कांग्रेस को आंशिक राहत, पर केजरीवाल न्यायिक हिरासत में
रविवार को दिल्ली के ऐतिहासिक रामलीला मैदान में 28 दलीय विपक्षी गठबन्धन इंडिया द्वारा जबर्दस्त शक्ति प्रदर्शन के बाद सोमवार को इंडिया के दो घटकों को लेकर जो अदालती फैसले आये हैं

रविवार को दिल्ली के ऐतिहासिक रामलीला मैदान में 28 दलीय विपक्षी गठबन्धन इंडिया द्वारा जबर्दस्त शक्ति प्रदर्शन के बाद सोमवार को इंडिया के दो घटकों को लेकर जो अदालती फैसले आये हैं, उनमें से एक आंशिक तौर पर राहत भरा है परन्तु दूसरा उसे मायूस करने वाला है। सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस बीवी नागरत्ना तथा जस्टिस एजी मसीही की खंडपीठ ने जहां कांग्रेस से आयकर द्वारा 3500 करोड़ रुपये से अधिक की टैक्स वसूली पर 24 जुलाई तक रोक लगा दी, वहीं दिल्ली के राउज़ एवेन्यू कोर्ट ने मुख्यमंत्री तथा आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल को 15 दिनों की न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया। उन्हें कथित दिल्ली शराब घोटाले के आरोप में प्रवर्तन निदेशालय ने गिरफ्तार किया था।
कांग्रेस को आयकर विभाग ने उसे प्राप्त चंदे पर टैक्स वसूलने सम्बन्धी नोटिस जारी किया था। दो नोटिसों में क्रमश: 1745 करोड़ तथा 1823 करोड़ रुपए चुकाने के लिये उसे कहा गया था। इसके पहले एक अन्य कार्रवाई में कांग्रेस के बैंक खातों को सील कर दिया गया है जिसके कारण उसे चुनाव अभियान चलाने में दिक्कत आ रही है। कुछ दिन पहले कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे, सोनिया गांधी तथा राहुल गांधी ने कांग्रेस मुख्यालय में एक प्रेस कांफ्रेंस कर सख्त नाराजगी जताते हुए आरोप लगाया था कि भारतीय जनता पार्टी उसे चुनाव में कमजोर करने के लिये अपनी एजेंसी (आईटी) के जरिये यह कार्रवाई कर रही है। पार्टी के कोषाध्यक्ष अजय माकन भी बता चुके हैं कि कांग्रेस का 2019 का कुल चुनावी खर्च 800 करोड़ रुपये ही था। ऐसे में उसकी हैसियत इतनी बड़ी राशि चुकाने की नहीं है। यह केन्द्रीय चुनाव आयोग राजीव कुमार के उस आश्वासन व दावे के बिलकुल खिलाफ है जिसमें उन्होंने कहा था कि आयोग सभी दलों को चुनाव लड़ने के समान अवसर (लेवल प्लेईंग फील्ड) देने के लिये कटिबद्ध है।
उल्लेखनीय है कि सुप्रीम कोर्ट के एक आदेश के मुताबिक इलेक्टोरल बॉन्ड्स सम्बन्धी सभी जानकारी स्टेट बैंक ऑफ इंडिया द्वारा केन्द्रीय निर्वाचन आयोग को जो दी गई है; और जिसे इसी आदेश की ही अनुपालना में उसकी आधिकारिक वेबसाइट पर प्रकाशित किया गया है- उससे साफ हो गया है कि किस प्रकार से इस योजना का सर्वाधिक लाभ भाजपा को ही मिला है। इतना ही नहीं, चंदा बटोरने के लिये भाजपा ने किस प्रकार से सरकारी जांच एजेंसियों का दुरुपयोग किया, उसका भी पर्याप्त खुलासा हुआ है। आयकर, ईडी व सीबीआई द्वारा छापे डलवाकर या जेल का डर दिखाकर कारोबारियों से बॉन्ड्स खरीदवाए गए जिन्हें भाजपा ने भुनाया। हर रोज जिस प्रकार से बॉन्ड्स को लेकर नयी-नयी कहानियां सामने आ रही हैं उससे स्पष्ट हो गया है कि यह योजना भाजपा सरकार द्वारा काले धन को सफेद करने का जरिया बनी और उसकी सबसे बड़ी लाभार्थी वह खुद रही।
