जम्मू कश्मीर में राष्ट्रपति शासन छह माह बढ़ाने को लोकसभा की मंजूरी
लोकसभा ने जम्मू कश्मीर में राष्ट्रपति शासन की अवघि छह माह बढ़ाने वाले सांविधिक संकल्प को आज ध्वनिमत से पारित कर दिया

नई दिल्ली । लोकसभा ने जम्मू कश्मीर में राष्ट्रपति शासन की अवघि छह माह बढ़ाने वाले सांविधिक संकल्प को आज ध्वनिमत से पारित कर दिया।
जम्मू कश्मीर में पिछले वर्ष जून से राज्यपाल तथा राष्ट्रपति शासन लागू है। राज्य विधानसभा के लिए पिछला चुनाव नवंबर-दिसंबर 2014 में हुआ था जिसमें किसी पार्टी को पूर्ण बहुमत नहीं मिला और राज्य में पहली बार भारतीय जनता पार्टी तथा पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी ने मिलकर सरकार बनाई लेकिन पिछले वर्ष 20 जून को राज्य सरकार अल्पमत में आ गयी और वहां राज्यपाल शासन लागू कर दिया गया। बाद में खरीद फरोख्त की खबरों के बीच राज्यपाल ने विधानसभा भंग कर दी थी।
राज्य में 20 दिसंबर 2018 को संविधान की धारा 356 का प्रयोग करके राष्ट्रपति शासन लगाया गया था जिसे गत तीन जनवरी को संसद की मंजूरी मिली। राष्ट्रपति शासन की यह अवधि तीन जुलाई को पूरी हो रही है और इस संकल्प के पारित होने के बाद अब इसे छह माह के लिए और बढ़ाया जाएगा।
लोकसभा में शुक्रवार को जम्मू कश्मीर में राष्ट्रपति शासन की अवधि बढ़ाने संबंधी संकल्प पर हुई चर्चा का जवाब देते हुए गृहमंत्री अमित शाह ने कहा कि राज्य में पिछले एक साल में राज्यपाल शासन एवं राष्ट्रपति शासन के दौरान पहली बार आतंकवाद के खिलाफ ‘जीरो टॉलरेंस’ की नीति अपनायी गयी है। इसी का परिणाम है कि राज्य में हिंसा की स्थिति पर रोक लगी है और वहां चार हजार पंच और सरपंचों के पदों के लिए शांतिपूर्ण तरीके से चुनाव हुए हैं और लोगों को उनके अधिकार मिले हैं।
उन्होंने कहा कि राज्य में शांति का माहौल है और वहां कभी भी विधान सभा चुनाव कराए जा सकते हैं। इस बारे में फैसला सरकार को नहीं बल्कि चुनाव आयोग को लेना है। सरकार राज्य में चुनाव कराने के लिए तैयार है। धारा 356 के दुरुपयोग संबंधी सवाल पर उन्होंने कहा कि भाजपा राजनीतिक लाभ के लिए इस धारा का इस्तेमाल कभी नहीं करती है। उन्होंने कहा कि देश में अब तक 132 बार इस अधिकार का इस्तेमाल हुआ है जिसमें कांग्रेस ने 93 बार इसका प्रयोग किया है।


