्वारा अन्य पाठ्यक्रम में नामांकन लेने के उद्देश्य से पूर्व पाठ्यक्रम को बीच में ही छोड़ने की स्थिति में छात्रों को 15 लाख रुपये का बॉन्ड और उस समय तक प्राप्त छात्रवृत्ति और स्टाइपेन की राशि एकमुश्त वापस करनी होगी।
श्री मेहरोत्रा ने कहा कि चिकित्सा महाविद्यालयों के स्नातकोत्तर छात्रों के नामांकन के दो-तीन माह बाद ही पाठ्यक्रम बीच में छाेड़ देने से करीब 60 से 70 प्रतिशत सीटें रिक्त हो जाती हैं। साथ ही महाविद्यालय को संबंधित पाठ्यक्रम में उतने छात्र नहीं मिल पाते हैं। इस चलन पर रोक लगाने के उद्देश्य से सरकार ने ऐसे छात्रों से बॉन्ड के साथ ही छात्रवृत्ति और स्टाइपेन की राशि एकमुश्त वापस लेने का निर्णय लिया है।
प्रधान सचिव ने बताया कि इसके अलावा चिकित्सा महाविद्यालय से स्नातकोत्तर की डिग्री लेने के बाद राज्य में तीन वर्ष की अनिवार्य सेवा प्रदान करने के लिए 25 लाख रुपये के बॉन्ड पर हस्ताक्षर करने की व्यवस्था को भी मंजूरी दी गई है। इसके तहत यदि स्नातकोत्तर उत्तीर्ण चिकित्सक तीन साल की अनिवार्य सेवा नहीं देते हैं तो उन्हें बॉन्ड की राशि और उस तिथि तक प्राप्त वेतन की कुल राशि एकमुश्त वापस करनी होगी।


