विपक्षी दलों केे नए गठबंधन से भाजपा में घबराहट : दीपंकर
भारत की कम्युनिस्ट पार्टी मार्क्सवादी-लेनिनवादी (भाकपा-माले) के महासचिव दीपंकर भट्टाचार्य ने कहा कि बेंगलुरु में विपक्षी दलों की सफल दूसरी बैठक से अपने संक्षिप्त रूप में 'इंडिया' नाम के साथ बने एक नए गठबंधन ने मोदी शासन को स्पष्ट रूप से परेशान कर दिया है

पटना। भारत की कम्युनिस्ट पार्टी मार्क्सवादी-लेनिनवादी (भाकपा-माले) के महासचिव दीपंकर भट्टाचार्य ने कहा कि बेंगलुरु में विपक्षी दलों की सफल दूसरी बैठक से अपने संक्षिप्त रूप में 'इंडिया' नाम के साथ बने एक नए गठबंधन ने मोदी शासन को स्पष्ट रूप से परेशान कर दिया है।
श्री भट्टाचार्य ने बुधवार को कहा कि विपक्ष की बैठक के दिन देश के सभी कोनों से पार्टियों को ढूंढ-ढूंढ कर और नई-नई पार्टियों को निर्मित करके दिल्ली में एक समानांतर ‘गठबंधन’ खड़ा करने की बेताबी मोदी शासन की बढ़ती घबराहट को ही दर्शाता है। उन्होंने कहा कि विपक्ष की पहल अगले 50 वर्षों तक भारत पर बिना किसी चुनौती के शासन करने के भाजपा के अहंकारपूर्ण दंभ के बिल्कुल विपरीत है। एक साल पहले पटना में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा का वह अहंकारपूर्ण बयान सबको याद है जिसमें उन्होंने कहा था कि भारत में क्षेत्रीय पार्टियों के दिन लद गए हैं।
माले महासचिव ने कहा कि इसी तरह इस साल 09 फरवरी को राज्यसभा में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ‘एक अकेला’ के दावे को भी याद करने की जरूरत है जब उन्होंने कहा था कि एक आदमी इस देश में कई लोगों की सामूहिक ताकत से भारी साबित हुआ है। सत्ता के नशे में चूर अहंकारी भाजपा आज 2024 के चुनावों से पहले निष्क्रिय पड़े राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) के बैनर को पुनर्जीवित करने की पूरी कोशिश कर रही है।
इसी अहंकार के कारण शिवसेना, अकाली दल और जनता दल यूनाइटेड (जदयू) जैसे उसके कई पुराने सहयोगियों ने भाजपा से रिश्ता तोड़ लिया। अब वही भाजपा इन पार्टियों को विभाजित करने और अलग हुए समूहों को अपने सहयोगियों के रूप में समायोजित करने की कोशिश कर रही है।
इसने श्री रामविलास पासवान के निधन के बाद लोक जनशक्ति पार्टी (लोजपा) में विभाजन कराया था और अब एकल पार्टी के दो नए-नवेले सहयोगियों के रूप में उन्हें पेश कर संख्या बढ़ाने का खेल खेल रही है।


