परिया भूमि अब लहलहा रही है सब्जियों से
महासमुंद जिले के बागबाहरा विकासखंड के ग्राम सिर्री के सदियों से परिया (बंजर) पड़े खेत अब सब्जी की फसलों से लहलहा रहे हैं

महासमुंद । महासमुंद जिले के बागबाहरा विकासखंड के ग्राम सिर्री के सदियों से परिया (बंजर) पड़े खेत अब सब्जी की फसलों से लहलहा रहे हैं। यह चमत्कार कम्प्यूटर सांईस से बी.टेक और एम.टेक की पढ़ाई पूरी करने तथा असिस्टेंट प्रोफेसर का जाब आफर छोड़ने के बाद वल्लरी चंद्राकर नाम की युवती ने किया है। वल्लरी कहना था कि साफ्टवेयर इंजीनियर से खेती- किसानी की ओर कदम बढ़ाना आसान काम नहीं था, लेकिन जब उसने इस क्षेत्र में कदम रखा तो इंजीनियरिंग की पढ़ाई भी उसके काम आई और उसके लिए मददगार बनी।
मात्र डेढ़ साल में उनकी लगभग 27 एकड़ की जमीन ने उनके पिता ऋषि चंद्राकर, कृषि कार्यों के मार्गदर्शक भूपेन्द्र परमार, उनके परिजनों के सपोर्ट और उनके जैसे युवा साथियों की मदद से आज एक आधुनिक फार्म हाउस का रूप ले लिया है। वल्लरी के पिता जो स्वयं भी जल संसाधन विभाग में इंजीनियर है ने खेतों को व्यवस्थित करने में योगदान दिया है।
उन्होंने खेतों के बीच छोटे-छोटे नालों के माध्यम से पानी निकासी की समुचित व्यवस्था की वहीं उंची बाढ़ लगाकर फसलों को बंदरों से भी बचाया है। उन्होंने जहां एक ओर ड्रिप एरिगेशन के माध्यम से कम पानी से सिंचाई करने का कार्य हाथ में लिया वहीं मल्चिंग के माध्यम से पौधों को बेहतर बनाया। यहीं कारण है कि कम वर्षा के बावजूद भी ग्रीष्मकाल में उनके ट्यूबवेलों ने उनका साथ दिया और गांव वालों को पेयजल के लिए का पानी उपलब्ध कराने का कार्य इन ट्यूबवेलों के माध्यम से किया गया। एक ऐसे समय जब अल्प वर्षा होने के कारण किसान ग्रीष्मकालीन फसल लेने की दुविधा में है वहीं वल्लरी के खेतों से खीरा, टमाटर, पत्ता गोभी, मिर्च, लौकी, करेला, बरबट्टी आदि की बंफर खेती हो रही है।
वल्लरी का कहना है कि बहुत कम समय में मजदूर भी सब्जियों की किसानी के लिए प्रशिक्षित हो जाते है और उन्हें इससे साल भर काम भी मिलता है। उसका कहना है कि सब्जियों की खेती में मार्केटिंग की भी चिंता नहीं है। निश्चय ही जिले की पढ़ी-लिखी युवती ने खेती-किसानी का नया अध्याय लिखाया है।


