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यात्रियों पर पड़ती है उड़ान रद्द होने की मार

  देश की दो प्रतिष्ठित एयरलाइंस प्रतिदिन लगभग 1200 उड़ानें भरती हैं, उनके रद्द होने से लाखों यात्रियों को मुसीबत का सामना करना पड़ेगा

यात्रियों पर पड़ती है उड़ान रद्द होने की मार
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नई दिल्ली। देश की दो प्रतिष्ठित एयरलाइंस प्रतिदिन लगभग 1200 उड़ानें भरती हैं, उनके रद्द होने से लाखों यात्रियों को मुसीबत का सामना करना पड़ेगा। हाल के दिनों में 645 उड़ानों के रद्द होने से करीब एक लाख यात्रियों को भारी परेशानी झेलनी पड़ी।

हालांकि एयरलाइंस कंपनियां यात्रियों के सुविधाओं का दावा तो करती हैं पर हकीकत कुछ और ही है। नागर विमानन महानिदेशालय (डीजीसीए) के एयरलाइंनों के बारे में हाल के आदेश से ऐसा हुआ है। एयरलाइंस कंपनियां इस तरह अपनी उड़ाने बंद करती रही तो अप्रैल में और भी ज्यादा असर पड़ने की संभावना है क्योंकि ज्यादर लोग छूटियों हैं यात्रा की योजना बनाते हैं।

डीजीसीए के दिशा-निर्दशों के मुताबिक यदि कोई एयरलाइन यात्रियों को कोई वैकल्पिक उड़ान सेवा प्रदान करने में असमर्थ रहती है तो यात्रियों को उनके टिकट के बदले पूरा रिफंड या उससे भी अधिक का प्रावधान है। हालांकि अभी तक 645 उड़ानों के रद्द होने से एक लाख 15 हजार यात्रियों के नुकसान की भरपाई को लेकर किसी भी एयरलाइंस की तरफ से कोई बातचीत नहीं हुई है।

यात्रियों के नुकसान की भरपाई के लिए रिफंडमी डॉट इन की सह संस्थापक और महानिदेशक आकांक्षा अंशु ने कहा कि प्रभावित यात्रियों के लिए सही समय पर वैकल्पिक सुविधा के लिए बातचीत चल रही है। उन्होंने यह भी कहा कि डीजीसीए को हस्तक्षेप करके इन एयरलाइन सेवाओं को तुरंत प्रभाव से बंद कर देना चाहिए जो अपने दिशा-निर्देशों में यह दावा करते हैं कि उड़ान भरने से पहले उनके प्रशिक्षित इंजीनियर पूरी जांच करते हैं।

ऐसे में क्या यह माना जाए कि ये एयरलाइंस इतनी मुनाफाखोर हो गई हैं कि उन्हें न यात्रियों की और न ही अपने कर्मियों के सुरक्षा सुविधा की चिंता है। हालांकि यात्रियों को इन एयरलाइनों के सेवाओं की वजह से होने वाली परेशानी के बदले में हर्जाने की वसूली काफी टेढी खीर साबित होगी। अमरीका और यूरोप में मुसीबत में फंसे यात्रियों की सहायता के लिए कई कंपनियां और संस्था मौजूद हैं पर भारत में अभी तक ऐसी कोई संस्था नहीं है जो यात्रियों की मदद को आगे आएं।

हालांकि रिफंडम इन ही एक ऐसी संस्था है प्रतिदिन 100 ऐसे यात्रियों को उनका हर्जाना दिलवाने में अपनी भूमिका निभा रही हैं। साथ ही ये संस्था डीजीसीए और एयरलाइन्स के साथ यात्रियों की सुविधाओं के साथ-साथ एयरलाइन्स की कार्य प्रणाली पर अपनी पैनी नजर रख रही है।


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