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कश्मीर के हालात के लिये पंडित नेहरू जिम्मेदार : मायावती

कांग्रेस और पूर्व प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू को कश्मीर समस्या का सूत्रधार बताते हुये बहुजन समाज पार्टी (बसपा) अध्यक्ष मायावती ने आज कहा कि अनुच्छेद 370 को हटाया जाना राष्ट्र हित में है

कश्मीर के हालात के लिये पंडित नेहरू जिम्मेदार : मायावती
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लखनऊ । कांग्रेस और पूर्व प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू को कश्मीर समस्या का सूत्रधार बताते हुये बहुजन समाज पार्टी (बसपा) अध्यक्ष मायावती ने आज कहा कि अनुच्छेद 370 को हटाया जाना राष्ट्र हित में है और घाटी में हालात सामान्य होने तक विपक्षी दलों संयम से काम लेने की जरूरत है।

बसपा के प्रदेश मुख्यालय में आयोजित केन्द्रीय कार्यकारिणी और पदाधिकारियों की बैठक में सुश्री मायावती को एक बार फिर पार्टी का राष्ट्रीय अध्यक्ष चुना गया। इस मौके पर सुश्री मायावती ने कहा कि बसपा मूवमेन्ट को आगे बढ़ाने के लिए वे हर प्रकार की कुर्बानी देने को तैयार रहती हैं तथा पार्टी एवं मूवमेन्ट के हित में न तो वे कभी रुकने वाली हैं और न ही झुकने वाली हैं, टूटना तो बहुत दूर की बात है।

जम्मू-कश्मीर से धारा 370 का विशेष दर्जा समाप्त किए जाने काे लेकर सुश्री मायावती ने कहा कि डा. अम्बेडकर हमेशा ही देश की समानता, एकता व अखण्डता आदि के पक्षधर रहे हैं और इसी आधार पर वे जम्मू-कश्मीर में अलग से धारा 370 का प्रावधान करने के कतई भी पक्ष में नहीं थे। इसी वजह से ही बसपा ने संसद में इस धारा को हटाये जाने का समर्थन किया है।

उन्होने कहा कि वास्तव में वैसे इस समस्या की मूल जड़ कांग्रेस एवं पण्डित नेहरू ही हैं। इसके अलावा जम्मू-कश्मीर से अलग करके लद्दाख क्षेत्र को अलग केन्द्र शासित प्रदेश बनाए जाने का भी हमारी पार्टी स्वागत करती है। इससे लेह-लद्दाख क्षेत्र के बौद्ध समुदाय की वर्षों पुरानी माँग पूरी हुई है और वे इससे बहुत प्रसन्न हैं। अब उनकी अपनी माँग के मुताबिक केन्द्र सरकार को उनकी विशिष्ट पहचान, उनकी संस्कृति व उनके क्षेत्र के आपेक्षित विकास आदि पर खास ध्यान दिए जाने की जरूरत है।

देश में संविधान लागू होने के लगभग 70 वर्षों के उपरान्त इस धारा 370 की समाप्ति के बाद, वहाँ पर हालात सामान्य होने में थोड़ा समय तो लगेगा। इसलिए इसका इन्तजार किया जाये, तो यह बेहतर ही होगा, जिसको न्यायालय ने भी माना है। ऐसे में हाल ही में बिना अनुमति के कांग्रेस व अन्य पार्टियों के नेताओं का कश्मीर जाना क्या केन्द्र व वहाँ के गवर्नर को राजनीति करने का मौका देने जैसा कदम नहीं है। अगर इनके जाने पर कश्मीर में थोड़े भी हालात बिगड़ जाते, तो फिर क्या केन्द्र की सरकार इसका दोष इन पार्टियों पर नहीं थोप देती।


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