वैसे 15 फरवरी को सुप्रीम कोर्ट द्वारा इलेक्टोरल बॉन्ड्स योजना को असंवैधानिक करार देने वाले फैसले के बाद पहली बार मोदी ने इस पर एक टिप्पणी करते हुए कहा कि- 'जो लोग आज इसे लेकर नाच रहे हैं वे बाद में पछताएंगे। पहले तो चुनावी चंदे के स्रोत को कोई जान ही नहीं पाता था लेकिन अब लोग जान सकते हैं।' सामान्यतया प्रेस वार्तालाप से दूर रहने वाले मोदी ने एक तमिल चैनल से बातचीत में कहा कि 'पहले भी पीएमएलए कानून था परन्तु पूर्ववर्ती सरकारें इसका उपयोग ही नहीं करती थीं। पहले की सरकार ने 10 वर्षों में केवल कुछ लाख रुपये ही वसूले।' मोदी ने इस आरोप से भी इंकार किया कि उनकी सरकार जांच एजेंसियों को निर्देशित करती है और उनके कामों में दखलंदाजी करती है। वैसे प्रधानमंत्री की बातों में शायद ही कोई यकीन करे।
एक ओर भाजपा के पास इस प्रकार से कमाया गया अकूत धन और दूसरी तरफ वह अपने मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस को पूर्णत: संसाधनविहीन करने पर तुली है। पिछले कुछ समय से जिस तरह से कांग्रेस उसके सामने दमदारी से खड़ी है और उसके ईर्द-गिर्द करीब ढाई दर्जन दल जिस मजबूती से खड़े हैं, उससे भाजपा को लोकसभा चुनाव में अपनी जमीन खिसकती नज़र आ रही है। इसलिये भाजपा यह चुनाव बेहद गैर लोकतांत्रिक एवं निहायत अनैतिक तरीके से लड़ रही है। चुनावों की घोषणा हो जाने तथा आचार संहिता लागू रहते में जिस प्रकार से जांच एजेंसियों के मार्फत भाजपा सरकार विरोधी दल के नेताओं व पार्टियों को तंग कर रही है या उन्हें जेलों में डाल रही है, उससे भी लोगों में रोष है जिसका परिणाम चुनावी नतीजों में दिखलाई पड़ सकता है।
उधर एक अन्य घटनाक्रम में अंतत: अरविंद केजरीवाल को 15 दिनों की न्यायिक हिरासत में भेज ही दिया गया। 22 मार्च को ईडी द्वारा उनके शासकीय आवास से गिरफ्तार केजरीवाल को पहली बार 6 दिनों तथा दूसरी बार 4 दिनों की ईडी हिरासत दी गई थी। सोमवार को उन्हें फिर से पेश किया गया था। वैसे तो ईडी ने उनकी और हिरासत की मांग नहीं की परन्तु आरोप लगाया कि 'केजरीवाल जांच में सहयोग नहीं कर रहे हैं', तो वहीं अब भी दिल्ली के सीएम पद पर काबिज केजरीवाल ने तिहाड़ जेल रवाना होने के पहले चेतावनी दे दी कि 'प्रधानमंत्री जी जो कर रहे हैं वह देश के लिये अच्छा नहीं है'। उन्हें तिहाड़ की जेल नंबर-2 में रखा गया है जहां पहले से उनके सहयोगी एवं आप सरकार के उप मुख्यमंत्री रहे मनीष सिसोदिया, आबकारी मंत्री रहे सत्येन्द्र जैन तथा सांसद संजय सिंह इसी आरोप में न्यायिक हिरासत में हैं। इस घटनाक्रम का भी असर आसन्न चुनावों पर लाजिमी है।


