अविश्वास प्रस्ताव पारित, डभरा जनपद अध्यक्ष की कुर्सी गई
स्थानीय निकायों में एक के बाद एक झटका सत्ताधारी पार्टी को झेलनी पड़ रही है

जांजगीर। स्थानीय निकायों में एक के बाद एक झटका सत्ताधारी पार्टी को झेलनी पड़ रही है। आज जनपद पंचायत डभरा में भाजपा समर्थित तथा चन्द्रपुर विधायक के करीबी मानी जानी वाली जनपद अध्यक्ष टूकेश्वरी पटेल के खिलाफ लाये अविश्वास प्रस्ताव पारित हो गई। इससे पूर्व पामगढ़ जनपद के अलावा अकलतरा जनपद अध्यक्ष की कुर्सी भी अविश्वास प्रस्ताव पारित होने से भाजपा समर्थित अध्यक्षों को कुर्सी छोड़नी पड़ी थी।
डभरा जनपद कार्यालय में आज अविश्वास प्रस्ताव के लिए सम्मिलन की कार्रवाई के दौरान हुये मतदान में अविश्वास के पक्ष में 19 मत व विपक्ष में 2 मत तथा 1 मत निरस्त घोषित किया गया, जबकि 3 सदस्य मतदान से बाहर रहे। इस तरह 25 सदस्यीय जनपद सदस्य क्षेत्र में वर्तमान बीजेपी समर्थित डभरा जनपद अध्यक्ष टुकेश्वरी पटेल को मात्र 2 मत मिले, जिससे उनकी कुर्सी चली गई है। इस कार्रवाई के दौरान सक्ती अनुविभागीय अधिकारी इंद्रजीत बर्मन मौजूद रहे।
आज आये परिणाम को लेकर क्षेत्र में दिन भर इस बात को लेकर चर्चा बनी रही कि चंद्रपुर विधानसभा में भाजपा के विधायक युद्धवीर सिंह जूदेव के प्रबल समर्थक माने जाने वाले अध्यक्ष अपनी कुर्सी क्यों नहीं बचा पाई। विदित हो कि पखवाड़े भर पूर्व 19 जनपद सदस्यों ने कलेक्ट्रोरेट पहुंचकर अध्यक्ष के विरूद्ध अविश्वास लाने की मांग की थी, जिसमें अध्यक्ष पति की दखलअंदाजी तथा सदस्यों की उपेक्षा का आरोप लगाया गया था। आज की कार्रवाई के बाद अब नये अध्यक्ष के लिए जोड़-तोड़ जारी है। मगर एक के बाद एक जिस तरह से भाजपा समर्थित जनपद अध्यक्षों की कुर्सी जा रही है, जिसमें उन्हीं की पार्टी के सदस्य सहयोग करने के बजाय विरोध में उतर रहे है, वह आने वाले समय के लिए शुभ संकेत नहीं कहा जा सकता।
जबकि आम चुनाव के लिए एक वर्ष से कम का समय रह गया है। ऐसे में पार्टी संगठन की कमजोरी तथा कार्यकर्ताओं की उपेक्षा से बढ़ रही दूरी को पाटने की जुगत करनी होगी।
मालखरौदा जनपद में भी अविश्वास को लेकर सुगबुगाहट
तीन जनपद पंचायतों में अब तक अविश्वास प्रस्ताव पारित हो जाने से भाजपा समर्थित अध्यक्षों की छुट्टी हो चुकी है, जिसमें पामगढ़, अकलतरा तथा डभरा शामिल हो गया है।
इसी के साथ मालखरौदा जनपद पंचायत में भी भाजपा समर्थित अध्यक्ष श्रीमती सावित्री अजगल्ले के कामकाज को लेकर जनपद सदस्यों में नाराजगी बढ़ी हुई है, जो लामबंद होकर अविश्वास प्रस्ताव लाने की तैयारी में है।
ऐसे में अध्यक्ष समय रहते यदि सदस्यों का विश्वास जीत पाने में असफल रही, तो यहां भी बदलाव की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता।
संगठन की ढ़ीली होती पकड़ !
स्थानीय निकायों से लेकर केन्द्र तक सत्ता में काबिज भारतीय जनता पार्टी का स्थानीय संगठन कार्यकर्ताओं को एक सूत्र में पिरोय रखने में असफल दिख रहा है। जहां एक-एक कर जनपद अध्यक्ष पद की कुर्सी जा रही है। ऐसे में स्थानीय संगठन के जिम्मेदार पदाधिकारी अपनी भूमिका महज एक दर्शक तक सीमित रखे, तो आने वाले समय में आम चुनाव के दौरान पार्टी के लिए नुकसानदेह साबित होगा।


