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डीयू, जामिया और जेएनयू में याद की गई 'विभाजन विभीषिका'

देश के 3 बड़े केंद्रीय विश्वविद्यालयों दिल्ली विश्वविद्यालय, जामिया मिल्लिया इस्लामिया और जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) ने स्वतंत्रता दिवस से एक दिन पहले 14 अगस्त को 'विभाजन विभीषिका' का स्मरण किया

डीयू, जामिया और जेएनयू में याद की गई विभाजन विभीषिका
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नई दिल्ली। देश के 3 बड़े केंद्रीय विश्वविद्यालयों दिल्ली विश्वविद्यालय, जामिया मिल्लिया इस्लामिया और जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) ने स्वतंत्रता दिवस से एक दिन पहले 14 अगस्त को 'विभाजन विभीषिका' का स्मरण किया। जामिया ने 'रिकालिंग द होर्र्स ऑफ द ब्रिटिश रूल इन पिक्टोरियल एंड पोएटिक एफ्लिकेशन्स' और जेएनयू ने 'रिमेम्बरिंग द हॉर्स ऑफ पार्टिशन' के रूप में 'विभाजन विभीषिका स्मरण दिवस' मनाया। जामिया की कुलपति प्रो. नजमा अख्तर ने विश्वविद्यालय के प्रेमचंद आर्काइव्स एंड लिटरेरी सेंटर में प्रदर्शनी का उद्घाटन किया जो 31 अगस्त, 2022 तक जारी रहेगी।

जेएनयू में 'हरघर तिरंगा 'आजादी का अमृत महोत्सव' के तत्वावधान में 'हर-घर तिरंगा रैली' भी आयोजित की गई। जेएनयू के रेक्टर प्रो. अजय दुबे ने बताया कि रविवार को परिसर में एसआईएस द्वारा आयोजित कार्यशाला 'रिमेम्बरिंग द हॉर्स ऑफ पार्टिशन' का उद्घाटन किया। ओपी बब्बर, लेफ्टिनेंट जनरल वीके चतुवेर्दी सेवानिवृत्त, और प्रो संजीव के शर्मा, पूर्व वीसी एमजीएसयू मोतिहारी ने विभाजन के आघात पर चर्चा की।

जामिया में आयोजित की गई प्रदर्शनी में ईस्ट इंडिया कंपनी के आगमन, 1857 के विद्रोह, भारतीयों के गिरमिटिया मजदूरों के रूप में प्रवास, मद्रास प्लेग, बंगाल अकाल, मैसूर, बंगाल, पंजाब और दिल्ली में दुखद घटनाओं जैसी प्रमुख घटनाओं की स्मृतियां प्रस्तुत की गईं हैं। भारत के विभाजन की भयावहता और कई भारतीय क्रांतिकारियों जैसे भगत सिंह, चंद्रशेखर आजाद, अशफाकउल्लाह खान, रामप्रसाद बिस्मिल और कई अन्य लोगों के बलिदान, जिनमें महिलाएं शामिल रहीं, उन्हें चित्रात्मक और काव्यात्मक पैनल के माध्यम से दर्शाया गया है।

इस अवसर पर अपने संबोधन में जामिया की कुलपति नजमा अख्तर ने कहा कि वर्तमान पीढ़ी को पता होना चाहिए कि वे लोग कौन थे जिन्होंने स्वतंत्रता के लिए अपने प्राणों की आहुति दी, और यह प्रदर्शनी ब्रिटिश शासन के तहत कई वर्षों की भयानक घटनाओं को याद करने का एक प्रयास है। इन कविताओं में स्वतंत्रता संग्राम की कहानी सुनाई गई है जिनमें से कुछ कविताओं और कई प्रसिद्ध कवियों पर अंग्रेजों द्वारा प्रतिबंध लगा दिया गया था। इसके बारे में आज की पीढ़ी को पता होना चाहिए।

इससे पूर्व कुलपति ने विश्वविद्यालय के एमएके पटौदी खेल परिसर में मैराथन को झंडी दिखाकर रवाना किया। अपने हाथों में तिरंगा लिए हुए एनसीसी कैडेट, एनएसएस वोलेंटीयर्स और विश्वविद्यालय के स्टाफ सदस्यों ने मैराथन में बड़ी संख्या में भाग लिया, जिसने पूरे परिसर को कवर किया।

सोमवार को जामिया मिलिया इस्लामिया विश्वविद्यालय में राष्ट्रीय ध्वजारोहण 15 अगस्त सुबह 09 बजकर 30 मिनट पर डॉ. एम.ए. अंसारी सभागार के लॉन में होगा, इसके बाद जामिया के इंजीनियरिंग और प्रौद्योगिकी संकाय सभागार, में सांस्कृतिक कार्यक्रम होंगे।


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