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आतंकवाद के खिलाफ नया UAPA संशोधन बिल राज्यसभा में पास

राज्यसभा में आज विधि-विरुद्ध क्रियाकलाप (निवारण) संशोधन विधेयक को पारित कर दिया गया । बिल के पक्ष में 147 और विपक्ष में 42 वोट पड़े

आतंकवाद के खिलाफ नया UAPA संशोधन बिल राज्यसभा में पास
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नयी दिल्ली । राज्यसभा में आज विधि-विरुद्ध क्रियाकलाप (निवारण) (UAPA) संशोधन विधेयक को पारित कर दिया गया। बिल के पक्ष में 147 और विपक्ष में 42 वोट पड़े। इस बिल में आतंक से संबंध होने पर संगठन के अलावा किसी शख्स को भी आतंकी घोषित करने का प्रावधान शामिल है

हमने कांग्रेस के कानून और संशोधनों का साथ दिया: शाहगृह मंत्री ने राज्यसभा में कहा कि किसी व्यक्तियों को आतंकी घोषित करने के कुछ बिन्दु तय किए गए हैं, उन्हीं के मुताबिक काम होगा । उन्होंने कहा कि आतंकी अगर 2 कदम बढ़ते हैं तो हमारी एजेंसियों को 4 कदम आगे बढ़ना होगा । शाह ने कहा कि कानून और इसके सभी संशोधन कांग्रेस के समय में आया और तब लंबे-लंबे भाषण इनके लोगों ने दिए हैं । हमारी पार्टी ने हर संशोधन का समर्थन किया था और भी कर रहे हैं ।

आतंकवाद का कोई धर्म नहीं होता वह किसी व्यक्ति या सरकार के खिलाफ नहीं बल्कि इंसानियत के खिलाफ है । अमित शाह ने कहा कि हम कानून को कमजोर कतई नहीं कर रहे हैं। राज्य पुलिस में I ही जांच करता है लेकिन NIA की प्रबंधन शक्ति होती है और सभी मामलों की जांच ऊपरी स्तर तक की जाती है. राज्य पुलिस और NIA के काम करने के नियम और मानक अलग हैं ।

सदन में इस विधेयक पर आज शुरू हुयी चर्चा को आगे बढ़ाते हुये मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के एलारम करीम ने कल कहा कि इसके प्रावधानों के दुरुपयोग की पूरी संभावना है। इसके मद्देनजर उनका दल इसका विरोध करता है। उन्होंने कहा कि एक पुलिस निरीक्षक स्तर के अधिकारी को किसी भी राज्य में जाकर किसी व्यक्ति को गिरफ्तार करने का अधिकार दिया जाना सबसे खतरनाक प्रावधान है। उन्होंने कहा कि सनातन संस्था को प्रतिबंधित किया जाना चाहिए।

राष्ष्ट्रीय जनता दल के मनोज कुमार झा ने कहा कि इस विधेयक की जरूरत नहीं है क्योंकि इसके कुछ प्रावधान बहुत ही डरावने है। हिरासत में पूछताछ का अधिकार दिया जाना भी खतरनाक है। किसी को भी आतंकी बताकर गिरफ्तार करने के अधिकार का दुरुपयोग होगा। पहले भी इस तरह के कानून का दुरुपयोग हुआ है।

द्रमुक के पी वेलसन ने कहा कि उनका दल इस विधेयक का विरोध करता है और इसको प्रवर समिति या स्थायी समिति को भेजने की मांग करता है। आतंकवाद ने निपटने की जरूरत है लेकिन किसी पुलिस निरीक्षक स्तर के अधिकारी को इतना अधिकारी दिया जाने का गंभीर परिणाम हो सकता है। इससे संवैधानिक अधिकार का भी दुरुपयोग होगा।

पीडीपी के मीर मोहम्मद फैयाज ने कहा कि उनकी पार्टी इसका विरोध करती है क्योंकि इस तरह के कानून का अब तक सबसे अधिक जम्मू-कश्मीर में दुरुपयोग होता रहा है। राज्य के सैकड़ों युवा देश के विभिन्न जेलों में बंद है और 20-25 वर्षाें के बाद उन्हें दोषमुक्त कर रिहा किया जाता है तब तक उसका पूरा परिवार बिखर चुका होता है। उन्होंने इस विधेयक को प्रवर समिति में भेजने की मांग करते हुये कहा कि जम्मू-कश्मीर में अभी 25 हजार और सेना के जवान भेजने की खबरें आ रही है और इससे राज्य के लोग बहुत अधिक खौफजदा है।

मनोनीत के टी एस तुलसी ने कहा कि इस विधेयक के प्रावधानों का दुरुपयोग होने की पूरी आशंका है क्योंकि अब तक ऐसा ही रिकार्ड है। इसका बहुत गंभीर असर होगा और इस कानून में यह संशोधन असंवैधानिक भी है। आप के संजय सिंह ने इसका विरोध करते हुये कहा कि ऐसे कानूनों को दुरुपयोग होने का एक इतिहास है। बार बार इसका दुरुपयोग हुआ है। इसके प्रावधान संघीय ढांचे के विरुद्ध भी है। आईयूएमएल के अब्दुल वहाब ने कहा कि हर कोई आतंकवाद का विरोध करता है लेेकिन इस कानून के प्रावधान के गंभीर दुष्परिणाम होने की आशंका है। इसके मद्देनजर इसको प्रवर समिति को भेजा जाना चाहिए। भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के विनय विश्वम ने भी इसका विरोध किया।

बहुजन समाज पार्टी सतीश चंद्र मिश्रा ने कहा कि हर कोई आंतक के विरुद्ध है और उनका दल सिर्फ सरकार से यह आश्वासन चाहता है कि इसके प्रावधानों को दुरुपयोग नहीं होगा। तेलुगु देशम पार्टी के कनकमेडला रवीन्द्र कुमार ने कहा कि उनका दल इसका समर्थन करता है क्योंकि वह आतंकवाद के विरुद्ध है। वाईएसआर कांग्रेस के विजय साई रेड्डी ने कहा कि उनका दल आतंकवाद के विरुद्ध है और यह कानून राष्ट्रीय हित है।

मनोनीत स्वपन दासगुप्ता ने कहा कि आतंकियों को बौद्धिक स्तर पर समर्थन किया जाना बहुत ही खतरनाक है। उन्होंने इस विधेयक का समर्थन करते हुये कहा कि आतंकवाद मुक्त राष्ट्र के लिए इस तरह के कानून की जरूरत है।


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