ओबीसी वोट बैंक पर पार्टियों की नजर
ओबीसी वोट बैंक इस वक़्त देश में सियासत का केंद्र बने हुए हैं...मोदी सरकार तो बड़े ऐलान कर ओबीसी वर्ग को लुभा ही रही है, वहीं क्षेत्रीय स्तर पर भी वोट पाने की कोशिश की जा रही है...इसके लिए मध्यप्रदेश में पिछड़ा वर्ग के दो आयोग तक बना दिए गए..., एक बीजेपी की तरफ से तो दूसरा कांग्रेस की तरफ से...अब इसी आयोग को लेकर सत्तापक्ष और विपक्षी दल आमने-सामने हैं...

इन दिनों ओबीसी वोट बैंक को लेकर सियासत जोरों पर है...उत्तर प्रदेश से लेकर मध्य प्रदेश तक राजनीतिक दल ओबीसी वोटरों को अपने पाले में करने की जुगत में लगे हैं...जहां योगी जनता पर मेहरबानी दिखा रहे हैं. तो वहीं एमपी में शिवराज सिंह ने भी पिछड़ा वर्ग कल्याण आयोग का गठन कर दिया गया है. सीएम ने 15 अगस्त स्वतंत्रता दिवस के मौके पर इस आयोग के गठन का ऐलान किया था. अब आयोग का गठन करते हुए पूर्व मंत्री बीजेपी विधायक गौरीशंकर बिसेन को अध्यक्ष नियुक्त किया है. लेकिन बीजेपी सरकार के पिछड़ा वर्ग कल्याण आयोग के गठन को लेकर सियासत छड़ गई है...दरअसल प्रदेश में पहले से ही पिछड़ा वर्ग आयोग काम कर रहा है. तत्कालीन कमलनाथ सरकार ने पिछड़ा वर्ग आयोग के अध्यक्ष पद पर जेपी धनोपिया की नियुक्ति की थी. लेकिन कमलनाथ सरकार के सत्ता गंवाने और शिवराज सरकार के शपथ लेने के दूसरे दिन नई सरकार ने नियुक्ति को निरस्त कर दिया था. शिवराज सरकार के आदेश को हाई कोर्ट में चुनौती दी गई थी जिस पर कोर्ट ने यथास्थिति बनाए रखने का आदेश दिया था. जेपी धनोपिया के साथ आयोग में अन्य लोग सदस्य हैं...अब शिवराज सरकार के पिछड़ा वर्ग कल्याण आयोग का गठन करने पर कांग्रेस हमलावर हो गई है. कांग्रेस विधायक के के मिश्रा ने आयोग के गठन को असंवैधानिक बताया है. कांग्रेस प्रवक्ता ने कहा कि कमलनाथ सरकार में ही पिछड़ा वर्ग आयोग का गठन हो चुका है....उन्होंने कहा कि एक अध्यक्ष के रहते हुए दूसरा अध्यक्ष नियुक्त करना असंवैधानिक है. कांग्रेस कोर्ट में सरकार के फैसले के खिलाफ केस करेगी.


