माता पिता बच्चों की गलती को अनदेखा न करे : टंक राम वर्मा
समीपस्थ ग्राम खम्हरिया (चांपा) में श्रीमद् भागवत कथा ज्ञान यज्ञ सप्ताह का आयोजन श्रीमती सुखिया बाई पति स्व.रामदयाल वर्मा द्वारा किया गया था

बलौदाबाजार। समीपस्थ ग्राम खम्हरिया (चांपा) में श्रीमद् भागवत कथा ज्ञान यज्ञ सप्ताह का आयोजन श्रीमती सुखिया बाई पति स्व.रामदयाल वर्मा द्वारा किया गया था। कथावाचक पं.राजन जी महाराज मोहदी (नारधा) जिला दुर्ग वाले थे। कथा के विराम दिवस पर विशेष रूप से आमंत्रित अंचल के प्रसिद्ध समाजसेवी एवं स्व. सोनचंद वर्मा स्मृति फाउंडेशन के संयोजक टंक राम वर्मा ने आयोजन हेतु श्रीमती सुखिया बाई वर्मा एवं परिवार को बधाई देते हुए कहा कि धार्मिक आयोजनों से हमारे धर्म शिक्षा संस्कृति एवं संस्कार की संरक्षण व संवर्धन होती है।
श्री वर्मा ने कहा कि पौराणिक कथाएं हमें अच्छे जीवन जीने के लिए मार्गदर्शन का काम करती है। बच्चों में अच्छे संस्कार एवं आचार विचार का होना आवश्यक है। बचपन की छोटी-छोटी आदतों से ही चरित्र का निर्माण होता है। चरित्र निर्माण के लिए संस्कारवान होना आवश्यक है। बच्चे संस्कारवान बने इसकी जिम्मेदारी मां-बाप एवं परिवार का होता है।
सांसारिक शिक्षा कहीं भी मिल जाएगी लेकिन संस्कार की शिक्षा केवल परिवार से ही मिलता है। बच्चे अज्ञानता से कोई गलती करते हैं तो उसे हमें अनदेखा नहीं करना चाहिए बल्कि उसे सचेत कर सही मार्ग पर चलने की प्रेरणा देनी चाहिए। यदि मोहवश बच्चे को गलत कार्य करने से नहीं रोकोगे तो वह उस मार्ग में चलने का आदी हो जाएगा और बड़ा होकर वह चाह कर भी उस मार्ग को नहीं छोड़ पाएगा। इस तरह वह अपना व परिवार का जीवन को अंधकारमय बना देगा।भागवत कथा के पहले दिन ही धुँधकारी की कथा आती है जो हमें बताती है कि बचपन से ही गलत रास्ते पर गया और समय रहते उसे माता पिता द्वारा बुरे कर्मों से
नहीं रोका गया स आगे चलकर वह परिवार को बर्बाद कर दिया और स्वयं भी मृत्यु को प्राप्त हो गया स संस्कारहीन बालक परिवार के पतन का कारण बनता है। इस अवसर पर सोहनलाल श्रीमती कमला वर्मा, डोमार सिंह वर्मा, श्रीमती पद्मिनी वर्मा, लेखराम वर्मा, श्रीमती कल्पना वर्मा, श्रीमती गायत्री वर्मा, राजेंद्र वर्मा, चंद्रभान वर्मा, पुनाराम वर्मा, श्वेता वर्मा, खेमलाल वर्मा, नीलम वर्मा, दिनेश वर्मा, श्रीमती नानू वर्मा, मिलाप राम यादव, बुधराम साहू, गणेश राम वर्मा समस्त ग्रामवासी उपस्थित थे।


